पीलीभीत: 1991 के चुनाव में सांसद और विधायक वही बने जो राम जन्मभूमि आंदोलन में रहे सक्रिय
कार सेवा के लिए अयोध्या पहुंचने के ऐलान से पहले ही शुरू हो चुका था शिलापूजन, प्रभात फेरियों में रोकटोक के बाद भी जुटती थी बड़ी संख्या में भीड़
सौरभ सिंह, पीलीभीत, अमृत विचार: अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के साथ ही 22 जनवरी को प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देशभर में रामलहर सा माहौल बन चुका है। नए साल के पहले दिन से ही अक्षत वितरण को घर-घर कार्यकर्ता पहुंचना भी शुरू हो गए। भजन कीर्तन और भव्य दिवाली मनाने की तैयारी कर ली गई है। इन सब के बीच अस्सी और नब्बे के दशक के राम आंदालन की यादें भी ताजा हो रही है।

इस आंदोलन से जुड़े रहे नायकों और उनके परिवार उत्साहित हैं। वहीं, राजनीतिक क्षेत्र में भी अब प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर तेजी से बन रही रामलहर ने विपक्ष की चुनौतियों को भी कहीं न कहीं बढ़ा दिया है। बताते हैं कि श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए अक्टूबर 1990 में हिंदू संगठनों ने कार सेवा के लिए अयोध्या पहुंचने का ऐलान किया था। इससे दो साल पहले से ही श्रीरामशिला पूजन का कार्यक्रम गांव-गांव और नगर में चल रहा था।
इसी के जरिए राम मंदिर का माहौल बनाया जाता था। वर्ष 1990 में दीपावली के मौके पर घर-घर दीपावली मनाएं, राम ज्योति से दीप जलाएं आंदोलन भी चलाया गया था। उस वक्त राम भक्तों की ओर से राम ज्योति मंगाई गई थी। जिसे घर-घर भेजा गया था। प्रयास किया गया था कि उसी से दीपक जलवाए जाएं। 1990 में और उससे दो साल पहले से ही बड़ी-बड़ी सभाएं की जाती थी। जिसमें बड़े-बड़े हिंदुत्व छवि वाले नेता बुलाए जाते थे।
साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती, विनय कटियार जैसे कई बड़े नेताओं की सभाएं पीलीभीत में कराई गई थी। नगर में पुरानी गल्ला मंडी में साध्वी ऋतंभरा की सभा हुई थी। रामा इंटर कॉलेज में उमा भारती की बड़ी सभा हुई थी। विनय कटियार की विशाल सभा पूरनपुर नगर में कराई गई थी। इस राम मंदिर आंदोलन का असर 1991 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था।
सांसद और विधायक वही बनें जो 1990 के राम जन्मभूमि आंदोलन में काफी सक्रिय रहे और लंबे अर्से तक जेल में बंद रहे। पीलीभीत सीट पर वीके गुप्ता, बरखेड़ा में किशनलाल, बीसलपुर में राम सरन वर्मा और पूरनपुर में प्रमोद प्रधान विधायक चुने गए थे। इसी के साथ ही रामलहर के दौरान 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ.परशुराम गंगवार ने भी जीत दर्ज की थी। पूर्व सांसद डॉ.परशुराम गंगवार का निधन हो चुका है।
उनके पुत्र दिनेश गंगवार ने बताया कि उनके पिता राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे थे। उस वक्त निकाली जाने वाली प्रभात फेरियों के अलावा आंदोलन से जुड़े तमाम कार्यक्रमों में शामिल रहे। छह दिसंबर 1992 को वह अयोध्या भी गए थे।
जेल जाने से पूर्व उन्होंने सभाएं भी की थी। श्रीराम मंदिर को लेकर चल रहे दशकों के संघर्ष को अब ऐतिहासिक बनता देख पूरे परिवार में खुशी है। वह खुद भी संघ से जुड़े हैं और एक जनवरी 2024 से अक्षत वितरण कार्यक्रम में जुट गए हैं।
अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही होने लगी थी गिरफ्तारी: उस वक्त अयोध्या कार सेवा करने के लिए भीड़ न पहुंच सके, इसके लिए अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही गिरफ्तारी शुरू हो गई थी। कार सेवक प्रभात फेरी निकालने लगे थे। पुलिस की रोक के बावजूद प्रभात फेरी में भीड़ जमा होती थी। बताते हैं कि अक्टूबर के पहले ही दिन जिले से करीब 50 से अधिक गिरफ्तारी हुई थी। उन्हें बस से बदायूं जिला जेल भेजा गया, जोकि नवंबर में रिहा किए गए थे।
जब श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या को रथ यात्रा शुरू की। उस वक्त हुई गिरफ्तारी में भी बदायूं जेल में पीलीभीत के एक हजार से अधिक कार सेवक बंद रहे थे। कईयों की तो दिवाली भी बदायूं जेल में मनी। अधिकांश कार सेवक शांतिभंग की आशंका में बंद किए गए थे। जिनका रिमांड भी जेल में ही किया जाता था। नवंबर में कार सेवकों को जेल से रिहा कर बसों से पीलीभीत तक छोड़ा गया था।
कार सेवा का मिला इनाम, बनाए गए मंडी समितियों के अध्यक्ष : बताते हैं कि राम जन्मभूमि आंदोलन का ही प्रभाव रहा था कि पीलीभीत में 1995 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी का जिला पंचायत पर कब्जा हुआ। भारतीय जनता पार्टी के नेता के रूप में बुद्धसेन वर्मा जिला पंचायत अध्यक्ष बने। राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद जिला सहकारी बैंक पर भी पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने अपना अध्यक्ष शासन स्तर से मनमोहन सिंह को नामित किया।
इसके अलावा 1991 में प्रदेश में सरकार बनते ही राम भक्त कार सेवकों को जिले की तीन कृषि उत्पादन मंडी समितियां में भी अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया। पीलीभीत मंडी समिति में विशन कुमार धामेजा, कस्बा बिलसंडा निवासी भाजपा नेता एवं अधिवक्ता रमेश चंद्र गुप्ता जोकि 1990 में जेल में बंद रहे थे। उन्हें बीसलपुर मंडी समिति का अध्यक्ष बनाया गया था।
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