बरेली: एसडीएम सदर ने ''मौत के कुआं'' को नहीं दी अनुमति, जनप्रतिनिधि बोले-कराएंगे संचालन

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Published By Ashpreet
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बरेली, अमृत विचार। कार्तिक चौबारी मेला में लकड़ी की खपच्चियों को नट-बोल्ट के सहारे जोड़कर बनाए गए करीब 12 फिट गहरे ''मौत का कुआं'' के संचालन को लेकर साठगांठ शुरू हो गई है। मेला मजिस्ट्रेट एवं उप जिलाधिकारी सदर रत्निका श्रीवास्तव ने मौत का कुआं के संचालन की अनुमति नहीं दी है, जबकि भाजपा के एक जनप्रतिनिधि ने मेला प्रबंधकों को संचालन शुरू कराने का भरोसा दिलाया है।

मेला प्रबंधकों में से एक ने बातचीत में दबी जुबान से एक जनप्रतिनिधि का नाम भी खोल दिया। इधर, रविवार को मौत के कुआं में मोटरसाइकिल की आवाज गूंजी तो तेजी से चर्चा चली कि संचालन शुरू हो गया, लेकिन आयोजक गुलाम मोहम्मद से फोन पर जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि मारुति कार व बाइक की साफ-सफाई की है।

संचालन की अनुमति नहीं मिली है इसलिए अभी शुरू नहीं किया गया है। मेला प्रबंधकों ने संचालन कराने का भरोसा दिया है। उनका कहना है कि मौत का कुआं तैयार कराने में मोटी रकम खर्च हुई है। इसका संचालन नहीं हुआ तो उसका बड़ा नुकसान होगा। उसने पुलिस प्रशासन से भी संचालन की अनुमति देने की मांग की है।

वहीं, एसडीएम सदर ने मेला में लगे झूलों को अनुमति देने वाले पत्र में साफ लिखा है कि प्रभारी निरीक्षक थाना कैंट की आख्या के अनुसार मेले में मौत का कुआं यानी मारुति कुआं के संचालन की अनुमति नहीं होगी। 22 नवंबर को जारी पत्र में एसडीएम सदर ने यह भी कहा है कि गुलाम मोहम्मद अफलातून ग्राम नवादा थाना कुंड फतेहगढ़, जिला संभल की ओर से जिलाधिकारी को पत्र भेजकर झूलों की अनुमति मांगी गई।

झूलों की अनुमति पत्र की जांच मुख्य अग्निशमन अधिकारी, अधिशासी अभियंता विद्युत यांत्रिक खंड लोनिवि, निदेशक विद्युत सुरक्षा और प्रभारी निरीक्षक थाना कैंट से कराई गई थी। सभी विभागों की जांच आख्या के बाद ही मौत का कुआं के संचालन को छोड़ अन्य सभी झूलों के संचालन की अनुमति 35 बिंदुओं की शर्तों पर जारी की गई है।

सुरक्षा की दृष्टि से संचालन को लेकर जो बिंदु जारी किए हैं उनमें से आधे बिंदुओं पर झूला संचालक गौर ही नहीं कर रहे हैं। झूले की क्षमता के अनुसार लोगों को बैठाने के निर्देश हैं। मेला अभी 30 नवंबर तक संचालित होगा और सोमवार को मुख्य स्नान पर सर्वाधिक भीड़ जुटेगी।

तो इसलिए प्रशासन बरत रहा सख्ती
ऊंचे-ऊंचे बड़े झूलों के संचालन को लेकर प्रशासन सख्ती बरत रहा है। कड़ी निगरानी कराई जा रही है। भोजीपुरा क्षेत्र में दशहरा पर्व के मौके पर लगे स्थानीय मेला में ऊंचे झूले में बैठने के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

झूलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ेगी तो कोविड प्रोटोकाल का कैसे पालन कराएंगे
मेला मजिस्ट्रेट/ एसडीएम सदर ने झूलों के संचालन की अनुमति देने के साथ कोविड प्रोटोकाल का पालन कराने का नियम भी शामिल कर दिया है। निर्देश में झूला आयोजकों को कोविड प्रोटोकाल का पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी थीं। कोविड का पालन की बात सुन झूला आयोजक भी हैरान हैं। कोविड गाइडलाइन का पालन कराने के नियम से कई माह पहले सरकार मुक्त कर चुकी है। उस नियम का पालन मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ में कैसे कराया जा सकता है।

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