बरेली: सड़क के लिए नगर निगम गेट पर रात भर ग्रामीणों का धरना, अब भूख हड़ताल करने का ऐलान
बरेली, अमृत विचार। नगर निगम के वार्ड 37 नंदौसी के ग्रामीण इस बार रास्ते को लेकर आर पार की लड़ाई के मूड में नजर आ रहे हैं। जिसको लेकर शुक्रवार को नगर निगम के गेट पर शुरू हुआ धरना भीषण सर्दी में भी पूरी रात जारी रहा।
वहीं ग्रामीणों ने मांगें पूरी न होने पर आज से इस अनिश्चितकालीन धरना को भूख हड़ताल तब्दील करने का ऐलान कर दिया है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांग को तत्काल लिखित आश्वासन नहीं दिया गया तो वे आज से अन्न के साथ ही जल भी त्याग देंगे।
'जब तक सड़क नहीं बनेगी, तब तक देंगे धरना'
दरअसल, नंदौसी नगर निगम के वार्ड-37 का हिस्सा है, जहां से परसाखेड़ा गौटिया जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। गांव के लोगों का आरोप है कि वे कई सालों से सड़क बनवाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन नगर निगम के जनप्रतिनिधि और अफसर लगातार उसकी अनदेखी कर रहे हैं। वहीं शुक्रवार सुबह वार्ड के पूर्व पार्षद सुखदीश कश्यप और उनकी पूर्व पार्षद पत्नी जावित्री देवी के नेतृत्व में गांव के करीब डेढ़ सौ लोग आकर नगर निगम गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। साथ ही उन्होंने ऐलान कर दिया कि जब तक सड़क नहीं बनेगी, तब तक यहीं धरना देंगे।
धरनास्थल पर रजाई-गद्दे और गैस चूल्हे भी मंगाए
किसान आंदोलन की तर्ज पर अपनी चेतावनी के मुताबिक ग्रामीणों ने शाम को धरनास्थल पर रजाई-गद्दे और गैस के चूल्हे भी मंगा लिए। साथ ही चूल्हा बनाकर वहीं खाना बनाया और बिस्तर लगा लिए। शुरू में नगर निगम के अफसरों ने धरने को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन शाम को गांव के लोगों का इरादा समझ में आया तो उनके होश उड़ने शुरू हो गए।

दो बार बातचीत के बावजूद कोई हल नहीं निकला और तीसरी बार गांव के लोगों ने बिना लिखित आश्वासन बात करने से ही इनकार कर दिया। जिसके बाद धरनास्थल पर बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भीषण सर्दी के बीच पूरी रात डटे रहे। इस बीच नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स ने भी प्रदर्शनकारियों से महिलाओं-बच्चों और बुजुगों को वापस भेजने को कहा, लेकिन वे नहीं माने।
आज शाम से भूख हड़ताल करने का ऐलान
वहीं आज प्रदर्शनकारियों ने मांगें पूरी न होने पर आज शाम से भूख हड़ताल करने का ऐलान कर दिया है। प्रदर्शनकारी ग्रामीणों का कहना है कि देश की आजादी के 76 सालों बाद भी उनके गांवों के लिए अभी तक किसी भी दिशा में सरकारी मार्ग और पक्का रोड नहीं है। ऐसे में उन्हें खेतों की पगडंडियों के सहारे शहर या अन्य जगहों के लिए आवागमन करना पड़ रहा है।

वहीं इमरजेंसी में मरीजों या फिर किसी अन्य व्यक्ति को लाने ले-जाने में बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नगर निगम चुनाव से पहले मेयर डॉ उमेश गौतम ने जीतने के बाद 15 दिनों के भीतर किसानों की भूमि अर्जन कर सरकारी रास्ते के साथ पक्का रोड का काम शुरू करवाने का वादा किया था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वह अपने वादे से मुकर गए।
मंत्री तक से लगाई गुहार, मिला सिर्फ आश्वासन
ग्रामीणों का कहना है कि दोनों गांवों के किसान सरकारी रास्ते के लिए भूमि देने को तैयार हैं। लेकिन नगर आयुक्त फंड नहीं होने की बात कहकर मामले को एक बार फिर टाल रही हैं। वहीं वार्ड 37 के पूर्व पार्षद बताते हैं कि वह अपने गांवों के लिए सरकारी मार्ग और पक्के रोड की मांग को लेकर स्थानीय जन प्रतिनिधियों से लेकर शहरी विकास मंत्री तक मिल चुके हैं। लेकिन उन्हें सभी जगह जल्द ही रोड बनवाने का आश्वासन तो मिला, लेकिन अभी तक धरातल पर कोई कार्य शुरू नहीं हुआ है।
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