रायबरेली: राजनीतिक मंच तक सीमित रहे बकुलाही झील की सफाई के सियासी दावे, किसानों की नहीं सुनी किसी ने फरियाद!

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Published By Sachin Sharma
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ntpc ने भी सफाई का किया था औपचारिक उद्घाटन लेकिन हालत रही जस की तस

आशीष दीक्षित, रमेश शुक्ला, रायबरेली। रोहनिया विकास खंड की हजारों एकड़ भूमि को बंजर बनाने वाली बकुलाही झील को सफाई को लेकर खूब सियासी दावे हुए हैं। हर राजनैतिक दल की तरफ से समय-समय पर क्षेत्र के किसानों को झील के दंश से मुक्त कराने के सपने दिखाए गए लेकिन यह सपने कभी साकार नहीं हुए। कई बार योजनाएं बनीं, झील में जेसीबी मशीन तक लगाकर सफाई का उद्घाटन हुआ वहीं एनटीपीसी की तरफ से भी औपचारिक सफाई का उद्घाटन हुआ लेकिन यह सारी कवायद परवान न चढ़ सकी। झील का जहर आज तक साफ नहीं हो सका। हालांकि चुनावी मुद्दा हर चुनाव में ऊंचाहार में झील को सबसे अहम बना देता है। 

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जिले के सलोन विकास खंड और रोहनिया ब्लाक के किसानों की जीविका पर संकट बनकर कहर ढा रही बकुलाही झील को लेकर कई दशक से सियासी खेल हुआ है। झील की सफाई को लेकर राजनेताओं ने क्षेत्रीय लोगों को खूब सपने दिखाए। राजनीतिक मंच से बड़े-बड़े दावे किए गए और मंच के सामने जमीन पर बैठे किसानों ने नेताओं के दावों पर तालियां बजाईं, उनके द्वारा दिखाए सपनों को किसानों ने अपनी आंखों में सजाकर सुनहरे दिन का इंतजार किया लेकिन किसानों का यह इंतजार कभी पूरा नहीं हुआ। खुली आंखों से देखे गए सपने समय के साथ चूर-चूर हो गए । झील का पानी खेतों में देखकर किसानों की आंखें आज भी सजल हो जाती हैं। 

दस साल पहले एनटीपीसी ने भी किया था शिलान्यास

बात सन 2012 की है । प्रदेश में विधान सभा चुनाव का आगाज होने वाला था। केंद्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार थी। कांग्रेस ने रायबरेली की विधान सभा सीटों की जीतने के लिए रणनीति बनाई जिसमें बकुलाही झील की सफाई प्रमुख मुद्दा थी। चुनाव से ठीक पहले भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम एनटीपीसी ने उमरन गांव के पास स्थित पांच पीर बाबा मंदिर के सामने मैदान में झील की सफाई का शिलान्यास किया। जिसमें ऊंचाहार परियोजना के उस समय मुख्य महाप्रबंधक रहे प्रकाश तिवारी ने स्थानीय नेताओं के साथ बड़ी सभा की थी।

सभा में बकुलाही झील की सफाई का जिम्मा एनटीपीसी ने लेते हुए इसके लिए एक कार्ययोजना प्रस्तुत की थी। करोड़ों की लागत से झील को प्रतापगढ़ जनपद की सीमा तक सफाई करना था । क्षेत्रीय किसान इस पहल से गदगद थे । लोगों को उम्मीद जागी थी । उसके बाद चुनाव हुआ लेकिन कांग्रेस हार गई। इसी के साथ सारी उम्मीदें भी धूमिल हो गई । एनटीपीसी द्वारा किया गया शिलान्यास का पत्थर तक अब मौके से गायब हो चुका है । 

सपा ने झील में उतार दी थी जेसीबी

2017 विधान सभा चुनाव से पहले सपा की तरफ से भी रोहनिया ब्लाक के किसानों को झील की सफाई का सपना दिखाया था । इस समय कुछ जेसीबी मशीन भी झील में विभिन्न स्थानों पर लगाई गई थी । जिसकी फोटोग्राफी हुई । सपा की ओर से दावा किया गया कि विधान सभा चुनाव के बाद झील की सफाई होगी और किसानों की जमीनें सीपेज से मुक्त होंगी लेकिन यह दावा भी जमीन पर नहीं उतर पाया है। 

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