बरेली: महिला रोगियों में खून की कमी पर दो महीने से नहीं लगाए आयरन सुक्रोज इंजेक्शन
जिला महिला अस्पताल में हर रोज 15 से 20 महिलाएं खून की कमी से ग्रसित मिल रहीं
बरेली, अमृत विचार। गर्भावस्था के दौरान उचित खानपान और सही देखभाल न होने से महिलाएं खून की कमी यानी एनीमिया का शिकार हो रही हैं। जिला महिला अस्पताल में हर रोज जांच में 15 से 20 महिलाएं एनीमिया से ग्रसित पाई जा रही हैं, लेकिन इसके बाद भी खून की कमी दूर करने के लिए उन्हें आयरन सुक्रोज इंजेक्शन नहीं लगाए जा रहे हैं। आंकड़े भी इसकी ओर इशारा कर रहे हैं। दो महीने में खून की कमी से ग्रसित एक भी महिला को आयरन सुक्रोज इंजेक्शन नहीं लगाया गया है, जबकि अस्पताल में इस इंजेक्शन की पर्याप्त उपलब्धता है।
दरअसल, यह इंजेक्शन स्थाई चिकित्सक की संस्तुति पर ही लगाया जाता है, मगर स्थाई चिकित्सक अस्पताल में अक्सर नहीं बैठते हैं। प्रशिक्षु डॉक्टर आयरन सुक्रोज इंजेक्शन लगाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं। इस वजह से मरीजों को यह इंजेक्शन नहीं लग पा रहा है। आंकड़ों के अनुसार अस्पताल में प्रतिदिन दो सौ महिला रोगी आती हैं। अधिकांश महिलाओं की खून की जांच कराई जाती है। इनमें से करीब 20 महिलाएं ऐसे होती हैं जो खून की कमी से जूझ रही होती हैं। नियमानुसार गंभीर रोगियों को यह इंजेक्शन लगने चाहिए, मगर डॉक्टर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
भर्ती मरीजों को भी नहीं मिल रहा लाभ
अस्पताल में हर माह करीब 500 से 700 गर्भवती भर्ती होती हैं। यदि खून की कमी पाई जाती है तो प्रसव एक दो दिन बाद किया जा सकता है। ऐसे में गर्भवती को एएनसी वार्ड में भर्ती कर आयरन सुक्रोज इंजेक्शन देने की व्यवस्था है, मगर डॉक्टर पर्चे पर मरीजों की जांच कर उन्हें आयरन सुक्रोज की डोज नहीं लिखेंगे तो मरीज को यह सुविधा नहीं मिलेगी। बताया जा रहा है कि भर्ती मरीजों को भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
खून की कमी से जच्चा और बच्चा दोनों को खतरा
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मृदुला शर्मा के अनुसार गर्भधारण के दौरान अगर महिला को ठीक प्रकार से संतुलित आहार और पोषण नहीं मिलता है तो शरीर में ब्लड ही भारी कमी हो जाती है। हीमोग्लोबिन कम होने पर डॉक्टर तुंरत गर्भवतियों की डिलीवरी नहीं कर पाती हैं, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है।
अस्पताल में आयरन सुक्रोज इंजेक्शन की उपलब्धता है। सभी डॉक्टरों को जरूरतमंद मरीजों को आयरन सुक्रोज का परामर्श देने संबंधी आदेश दिए गए हैं। वहीं, कितने मरीजों को डोज लगी, इसकी रिपोर्ट भी ली जाएगी-डॉ. त्रिभुवन प्रसाद, सीएमएस, जिला महिला अस्पताल।
