खलीलाबाद ब्लॉक के गांवों में मनरेगा द्वारा फर्जी मस्टररोल का खेल जारी

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

प्रधान और सचिवों की मिलीभगत से सिर्फ कागजों में ही निपटा दिए जाते हैं मजदूर, कर दिया जाता है करोड़ों का भुगतान

संतकबीर नगर। मनरेगा में फर्जी मास्टररोल और फर्जी भुगतान के मामले में सेमरियावां, नाथनगर, हैंसर बाजार, बघौली और सांथा ब्लॉक का नाम सबसे पहले सामने आता था। लेकिन एक कहावत गांव में कही जाती है कि तरबूज को देख कर खरबूज भी रंग बदलता है। ठीक उसी तरह खलीलाबाद ब्लॉक भी उन ब्लॉकों की तरह मनरेगा कार्यों में फर्जी मास्टर रोल और उनके भुगतान में सभी ब्लाकों को पीछे छोड़ अव्वल नंबर पर अपनी जड़े जमाने में जुटा है। 
 
यह है पूरा मामला 

हम बात कर रहे हैं महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा की। जिसके तहत सरकार तमाम निचले स्तर के गरीबों और असहाय मजदूरों को वर्ष में मनरेगा योजना के तहत 100 दिन का कार्य देने के लिए कटिबद्ध है। परंतु देखा जा रहा है कि जनपद मुख्यालय का ब्लाक खलीलाबाद ग्राम प्रधानों और सचिवों के भ्रष्टाचार का अड्डा बनता जा रहा है। केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना मनरेगा के नियमों को ताक कर रख कर खुद की खाऊ कमाऊ नीति से उसकी गाइडलाइन के विपरीत फर्जी मस्टरोल का सहारा लेकर फर्जी भुक्तान कराने में लगे हैं। 

जानकारों की माने तो बृहस्पतिवार को कड़ाके की ठंड और तापमान तकरीबन 19 डिग्री सेल्सियस जो सुबह से ही शरीर को गला देने वाली रही और सभी लोग अपने अपने घरों में दुबक कर बैठे रहने को मजबूर थे तो ग्राम पंचायतों के प्रधान और सचिव भी बाहर निकले के लिए सोचते होंगे। लेकिन इस भीषण ठंड में भी ग्राम प्रधान और सचिव गांवों में मनरेगा के मस्टरोल से खेल करने में जुटे थे।ब्लॉक कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर लाखों का वायरा न्यारा कर रहे थे। 

इन गांवों में चल रहा थी फर्जी मस्टर रोल का खेल

बृहस्पतिवार 4 जनवरी 2024 को कड़ाके की ठंड तापमान 19 डिग्री सेल्सियस और इन गांव में फर्जी तरीके से चल रहे थे मास्टरोल। एकमा गांव में 4 प्रोजेक्ट पर 27 मजदूर, बनकटिया में 1 प्रोजेक्ट में 50 मजदूर,  भरपुरवा में 3 प्रोजेक्ट पर 73 मजदूर, डड़वा में 3 प्रोजेक्ट पर 100 मजदूर, दलेलगंज में 15 प्रोजेक्ट पर 99 मजदूर, धमईचा में 1 प्रोजेक्ट पर 23 मजदूर, धमरजा में 3 प्रोजेक्ट पर 28 मजदूर, धरईची में 4 प्रोजेक्ट पर 76 मजदूर, दुलहीपार में 2 प्रोजेक्ट पर 52 मजदूर, गड़सरपार में 11 प्रोजेक्ट पर 127 मजदूर, गिरधरपुर में 3 प्रोजेक्ट पर 52 मजदूर, हाड़ापार में 3 प्रोजेक्ट पर 82 मजदूर, इमिलडीहा में 3 प्रोजेक्ट पर 325 मजदूर, कौआठोड़ में 1 प्रोजेक्ट पर 49 मजदूर, केरमुआ माफी में 3 प्रोजेक्ट पर 59 मजदूर, उर्दहवा में 3 प्रोजेक्ट पर 104 मजदूर, महुंई में 3 प्रोजेक्ट पर 152  मजदूर, मीरगंज में 1 प्रोजेक्ट पर 49 मजदूर, पड़रिया में 2 प्रोजेक्ट पर 33 मजदूर, पकड़ीहा में 12 प्रोजेक्ट पर 143 मजदूर, रानीपार में 1 प्रोजेक्ट पर 29 मजदूर, रसूलाबाद में 3 प्रोजेक्ट पर 74 मजदूर, रउतापार में 1 प्रोजेक्ट पर 117 मजदूर, सेमरा में 4 प्रोजेक्ट पर 40 मजदूर, तरैनी में 7 प्रोजेक्ट पर 102 मजदूर, उमरी खुर्द में 1 प्रोजेक्ट पर 31 मजदूर, उपरौध में 1 प्रोजेक्ट पर 50 मजदूर, विश्वनाथपुर में 1 प्रोजेक्ट पर 13 मजदूर अदृश्य तरीके से काम कर रहे थे।

यह तो महज एक बानगी है। तमाम अन्य ग्राम पंचायतों में भी मनरेगा योजना में यही खेल जारी है। गांवों में फर्जी तरीके से मस्टररोल चालू कर ब्लॉक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर मनरेगा मजदूर अदृश्य होकर जॉब कार्डों में अपनी हाजिरी लगा कर प्रतिदिन तकरीबन 6 लाख 25 हजार 830 रुपए केंद्र सरकार को चपत लगा कर भुगतान कराने में लगे हैं।

क्या कहते हैं खण्ड विकास अधिकारी!

इस बारे में बात करने पर खण्ड विकास अधिकारी विनोद मणि त्रिपाठी ने कहा कि मामला संज्ञान में है। जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जब हमारी टीम ने इन गांवों में जाकर कार्यों का सत्यापन किया तो इक्का दुक्का कार्यों को छोड़ मजदूर तो मजदूर गांव में कहीं कोई काम होता धरातल पर नहीं दिखा। 

ईमानदारी से जांच हो तो नपेंगे कई जिम्मेदार

अगर जिले के जिम्मेदार अधिकारी  इन मामलों को संज्ञान में लेकर कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करें तो सरकार के करोड़ों रुपए गबन होने से बच जाएंगे और शायद खलीलाबाद ब्लॉक भी सीबीआई जांच की जद में आने से बच जाएगा। ईमानदारी पूर्वक जांच हुई तो तमाम जिम्मेदारों की गर्दनें फंस सकती हैं।

यह भी पढ़ें:-बहराइच: 21 साल पुराने मामले में भाजपा विधायक सुरेश्वर को 2 साल की सजा, 2500 रुपए का अर्थदंड

संबंधित समाचार