जागरूकता पर जोर
आज के दौर में हम ऐसे बदलाव की ओर बढ़ रहे हैं जो पूरी तरह से डिजिटल है। परस्पर जुड़ी दुनिया में प्रौद्योगिकी हमारे जीवन के हर पहलू में अभिन्न भूमिका निभाती है। वहीं साइबर अपराध का बढ़ना एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल एक्सेलेरेशन एंड ट्रांसफॉर्मेशन एक्सपो (डेट) का उद्घाटन करते हुए साइबर धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया।
ट्रेसकॉन द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब देश की डिजिटल उपलब्धियां तथा अभूतपूर्व समाधानों को तेजी से अपनाना आर्थिक परिदृश्य को नया आकार दे रहा है, जिससे भारत नई विश्व व्यवस्था तथा वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एक ताकत के रूप में स्थापित हो रहा है।
साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने और 21वीं सदी की साइबर अपराध की चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव विचारों और तकनीकी समाधानों की पहचान करना है जिनका सामना हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और आम नागरिकों को करना पड़ रहा है। साइबर अपराधी लगातार विकसित हो रहे हैं और कमजोरियों का फायदा उठाने के नए तरीके खोज लेते हैं।
वास्तव में जो लोग सिस्टम के साथ खिलवाड़ करते हैं। वे तकनीक के इस्तेमाल और दुरुपयोग के मामले में शायद हमसे एक कदम आगे हैं। यह बात भी सही है कि सरकार और जनता दोनों में गंभीरता की कमी की वजह से देश में साइबर अपराध के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि साइबर धोखाधड़ी के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार समय-समय पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की समीक्षा करती है।
नियामक भारतीय रिजर्व बैंक अपनी स्वयं की प्रणाली की समीक्षा करता है। बीमा कंपनियां भी अपनी प्रणाली की समीक्षा करती हैं। वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए ही ‘सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम’ मॉड्यूल लांच किया गया है।
अगस्त में संसदीय पैनल ने लोकसभा में दी गई रिपोर्ट में कहा है कि साइबर धोखाधड़ी पीड़ितों को वित्तीय संस्थानों द्वारा तुरंत मुआवजा दिया जाना चाहिए। इससे उपभोक्ता संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी और इन कंपनियों को अपने सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।
केंद्र के साथ राज्य सरकारों को इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए नित नए तरीके अपना रहे हैं। कहा जा सकता है कि केवल ठोस प्रयासों से ही हम डिजिटल सीमा की रक्षा करने और अपनी ऑनलाइन दुनिया को साइबर अपराध के खतरों से बचाने की उम्मीद कर सकते हैं।
