Kanpur Farmer Suicide: एक लाख का इनामिया फरार प्रियरंजन पहुंचा कोर्ट, सीएमएम कोर्ट में दिया प्रार्थना पत्र

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में एक लाख का इनामिया फरार डॉ. प्रियरंजन दिवाकर पहुंचा कोर्ट।

कानपुर में एक लाख का इनामिया फरार डॉ. प्रियरंजन दिवाकर पहुंचा कोर्ट। सीएमएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। हाईकोर्ट का आदेश दाखिल।

कानपुर, अमृत विचार। चकेरी के किसान बाबू सिंह यादव की आत्महत्या के मामले में 83 दिन से फरार चल रहा पार्टी से निष्कासित भाजपा नेता व बाल संरक्षण आयोग का सदस्य डॉ प्रियरंजन अंशु दिवाकर शुक्रवार दोपहर गुपचुप तरीके से अपने वकील शिवाकांत दीक्षित के साथ सीएमएम कोर्ट में हाजिर हुआ।

उसके वकील की ओर से कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र देकर उसके साथ हाईकोर्ट के आदेश की प्रति भी दाखिल की गई। हाईकोर्ट के पांच दिसंबर तक पुलिसिया कार्रवाई पर रोक के आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट द्वारा जारी गैर जमानती वारंट व कुर्की की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई।

नौ सितंबर को चकेरी गांव के किसान बाबू सिंह यादव ने मुख्यमंत्री के नाम सुसाइड नोट लिखकर ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी थी। उन्होंने सुसाइड नोट में धोखाधड़ी करके साढ़े छह करोड़ रुपये की जमीन को हड़पने का आरोप लगाया था।

घटना के बाद उनकी पत्नी बिटान ने चकेरी थाने में भाजपा नेता डॉ. प्रियरंजन अंशु दिवाकर, बब्लू यादव, राहुल जैन, मधुर पांडेय, शिवम सिंह चौहान, भतीजे जितेंद्र यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में राहुल जैन और मधुर पांडेय को जेल भेजा गया था जबकि बाकी आरोपी 83 दिन बाद भी फरार चल रहे हैं।

कुछ दिन पहले आरोपी राहुल जैन को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी वहीं जितेंद्र यादव को अग्रिम जमानत मिल चुकी है। डॉ प्रियंरजन ने हाईकोर्ट में एफआईआर और गिरफ्तारी वारंट के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। इसमें पहले हाईकोर्ट ने एक दिन के लिए पुलिसिया कार्रवाई पर रोक लगाई थी। इसके बाद अंतरिम आदेश की अवधि 28 नवंबर तक बढ़ा दी थी।

 लगातार पुलिस के संपर्क में रहा

आत्महत्या के मामले में मुख्य साजिशकर्ता डॉ प्रियरंजन अंशु दिवाकर की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल शपथपत्र ने सभी को चौंका दिया है। प्रियरंजन के वकील का दावा है कि रिपोर्ट दर्ज होने के बाद वह पुलिस के संपर्क में रहा और विवेचना में सहयोग करने व अपना पक्ष रखने के लिए एसीपी कार्यालय भी पहुंचा। साथ ही फोन के माध्यम से भी विवेचक के संपर्क में रहा। इस दौरान न तो उसकी गिरफ्तारी की गई और न ही उसे बताया गया कि वह मुकदमे में वांछित है। इस पर सरकार की ओर से जवाब के लिए समय मांगा गया है।

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