पीलीभीत: गन्ने की सूखी पत्तियों से बनेगी जैविक खाद, बढ़ेगी उर्वरा शक्ति...समितियों को मुहैया कराई ट्रेस मल्चर मशीनें

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Published By Vikas Babu
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पीलीभीत, अमृत विचार। तराई के किसान गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने के बजाय अब इसका इस्तेमाल खेत में जैविक खाद बनाकर करेंगे। इसको लेकर गन्ना समितियों को ट्रेस मल्चर मशीनें मुहैया कराई गई है। इन मशीनों की मदद से किसान खेत में सूखी पत्तियों से जैविक खाद बनाएंगे।

गन्ना विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन के माध्यम से उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की पहल शुरू की है। विभागीय अधिकारियों द्वारा किसानों को गन्ने की सूखी पत्ती जलाने के बजाय उसका उपयोग भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए जागरुक किया जा रहा है। इसको लेकर जिले की चार सहकारी गन्ना एवं दो चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई है।

प्रत्येक गन्ना समिति को दो ट्रेस मल्चर मशीनें और एक रैटून मैनेजमेंट डिवाइस उपलब्ध कराई गई है। इस तरह इन छह गन्ना समितियों में 12 ट्रेस मल्चर मशीनें और छह रैटून मैनेजमेंट डिवाइस उपलब्ध कराई गई हैं। गन्ना विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस मशीन के उपयोग से फसल में कम खरपतवार और कम पानी की आवश्यकता होगी। वहीं सूखी पत्ती जलाने से होने वाले वातावरणीय प्रदूषण से भी बचाव होगा।

प्रति घंटा किराये के हिसाब पर मिलेंगी मशीनें
जिले में एक लाख से अधिक गन्ना किसान हैं, जिसमें अधिकतर लघु और सीमांत किसान हैं। इन सभी किसानों के लिए यह मशीनें खरीद पाना असंभव है। ऐसे में गन्ना विभाग ने समितियों को फार्म मशीनरी बैंक स्थापित कर किसानों को ट्रेस मल्चर मशीनें किराये पर देने की व्यवस्था बनाई है। प्रत्येक मशीन का प्रति घंटा किराया भी निर्धारित किया गया है।

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