पृथ्वी को गर्म होने से बचायेगा पंचामृतः प्रो घोष
अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में हुआ व्याख्यान
अयोध्या, अमृत विचार। डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में दीक्षांत सप्ताह के अन्तर्गत शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लिए पंचामृत को डिकोड करना विषय पर व्याख्यान हुआ। मुख्य वक्ता पूर्व संकायाध्यक्ष वाणिज्य एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज के प्रो पी के घोष ने कहा कि पृथ्वी के लिए पिछला वर्ष जलवायु परिवर्तन का रहा है। भारत सहित एशिया के पांच करोड़ लोगों को अपनी चपेट में लिया है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए 2015 में पेरिस के बीच अनुबंध हुआ। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नवम्बर 2021 में भारत ने अपनी महत्वपूर्ण पहल पंचामृत की घोषणा की गई जो विश्व के लिए भारत का एक बहुत बड़ा योगदान है।
बताया पंचामृत के अंतर्गत भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता बनाने और 60 प्रतिशत भाग पुनर्नवीकरण स्त्रोतों से पूरा करने, कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी लाने व कार्बन सघनता में 45 प्रतिशत की कमी करने के साथ-साथ 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने का निश्चय किया है।
अध्यक्षता करते हुए कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो आशुतोष सिन्हा ने बताया कि पंचामृत की घोषणा के बाद देश की भूमिका बढ़ गई है। नवीन ऊर्जा के स्त्रोतों को जलवायु के अनुकूल परिस्थितियां बनाई जा सकती है। संचालन एवं अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन प्रो विनोद कुमार श्रीवास्तव ने किया। प्रो मृदुला मिश्रा, प्रो शैलेन्द्र कुमार, डॉ. अनिल कुमार, डॉ त्रिलोकी यादव आदि मौजूद रहीं।
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