UP: कोई कैसे चला जाता हंसते-बोलते और नाचते-गाते... सर्दी में रहें सावधान, इस साल इतने लोग गंवा चुके जान

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में इस साल अब तक शहर में अचानक मौत के 400 से अधिक मामले सामने आए।

कानपुर में इस साल अब तक शहर में अचानक मौत के 400 से अधिक मामले सामने आए। सर्दी में सावधान रहें। पिछले साल 200 लोगों ने ठंड के दौरान जान गंवाई थी।

कानपुर, [मनोज त्रिपाठी]। बिजनौर के एक मिशनरी स्कूल में शनिवार को अचानक कक्षा चार की छात्रा कुर्सी से लुढ़की और उसकी मौत हो गई। ऐसी ही घटना कुछ दिन पहले लखनऊ में भी हुई थी। कक्षा में पढ़ते हुए एक छात्र ने अचानक दम तोड़ दिया था। पिछले कुछ समय से इसी तरह की हैरान करने वाली घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कहीं नाचते-नाचते युवक की जान चली गई।

कोई खेल के मैदान में ही चल बसा, तो किसी ने जिम में वर्क आउट करते समय दम तोड़ दिया, कोई ठहाका लगाते या बात करते-करते अचानक गिरा तो फिर उठ नहीं सका। अचानक होने वाली ऐसी मौतों का आंकड़ा शहर में भी दिल दहलाने वाला है। इस साल अब तक एक अनुमान के मुताबिक कानपुर में ‘सडेन डेथ’ के  400 से अधिक मामले सामने आए हैं। इनमें करीब 200 मौतें तो  अकेले ठंड के मौसम में हुई थीं।  
 

अचानक होने वाली मौत हमेशा चर्चा का विषय बनती रही हैं। लेकिन जब ऐसी घटनाएं युवाओं और सेहतमंद व्यक्ति के साथ होती हैं और वह भी किसी सार्वजनिक स्थल या शादी समारोह में तो लोगों का भयभीत होना स्वाभाविक है। शहर में भी इस साल डांस करते और क्रिकेट खेलते युवाओं की जान जा चुकी है।  

अभय नामक युवक की दोस्त की शादी में बैंड बाजे पर नाचते समय अचानक जमीन पर गिरने से सांसें बंद हो गई थीं। बिल्हौर निवासी दसवीं के छात्र 16 वर्षीय अनुज ने क्रिकेट खेलते समय रन लेने की दौड़ लगाते हुए दम तोड़ दिया था। दक्षिण क्षेत्र में  32 वर्षीय भानु की भी क्रिकेट खेलने के दौरान मैदान में गिरने से मौत हो गई थी। 

हाल ही में जारी हुए राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों ने भी अचानक होने वाली मौतों का बढ़ता ग्राफ दर्ज किया है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 के मुकाबले 2022 में अचानक होने वाली मौतों की संख्या 12 प्रतिशत तक बढ़ी है। एनसीआरबी के अनुसार वर्ष 2022 में 56,653 लोगों की अचानक मौत (सडन डेथ) हुई। इन मौतों में लगभग 57% दिल का दौरा पड़ने के कारण होना माना गया है।

अब चिकित्सक अचानक होने वाली मौतों को हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट जैसी बीमारी भले बता रहे हों, लेकिन तमाम लोगों को लगता है कि कोरोना के बाद ऐसी रहस्यमयी घटनाएं तेजी से बढ़ गई हैं। हालांकि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपने अध्ययन में पाया है कि हार्ट अटैक से हो रही मौतों के पीछे कोरोना वैक्सीन कारण नहीं है।

आईसीएमआर ने अपने अध्ययन में 47 अस्पतालों के साथ 18-45 वर्ष आयु वर्ग के उन युवाओं को शामिल किया था, जिन्हें दिल की या दूसरी कोई गंभीर बीमारी नहीं थी, लेकिन बीते दो साल में अचानक मौत हो गई। आईआईटी कानपुर भी शारीरिक क्रियाओं में संलग्न रहते हुए हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ने पर शोध कर रहा है। इस बीच भारत सरकार ने संसद के शीत सत्र में साफ किया है कि ऐसी घटनाओं के पीछे पारिवारिक स्वास्थ्य इतिहास और जीवन शैली जिम्मेदार हो सकती है। 

सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। अचानक होने वाली मौतों के पीछे अस्वास्थकर जीवन शैली के साथ अन्य कारणों में कोरोना से दिल पर पड़ा प्रभाव भी एक कारण हो सकता है। लेकिन इस संबंध में अब तक कोई स्पष्ट निष्कर्ष सामने नहीं आया है।- प्रो. राकेश वर्मा, निदेशक, ह्रदय रोग संस्थान।

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