रायबरेली से बांग्लादेश तक फेंसिडिल सिरप की पहुंच, फार्मा कंपनियों के खेल से चल रहा 'गोरखधंधा!  

Amrit Vichar Network
Published By Sachin Sharma
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बिहार और बांग्लादेश में फेंसिडिल सिरप की अधिक मांग  

रायबरेली। कोडिन और क्लोरफेनिरामाइन मिश्रण के कफ सिरप को प्रतिबंधित कर दिया गया है। फेंसिडिल सिरप इसमें प्रमुख है लेकिन रायबरेली के फार्मा एजेंसी चलाने वाले इस सीरप की आपूर्ति गुपचुप तरीके से बांग्लादेश तक करते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही डीएम के निर्देश पर 12 हजार फेंसिडिल सिरप की बोटल पकड़ी गई थीं तथा पांच फार्मा एजेंसी के लाइसेंस को निरस्त किया गया था।

वहीं बड़ी फार्मा कंपनी इतनी शातिर है कि कोडिन को सिरप में बनाए रखने के लिए नए फार्मूले से बाजार में सिरप उतार चुकी हैं। बताते हैं कि बांग्लादेश में फेंसिडिल सिरप की 30 एमएल बोतल की कीमत 1 हजार रुपये है। मतलब है कि वहां पर वह 550 टका में बिकती है। इसी तरह बिहार में शराब बंदी है तो वहां पर भी रायबरेली, भदोई, सुल्तानपुर, खीरी, गोरखपुर, संतकबीर नगर से सीरप की खेप पहुंचती है। यही नहीं इस सीरप के तार नेपाल से भी जुड़े हैं।

फेंसिडिल सिरप पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है लेकिन बिहार और बांग्लादेश में इसकी मांग बहुत अधिक है। इस कारण यह सिरप फार्मा एजेंसियों के माध्यम से भेजा जाता है। रायबरेली में भी यह सिरप खुले तौर पर नहीं बल्कि चोरी छिपे बेचा जाता है। अभी कुछ दिन पूर्व ही शहर और लालगंज में औषधि प्रशासन ने छापा मारकर कार्रवाई कर पांच एजेंसी के लाइसेंस को निरस्त कर दस्तावेजों की पड़ताल की थी। जिसमें कागज अधूरे मिले थे। इस सीरप की गैरकानूनी तरीके से बिक्री पिछले कई सालों से हो रही है।

सीरप में कोडिन और क्लोरफेनिरामाइन का मिश्रण है जो एनालजेसिक का काम करता है। दर्द के साथ खांसी में राहत देता है लेकिन दर्द का साल्ट मिला होने से इससे नींद भी आती है। मादक पदार्थों का सेवन कराने वाले इसी के कारण इस सीरप का उपयोग करते हैं। यही कारण है कि इसकी मांग है। रायबरेली में शहर के साथ लालगंज, महराजगंज, सलोन में यह सीरप बिकता है। मेडिकल स्टोर संचालक इसे लेकर अच्छे खासे दाम भी वसूल करते हैं।

वहीं फार्मा एजेंसी के व्यापार से जुड़े मेडिकल माफिया इस सीरप की तस्करी भी कराते हैं। इन मेडिकल माफियाओं का रैकेट प्रदेश के हर जिले में चलता है। रैकेट के जरिए ही सीरप की खेप बिहार और बांग्लादेश तक पहुंचती है। पश्चिम बंगाल के जो क्षेत्र बांग्लादेश सीमा से जुड़े हैं वहां भी यह सीरप खूब बिकता है। इन जगहों पर शराब बंदी है और शराब पीने वाले इस सीरप को विकल्प की तरह उपयोग करते हैं। यह सीरप एक ब्रांडेड कंपनी का आता है लेकिन अब मेडिकल बाजार में कई कंपनियों ने इस सीरप को नए नाम से उतार दिया है।

औषधि प्रशासन विभाग के पास यह भी एक बड़ी समस्या है कि अधिकारियों को सीरप के कंपोजीशन को देखना पड़ रहा है। कई कंपनियों ने दवा के कंपोजीशन में भी घालमेल कर उसे बाजार में उतारा है ताकि इसकी पकड़ न हो सके। 

गत दिनों की की गई थी बड़ी कार्रवाई 

शासन से मिली सूची के आधार पर औषधि निरीक्षक शीवेंद्र प्रताप सिंह ने गत दिनों जांच की तो हनुमंत मेडिकल एजेंसी छोटा घोसियाना और रोहित फार्मा गेगासों से करीब 23 हजार प्रतिबंधित सिरप की आपूर्ति की पुष्टि हुई। इन दोनों मेडिकल स्टोर से प्रदेश के साथ ही बिहार और बांग्लादेश में भी सिरप की आपूर्ति की गई। उनकी ओर से उपलब्ध कराए गए बिल जांच में फर्जी पाए गए थे।

इसी तरह प्रतिबंधित सिरप के अवैध कारोबार के मामले में औषधि निरीक्षक ने शहर के महरोत्रा मेडिकल स्टोर व आदर्श मेडिकल स्टोर संचालकों को नोटिस दिया है। दोनों स्टोर से लाखों रुपये की फेंसिडिल सिरप की आपूर्ति करने का आरोप है। दोनों स्टोर से प्रतिबंधित सिरप लेने वाले प्रतापगढ़, जौनपुर, चंदौली, वाराणसी, मुगलसराय के अलावा बिहार के कई जिलों के मेडिकल स्टोर संचालकों को भी नोटिस भेजा गया था।

फेंसिडिल सिरप पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसे लेकर मेडिकल स्टोर और फार्मा एजेंसी पर छापामार कार्रवाई की जा रही है। अभी कुछ दिन पहले ही भारी मात्रा में अवैध सिरप पकड़े गए थे। अब कंपनियों ने इसमें भी खेल करना शुरू कर दिया है। कोडिन की जगह उससे मिलता जुलता कंपोजीशन मिलना शुरू कर दिया है। जिस पर भी नजर रखी जा रही है। असल में कोडिनयुक्त सिरप की बिक्री बिहार और बांग्लादेश में अधिक है और इसी कारण यह वहां तक गैर कानूनी ढंग से पहुंचाई जाती है। शासन के निर्देश पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। 

                                                                                                              शीवेंद्र सिंह, औषधि निरीक्षक

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