बदला तकनीकी परिदृश्य

बदला तकनीकी परिदृश्य

भारत आधुनिकीकरण की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। पिछले एक दशक के दौरान देश में तकनीकी परिदृश्य पूरी तरह से बदल चुका है। यानि गांवों में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच से लेकर क्वांटम कंप्यूटर तक देश आगे जा रहा है। सेमीकंडक्टर निर्माण तक हम हर क्षेत्र में आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को अमेरिका में कहा कि भारत का सेमीकंडक्टर क्षेत्र माइक्रोन टेक्नोलॉजी को बड़े व्यावसायिक अवसर प्रदान करता है।

उन्होंने माइक्रोन टेक्नोलॉजी के अध्यक्ष संजय मेहरोत्रा से मुलाकात में भारत में सेमीकंडक्टर क्षेत्र में व्यावसायिक अवसरों पर चर्चा की। वास्तव में भारत आज समग्र वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भरोसेमंद केंद्र का प्रतिनिधित्व करता है। सेमीकंडक्टर चिप्स सभी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों के दिल और दिमाग के रूप में कार्य करते हैं। वे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को जीवन को सरल बनाने वाली क्रियाओं की गणना और नियंत्रण करने में सक्षम बनाते हैं।

भारत सेमीकंडक्टर डिजाइन, निर्माण और प्रौद्योगिकी विकास का वैश्विक केंद्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। भारत वर्तमान में सभी चिप्स का आयात करता है और वर्ष 2025 तक इस बाजार के 24 अरब डॉलर से 100 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि सेमीकंडक्टर चिप्स के घरेलू निर्माण के लिए भारत ने हाल ही में कई पहल की हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को व्यापक और टिकाऊ करने तथा देश में एक मजबूत और टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इको-सिस्टम के विकास को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम के विकास के लिए संशोधित कार्यक्रम को स्वीकृति दी।

इस उद्योग में संयुक्त राज्य अमेरिका, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान और नीदरलैंड का प्रभुत्व है। जर्मनी आईसीटी का एक उभरता हुआ उत्पादक भी है। भारत को इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में भी सुधार करना चाहिए जहां वर्तमान में इसकी कमी है।

भविष्य के चिप उत्पादन से जुड़ी योजना केवल एक बार के लिए नहीं होनी चाहिए,बल्कि इसके लिए डिजाइन से निर्माण तक तथा पैकिंग और परीक्षण के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना चाहिए। भारत को एक विश्वसनीय, बहुपक्षीय अर्द्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रमुख उत्पादक बनने का लक्ष्य रखना चाहिए। सेमीकंडक्टर निर्माण से देश में रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

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