बांदा में पारा लुढ़ककर 8 डिग्री पर पहुंचा, हाड़कंपाऊ ठंड ने डाला डेरा
बांदा,अमृत विचार। बुंदेलखंड में गुरुवार को पारा 8 डिग्री सेल्सियस तक नीचे लुढ़क गया। शीतलहर के साथ हाड़कंपाऊ ठंड ले अपना डेरा डाल दिया है, जिसकी वजह से बुजुर्ग और बच्चे इस ठंड से बचने को अपने घरों पर ही कैद रहने को मजबूर हो गए। ऐसे में बादलों को चीरकर खिली गुनगुनी धूप ने संजीवनी का काम कर दिया। आज यहां अधिकतम पारा 22 डिग्री तक दर्ज किया गया। उधर, मौसम वैज्ञानिकों ने आने वाले दिनों में बुंदेलखंड में हल्की बारिश के साथ ठंड में इजाफा बढ़ने की सूचना दी है।
सर्दी को लेकर बुंदेलखंड में एक कहावत प्रचलित है ‘धन के पंद्रह मकर पचीस, जाड़े के दिन हैं चालीस’ यहां के बुजुर्ग इसका अर्थ बताते हैं कि मकर संक्रांति के 15 दिन पहले और मकर संक्रांति के 25 दिन बाद तक यानि तकरीबन 10 फरवरी तक जाड़ा पड़ता है। बुंदेलखंड में पड़ने वाली सर्दी के परिपेक्ष्य में यह बात एकदम फिट भी बैठती है। यहां ठंड दिसंबर माह के आखिरी दिनों में ही शुरू होती है, जो पूरा जनवरी माह उफान पर रहती है। दिसबंर माह भी दो तिहाई बीत चुका है। बीते दो-तीन दिनों से बुंदेलखंड में भीषण ठंड पड़ रही है। पारा प्रतिदिन एक डिग्री नीचे लुढ़क रहा है। बुधवार को पारा लुढ़ककर 8 डिग्री सेल्सियश तक पहुंच गया। शीतलहर और हाड़कंपाऊ सर्दी के चलते आलम यह है कि रजाई और कंबल में भी लोगों को सर्दी से राहत नहीं मिल पा रही है। तमाम सारे बच्चों के अर्द्धवार्षिक एग्जाम चल रहे हैं। ऐसे में इन बच्चों को सुबह घने कोहरे में स्कूल जाने में भयानक सर्दी का सामना करना पड़ रहा है। शीतलहर के चलते आसमान में रोज बादल भी छा जाते हैं, जिससे लोगों को बदन सेंकने के लिए गुनगुनी धूप का भी संकट हो जाता है। हालांकि दिन 10 बजे के बाद बेहतरीन गुनगुनी धूप खिली, जो भयानक सर्दी में सर्दी से ठिठुरते लोगों के लिए संजीवनी का काम कर गई। उधर, मौसम वैज्ञानिकों ने आने वाले दिनों में हल्की बारिश के साथ ठंड और बढ़ने के संकेत दिये हैं।
कोहरे व धुंध से मंद पड़ी ट्रेनों की रफ्तार
कोहरे और धुंध के चलते यहां से गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार को भी मंद कर दिया है। खासकर लंबी दूरी की ट्रेनें दो से तीन घंटा तक विलंब से चल रही हैं। रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को महाकौशल दो घंटे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस व संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन तकरीबन डेढ़ घंटा देरी से आई। इसके अलावा अन्य ट्रेनें भी देरी से चल रही हैं।
नाकाफी साबित हो रहे पालिका के अलाव
शीतलहर और हाड़कंपाऊ सर्दी को देखते हुए नगर पालिका परिषद और तहसील द्वारा नगर में सभी चौराहों और तिराहों पर अलग-अलग अलाव जलवाए जा रहे हैं। लेकिन लोगों की शिकायत है कि अलाव में लकड़ियां बेहद कम डाली जा रही हैं। जिसकी वजह से लोगों को अपने ही संसाधनों से अलाव जलवाने पड़ रहे हैं। आम लोगों के पास लकड़ियों का इंतजाम न होने के कारण तमाम लोग पुराने टायर और पॉलीथीन भी जला रहे हैं, जिससे वातावरण दूषित हो रहा है।
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