लखीमपुर खीरी: कड़ाके की ठंड में रबी फसलों पर रोग-कीटों के प्रकोप का खतरा
कृषि विभाग ने रोग व कीटों पर नियंत्रण के उपाय किसानों को बताए
लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। कड़ाके की ठंड जहां रबी सीजन की प्रमुख फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए सहायक है। वहीं फसलों पर रोग और कीट के प्रकोप का भी खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में किसानों को सावधानीपूर्वक फसलोें की सुरक्षा के लिए नियमित देखभाल करने के साथ ही रोग-कीट पर नियंत्रण के लिए उपाय करने जरूरी होंगे। कृषि विभाग ने रोगों के नियंत्रण के लिए किसानों को उपाय बताते हुए एडवाइजरी जारी की है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी सत्येंद्र सिंह ने बताया कि रबी सीजन की प्रमुख फसलों में लगने वाले सामयिक कीट-रोग नियंत्रण करके फसलों के उत्पादन में होने वाली क्षति को रोका जा सकता है। साथ ही किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है। उन्होंने बताया कि गेहूं की खड़ी फसल में दीमक व गुजिया कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेअर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए।
माहू कीट के जैविक नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ईसी की 2.5 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए अथवा रासायनिक नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ईसी या ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 प्रतिशत ईसी एक लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेअर की दर से छिड़काव करना चाहिए। पीली गेरूई के नियंत्रण के लिए प्रॉपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी 500 मिलीलीटर प्रति हेक्टेअर की दर से छिड़काव किया जाए। पत्ती धब्बा रोग नियंत्रण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्लूपी 700 ग्राम अथवा मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी दो किलोग्राम प्रति हेक्टेअर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
राई-सरसों की फसल में आरा मक्खी बालदार सूंडी का प्रकोप होने पर मैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी की 1.50 लीटर अथवा क्यूनालफास 25 प्रतिशत ईसी की 1.25 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेअर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। पत्ती सुरंगक कीट के नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन नीम आयल 0.15 प्रतिशत ईसी की 2.50 लीटर प्रति हेक्टेअर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
अल्टरनेरिया, सफेद गेरूई या तुलासिता रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी दो किलोग्राम को प्रति हेक्टेअर की दर से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा चना-मटर-मसूर में सेमीलूपर कीट का प्रकोप होने पर इसके नियंत्रण के लिए 50-60 बर्डपर्चर प्रति हेक्टेअर की दर से लगाना चाहिए, जिस पर चिड़िया बैठकर सूंड़ियों को खा सके।
जैविक नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन 0.03 प्रतिशत डब्लूएस की 2.50 से 5 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेअर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। एस्कोकाईटा ब्लाईट से चने की पत्ती में धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्लूपी की दो किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेअर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
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