काशीपुर: कच्चे माल की कमी से खादी उत्पादन हुआ प्रभावित

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Published By Bhupesh Kanaujia
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काशीपुर, अमृत विचार। कच्चे माल की कमी ने खादी के उत्पादन को प्रभावित कर दिया है। पहले जहां प्रत्येक वर्ष खादी का उत्पादन 1.60 करोड़ रुपये तक होता था वह अब सिमटकर 12-15 लाख तक पहुंच गया है।

द्रोणा सागर रोड पर श्री गांधी आश्रम उत्पत्ति केंद्र की स्थापना की गई थी। गांधी आश्रम ने गांव-गांव में जाकर महिलाओं को सूत कातने के लिए अंबर चरखे उपलब्ध कराए थे। कतिनो द्वारा उपलब्ध सूत से केंद्र और जसपुर स्थित उपकेंद्र में रजाई, गद्दे, तौलिया, कपड़ा समेत खादी के करोड़ों रुपये के अन्य उत्पाद तैयार होते थे। जहां से माल तैयार कर हल्द्वानी और छपाई के लिए यूपी के पिलखुवा जाता था। वापस आने पर हल्द्वानी में ही रेडीमेट खादी वस्त्र तैयार किए जाते थे। जहां पहले इससे महिलाओं को रोजगार भी मिलता था।

पिछले तीन साल से अधिकांश कतिनों के गांधी आश्रम में लाखों रुपये की उधारी हो चुकी हैं। वहीं कच्चा माल नहीं आने, बिक्री कम होने से उत्पादन 1.60 करोड़ रुपये प्रति वर्ष से सिमटकर 12-15 लाख रुपये रह गया है। वर्तमान में पुराने बचे माल से खादी के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। काशीपुर के महुआखेड़ा गंज, बरखेड़ा पांडे, धीमरखेड़ा और सुल्तानपुर पट्टी में करीब 200-250 कतिने चरखे से सूत तैयार करती थीं। जबकि जसपुर में भी इनकी संख्या करीब 300 से अधिक थी।

खादी के उत्पादन पर ब्रेक लगने से 40-50 को छोड़कर सभी कतिने व बुनकर बेरोजगार हो गए। इधर श्री गांधी आश्रम उत्पत्ति केंद्र प्रबंधक मनोज कुमार नेगी ने बताया कि पिछले तीन साल से खादी का उत्पादन 12-15 लाख रुपये प्रतिवर्ष रह गया है। कतिनों की उधारी होने पर कच्चा माल भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में जसपुर उपकेंद्र में ही उत्पादन किया जा रहा है।

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