Allahabad High Court: अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पंचायत के आधे सदस्यों की अनुमति आवश्यक

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Published By Deepak Mishra
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्षेत्र पंचायत के सदस्यों की नियुक्ति एवं कार्यकाल के संबंध में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में कानून के अनुसार तार्किक रूप से विचार करने के बाद फैसले करने चाहिए। मामले के अनुसार उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अधिनियम, 1961 की धारा 8 के अनुसार क्षेत्र पंचायत का कार्यकाल 5 वर्षों के लिए होता है। इसके अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल क्षेत्र पंचायत के कार्यकाल के साथ ही समाप्त होता है।

उक्त अधिनियम की धारा 15 (11) के तहत क्षेत्र पंचायत के प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एक विस्तृत  प्रक्रिया निर्धारित की गई है। उक्त धारा को उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत संशोधन अधिनियम, 2022 द्वारा संशोधित किया गया है। जिसके तहत अब अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलना आवश्यक है, जबकि पहले आधे से अधिक सदस्यों का समर्थन आवश्यक था।

याची दुर्विजय सिंह क्षेत्र पंचायत बिथरी, चैनपुर, जिला बरेली का सदस्य है। उसका तर्क है कि उक्त अधिनियम की धारा 15(2) के तहत अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए बैठक बुलाने हेतु लिखित सूचना दी जानी चाहिए, जिसे निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या के कम से कम आधे लोगों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए।

अधिनियम की इस धारा में कोई संशोधन नहीं हुआ है। अतः आक्षेपित आदेश स्पष्ट रूप से अवैध है। अंत में कोर्ट ने यह माना कि विवादित आदेश अधिनियम पर पूर्ण रूप से विचार किए बिना पारित किया गया है, अतः यह रद्द किए जाने योग्य है।

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