पीलीभीत: 11 घंटे लापरवाही और अनुमति में बिताए, एक घंटे में हुए सफल...रेंजर से भी भिड़ी भीड़
पीलीभीत, अमृत विचार: कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव अटकोना में देर रात किसान सुखविंदर सिंह के घर में घुसी बाघिन को करीब एक घंटे तक चले अभियान के बाद रेस्क्यू किया जा सका। जबकि 11 घंटे लापरवाही और अनुमति के इंतजार में बिता दिए गए।
इस दौरान कई बड़ी लापरवाहियां उजागर हुई। दो डॉट मिस होने के बाद चौथी डॉट में बाघिन को जैसे-तैसे बेहोश किया गया। बाघिन के बेहोश होते ही ग्रामीणों की भीड़ ने बाघिन को घेर लिया। भीड़ में शामिल एक ग्रामीण तो बाघिन के पास जाकर उसे धकियाने की कोशिश करने लगा। तब वनकर्मियों ने बमुशिकल ग्रामीणों को वहां से हटाया। कड़ी मशक्कत के बाद वनकर्मियों ने बाघिन को पिंजरे में कैद किया। बाघिन को माला रेंज ले जाया गया है।
किसान सुखविंदर सिंह के घर की दीवार पर डेरा जमाए बाघिन की सूचना रात में ही वन अफसरों को दे दी गई थी। इसके बावजूद वन कर्मियों की टीम मंगलवार सुबह करीब पांच बजे मौके पर पहुंची। तब तक ग्रामीणों की भारी भीड़ मौके पर जमा हो चुकी है।
मौके पर पहुंचे वनकर्मियों ने खाबर लगाकर के साथ उच्चाधिकारियों को स्थिति की जानकारी दी। इसके बार विभाग के अफसरों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। घंटों दीवार पर बैठी बाघिन को जल्द न पकड़ने और टीम के देरी से पहुंचने पर ग्रामीणों का गुस्सा उबाल मार गया।
भीड़ ने मौके पर पहुंचे एक रेंजर को आड़े हाथों ले लिया। बताते कि कहासुनी के साथ रेंजर और ग्रामीणों के बीच धक्का मुक्की भी हो गई। मौके पर मौजूद पुलिस ने बमुश्किल ग्रामीणों को शांत किया। करीब दस बजे पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने उच्चाधिकारियों को पूरी स्थिति से अवगत कराते हुए बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज करने की अनुमति मांगी।
हंगामे के बीच 11 बजे से शुरू हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन
बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज करने की अनुमति मिलने के बाद डिप्टी डायरेक्टर के नेतृत्व में 11 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। पीटीआर के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दक्ष गंगवार ने दीवार पर बैठी बाघिन पर ट्रैंक्यूलाइज गन से डॉट चलाई। इस बीच 10-11 ग्रामीणों की भीड़ सुरक्षा घेरे को तोड़ती हुई बाघिन तक पहुंच गई। वनकर्मी कुछ कर पाते, इससे पहले ही एक ग्रामीण ने बाघिन को धकियाना शुरू कर दिया। बमुश्किल ग्रामीणों को वहां हटाया गया। इस बीच बेहोश हुई बाघिन को पकड़ने का प्रयास किया गया, लेकिन हल्का बेहोश होने के कारण बाघिन को नहीं पकड़ा जा सका और बाघिन लड़खड़ाते हुए मकान में खडी कार के पास जा पहुंची।
इस बीच डॉ. दक्ष द्वारा चलाई गई तीसरी डॉट भी मिस हो गई। इस पर भीड़ ने हंगामा शुरू कर दिया। कुछ देर बाद चौथी डॉट चलाई गई। चौथी डॉट के लगने के बाद भी बाघिन को कब्जे में करने के लिए वन कर्मियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी। बमुश्किल बाघिन पर काबू पाते हुए उसे पिंजरे में कैद किया जा सका। बाघिन के पिंजरे में कैद होते ही वन कर्मियों की टीम आनन फानन में उसे वाहन में लादकर माला रेंज ले गई। जहां पशु चिकित्सा अधिकारियों की टीम ने बाघिन का परीक्षण किया। वन अफसरों के मुताबिक बाघिन को उच्चाधिकारियों के निर्देश मिलने के बाद ही रिलीज किया जाएगा।
दो महीने से आतंक का पर्याय बनी हुई थी बाघिन
मंगलवार को गांव अटकोना में जिस बाघिन को रेस्क्यू किया गया है, पीटीआर के अफसरों का दावा है कि यह वहीं बाघिन है जो पिपरिया संतोष समेत आसपास गांवों के पास मूवमेंट कर रही थी। इसको पकड़ने के लिए शासन द्वारा करीब पखवाड़ा भर पहले ही अनुमति मिल चुकी थी। बाघिन को रेस्क्यू करने के बाद उसे माला रेंज ले जाकर परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान डाटा मिलान करने के बाद इसका खुलासा हो सका। यह बाघिन पिछले दो माह से पिपरिया संतोष समेत आसपास के गांवों में देखी जा रही थी।
रेस्क्यू की गई बाघिन का परीक्षण किया गया है। बाघिन की पहचान को डाटा मिलान भी किया गया। जिसमें पाया गया कि यह वहीं बाघिन को जिसको रेस्क्यू करने के लिए पूर्व में अनुमति मिली थी। अब उच्चाधिकारियां का निर्देश मिलने के बाद ही बाघिन को रिलीज किया जाएगा---नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर।
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