बरेली: रबर फैक्ट्री एम्स या इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनने की संभावनाएं बढ़ीं

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Published By Om Parkash chaubey
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सांसद और विधायक पहले ही प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के समक्ष रख चुके हैं मांग, अब वनमंत्री बोले- फैसला प्रशासन की जीत है, जमीन पर एम्स की स्थापना कराएंगे

बरेली, अमृत विचार: बॉम्बे हाईकोर्ट के अहम निर्णय के बाद रबर फैक्ट्री की जमीन मिलने के पक्ष में राज्य सरकार के कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। जमीन मिलने की राह खुलने के बाद 1300 एकड़ की जमीन पर एम्स और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनने की संभावनाएं भी खुल गई हैं। एम्स बनाने की मांग पिछले चार साल से उठाई जा रही है।

सांसद धर्मेंद्र कश्यप, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद संतोष गंगवार से लेकर विधायक मीरगंज डा डीसी वर्मा भी एम्स की पैरवी कर चुके हैं। धर्मेंद्र कश्यप ने स्वयं प्रधानमंत्री से एम्स बनवाने की मांग उठाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बरेली में हुए कई दौरों में जनप्रतिनिधियों ने एम्स की पुरजोर मांग की। जिसके बाद शासन स्तर से भी एम्स को लेकर कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई थी।

अब वनमंत्री डा अरुण कुमार ने स्पष्ट कहा है कि रबर फैक्ट्री की जमीन पर एम्स की स्थापना के साथ इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने की पहल तेजी से आगे बढ़ाई जाएगी। गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट से आए निर्णय को जिला प्रशासन की जीत बताते हुए वनमंत्री ने कहा है कि जमीन मिलने के पक्ष में कई सीढ़ी आगे बढ़े हैं। जमीन लेने के लिए अन्य प्रक्रियाएं भी जल्द पूरी कराई जाएंगी।

इधर, सितंबर माह में यूपीडा के अधिकारियों ने एक हजार एकड़ भूमि में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने के लिए रबर फैक्ट्री की जमीन देखी थी। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने के पीछे रोजगार सृजन और आर्थिक उन्नयन की दृष्टि से बरेली समेत कई जनपदों को समृद्ध बनाने की बात कही थी। यूपीडा के अधिकारियों ने मीरगंज और सदर एसडीएम और राजस्व टीम के साथ रबर फैक्ट्री की भूमि की पैमाइश करने के साथ स्वामित्व, अभिलेखीय स्थिति, विधिक विवाद आदि की जानकारी ली थी।

दरअसल, सिन्थेटिक एंड कैमिकल्स (रबड़ फैक्ट्री) की भूमि पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लाने के लिये लखनऊ से दिल्ली तक तरफदारी की कई बार हुई। टेक्सटाइल पार्क और हथकरघा का बड़ा प्रोजेक्ट फाइनल हुआ लेकिन जमीन न होने की वजह से टेक्सटाइल पार्क हाथ से निकल गया था। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष फैक्ट्री की भूमि पर ''एम्स जैसा अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस चिकित्सालय निर्माण'' का मामला उठाया था।

सेल डीड के अहम तथ्य ने राज्य सरकार के पक्ष में आया निर्णय: जिला प्रशासन की ओर से रबर फैक्ट्री केस की पैरवी कर रहे अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व संतोष बहादुर सिंह का कहना है कि मुंबई के सेठ किला चंद को जमीन देने के दौरान 1960 में तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से तैयार की गई सेल डीड के अहम तथ्य से ही यह निर्णय राज्य सरकार के पक्ष में आया है। अलकेमिस्ट कंपनी के पक्ष में हुए फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने वापस कर दिया है। अब शपथपत्र दाखिल करने के लिए उच्चाधिकारियों का मार्गदर्शन लेकर कानूनविदों से राय ली जाएगी।

21 साल पूर्व जमीन पर नहीं, 30 बैंकों ने मशीनों पर दिया था 147 करोड़ का ऋण: बरेली रबर फैक्ट्री की 1380 एकड़ जमीन पर बैंकों से करीब 147 करोड़ रुपये का ऋण जमीन को बंधक बनाकर लिया गया था लेकिन प्रशासन ने ऋण लेने के संबंध में लीड बैंक मैनेजर के यहां जांच कराई, तब यह मालूम हुआ कि 30 बैंकों से ऋण मशीनों पर लिया गया था। जमीन बैंकों में बंधक नहीं मिली।

यह तथ्य सामने आने पर प्रशासन को जमीन वापस मिलने की राह का अहम रोड़ा हट गया था। 1999 से पहले प्रबंधन ने मिल का संचालन कराने के लिए 30 बैंकों से करीब 147 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। यह ऋ ण अदा न होने की वजह से तीन गुना बढ़ गया है।

1380.23 एकड़ भूमि 309554 रुपये में खरीदी गयी थी: प्रकरण के परीक्षण में मालूम हुआ कि 2 मई, 1961 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल एवं मैसर्स सिन्थेटिक एंड केमिकल्स लिमिटेड कंपनी के मध्य अंतरण विलेख (डीड ऑफ ट्रांसफर) निष्पादित किया गया।

तहसील बरेली में शामिल ग्राम रूकुमपुर व माधौपुर माफी से संबंधित बंदोबस्त अभिलेख अंतरण विलेख एवं खतौनियों में परीक्षण के बाद रबर फैक्ट्री के संबंध में कई निष्कर्ष सामने आये। 2 मई, 1961 में अंतरण विलेख में ग्राम भिटौरा नौगवां उर्फ फतेहगंज पश्चिमी, ग्राम कुरतरा तहसील मीरगंज और रूकुमपुर व माधौपुर गांव तहसील सदर के चार राजस्व गांवों का कुल क्षेत्रफल 1380.23 एकड़ रकबा, तीन लाख नौ हजार पांच सौ चौवन रुपये में खरीदा था।

रूकुमपुर व माधौपुर माफी में इतनी किसानों से ली गयी: अंतरण विलेख के अनुसार माधौपुर माफी के किसानों की 137.75 एकड़ भूमि, ग्राम समाज की 149.62 एकड़ भूमि और रूकुमपुर गांव के किसानों की 15.94 एकड़ भूमि, ग्राम समाज की 6.41 एकड़ भूमि कंपनी के नाम की गयी। दोनों राजस्व गांवों का कुल 153.69 एकड़ भूमि वर्ष 1967 में एसडीओ द्वितीय द्वारा रबर फैक्ट्री के पक्ष में नाम करने का आदेश पारित किया गया।

रक्षित खतौनियों में 10 फरवरी, 1967 को कंपनी के नाम हुई भूमि

राजस्व ग्राम किसानों की भूमि (एकड़) ग्राम समाज कुल भूमि

भिटौरा नौगवां 369.35                         105.59 474.94

 

कुरतरा             396.66                         198.91 595.57

 

माधौपुर माफी 137.75                         149.62 287.37

 

रूकुमपुर             15.94                         6.41             22.35

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