National Cancer Awareness Day 2023: कैसे जीतें कैंसर से जंग, कानपुर में बंद पड़ी मशीनें तोड़ रहीं दम 

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर के जेके कैंसर संस्थान में कैंसर की जांच मशीनें कंडम हुईं।

कानपुर के जेके कैंसर संस्थान में कैंसर की जांच मशीनें कंडम हुईं। मेडिकल कॉलेज पर बोझ पड़ रहा। वहीं जटिल कैंसर की सर्जरी हो रही है। 

कानपुर, [विकास कुमार]। देश में बढ़ते कैंसर के मामले को देखते हुए हर साल सात नवंबर को कैंसर  जागरूकता दिवस मनाया जाता है। लेकिन कानपुर स्थित जेके कैंसर संस्थान जहां रोज दो से ढाई सौ कैंसर मरीज इलाज कराने आते हैं, वहां कैंसर की जांच में काम आने वाली मशीनें ही खराब पड़ी हैं।

ऐसे में संस्थान से मरीजों को जांच के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज भेज दिया जाता है। उपेक्षा के हालात यह हैं कि संस्थान को दो साल से बजट ही नहीं मिला है। इसके विपरीत जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य प्रो. संजय काला व उनकी डॉक्टरों की टीम जटिल से जटिल कैंसर का ऑपरेशन कर कीर्तिमान बना रहे हैं। 

दो साल से बजट के लिए जूझ रहे जेके कैंसर संस्थान को उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने जल्द बजट दिलाने का अश्वासन दिया था। सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने  विधानसभा में संस्थान की बदहाली का मुद्दा उठाया। इसके बाद डीजीएमआई ने संस्थान को करीब दो करोड़ रुपये की मंजूरी देने के बाद पहली किस्त के रूप में अनुरक्षण कार्य के लिए 10 लाख रुपये दिए थे। लेकिन यह नाकाफी रहे।

निजी अस्पतालों को फायदा  

जेके कैंसर संस्थान में एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्सरे, कोबाल्ट व ब्रैकीथेरेपी समेत अन्य मशीनें मरम्मत के अभाव में बंद पड़ी हैं। इसका फायदा वहां घूमने वाले निजी अस्पतालों के दलाल व संचालक मरीजों को अपने यहां भेजकर उठाते हैं।  

कैलेक्ट्रोल बढ़ने से हो सकता लिवर कैंसर 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. एसके गौतम ने शरीर में बढ़े कलेक्ट्रोम के संबंध में 250 लोगों पर शोध की। इनमें 140 लोग क्रोनिक लीवर डिसीज (सीएलडी) से ग्रस्त मिले। सीएलडी के बाद फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस व अंत में लिवर कैंसर की समस्या हो जाती है। कलेक्ट्रोल की मात्रा शरीर में अधिक बढ़ने की वजह से हार्ट अटैक व ब्रेन अटैक की संभावना अधिक होती है।

रोटरी क्लब ने मेडिकल कालेज को दी मशीन  

महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की समस्या से बचाने के लिए कानपुर रोटरी क्लब ने मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.नीना गुप्ता को इलाज में सहायक थर्मल अब्लेशन मशीन दी है। इस मशीन से महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की प्रारंभिक अवस्था की जांच हो रही है। 

मोमोज, पिज्जा, बर्गर से हो रहा रेक्टल कैंसर

रेक्टल कैंसर (मलद्वार का कैंसर) युवाओं को भी शिकार बना रहा है, इसकी मुख्य वजह मोमोज, पिज्जा, बर्गर व मैदे युक्त चीजों और लाल मिर्च का सेवन लंबे समय तक करना है।  इस समस्या से पीड़ित पांच से छह मरीज रोज हैलट पहुंचते हैं। शुरू में जानकारी के अभाव में लोग बवासीर व भंगदर का इलाज कराते हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो जाती हैं। मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ गैस्ट्रो सर्जन प्रोफेसर डॉ. आरके जौहरी ने बताया कि रेक्टल कैंसर का मुख्य कारण अनियमित दिनचर्या व गलत खानपान है।

पान-मसाला से मुंह खुलना बंद  

पान मसाला या गुटखा सेवन से लोग ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। हैलट अस्पताल की दंत रोग ओपीडी में रोज ऐसे करीब 70 मरीज इलाज कराने आते हैं।  दंत रोग विभागाध्यक्ष प्रो. अशरफ उल्ला के मुताबिक इस बीमारी में मरीजों का मुंह पूरी तरह से खुलना कम हो जाता है। पान या गुटखा खाना नहीं छोड़ने पर मुंह का अल्सर हो जाता है, जो कैंसर का रूप ले लेता है

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