Kanpur News: GSVM मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने किया कमाल, मुंह के कैंसर से पीड़ित वृद्धा की ऐसे बचाई जान...

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर के जीएसवीएम के सुपर स्पेशियलिटी में डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके वृद्धा की जान बचाई।

कानपुर के जीएसवीएम के सुपर स्पेशियलिटी में डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके वृद्धा की जान बचाई। डॉक्टरों ने हाथ का मांस मुंह में लगाकर वृद्धा की जान बचाई। वृद्धा का तीन बार कैंसर का ऑपरेशन हो चुका है।

कानपुर, अमृत विचार। मुंह के कैंसर की समस्या से जूझ रही वृद्धा के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भगवान साबित हुए। दो बार मुंह के कैंसर का ऑपरेशन करने के बाद भी जब आराम नहीं मिला तो उन्होंने तीसरी बार सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सर्जरी कराई, जहां वृद्धा के मुंह में हाथ का मांस लगाकर डॉक्टरों ने जान बचाई। 

गुटखा खाने वालों में मुंह का कैंसर होना आम बात है, लेकिन बिना गुटखा खाए तीन बार मुंह में कैंसर होना चौकाने वाले बात है। ऐसे कई लोग है, जिन्होंने ने गुटखा व तंबाकू का सेवन बिल्कुल भी नहीं किया, फिर भी वह मुंह के कैंसर से ग्रस्त हो गए। इनमें कन्नौज निवासी 75 वर्षीय वृद्धा भी शामिल है। परिजनों के मुताबिक वृद्धा ने कभी भी गुटखा या तंबाकू का सेवन नहीं किया।

इसके बावजूद वह दो बार मुंह के कैंसर की चपेट में आ चुकी है। वर्ष 2009 और 2016 में ऑपरेशन कराने के बाद उनको फिर से वर्ष 2023 में मुंह में कैंसर हो गया। तब परिजनों ने वृद्धा को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में करीब एक हफ्ते पहले भर्ती कराया।

अस्पताल में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला, ईएनटी सर्जन डॉ.हरेंद्र व प्लास्टिक सर्जन डॉ.प्रेम शंकर, डॉ.सौरभ अग्रवाल व डॉ.निशांत ने टीम के साथ वृद्धा का ऑपरेशन किया। प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि कैंसर की वजह से ऊपर का जबड़ा खराब होने लगा था। टीम ने वृद्धा के हाथ का मांस निकालकर मुंह में लगाया। तब मुंह का आकार थोड़ा ठीक हो सका। वहीं, अब मरीज पहले के मुकाबले ठीक है। 

पहले नीचे जबड़े और गाल में हुआ था कैंसर 

प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि 2009 में वृद्धा के नीचे जबड़े में कैंसर हो गया था और 2016 में मुंह के अंदर गाल में कैंसर हो गया था। सर्जरी कराने के बाद वर्ष 2023 में कैंसर ऊपर वाले जबड़े में हो गया। हैरात की बात यह है कि वृद्धा ने कभी गुटखा या तंबाकू का सेवन नहीं किया, इसके बावजूद तीन बार कैंसर होना, गंभीर बात है।

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