बरेली: जब वानर सेना ने रामभक्तों की बचाई थी जान, बंदरों ने बैरिकेडिंग में छोड़े करंट का तोड़ दिया था तार
विकास यादव/विवेक सागर, बरेली। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर कार सेवकों के साथ कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्हें याद कर वह आज भी सिहर जाते हैं। उस पल को याद कर उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जिस दौरान अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने के लिए जगह-जगह से रामभक्त अयोध्या जा रहे थे।

उस दौरान कई कार सेवकों को अपनी जान गंवाना पड़ी। साथियों की मौत के बाद आगे का सफर तय करना उन्हें असहनीय पीड़ा की याद दिलाता था। लेकिन उसके बाद भी राम नाम का जाप कर कदम आगे बढ़ते जा रहे थे। यह भी कह सकते हैं कि यह कार सेवक सिर पर कफन बांध कर भगवान श्री राम की नगरी के लिए निकले थे।

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1992 में अयोध्या में बरेली से हजारों की सख्या में कारसेवक गए थे। जिसमें तमाम हिंदू संगठन जैसे विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल आदि शामिल थे। पुराने दिन ताजा करते हुए उस समय विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री रहे सतीश शर्मा ने बताया कि उनके साथ बजरंग दल के अधिवक्ता पूरनलाल प्रजापति 16 अक्टूबर को कारसेवकों की व्यवस्था करने गए थे।
इस दौरान प्रदीप रूहेला सभी के आने जाने की व्यवस्था करते थे। तीस अक्टूबर को उन सभी ने वह भयावह स्थिति देखी जब कारसेवकों पर गोली बरसाई गई थी। अपने आप को बचाते हुए किस तरह स्थिति का सामना किया।
उस दौरान जिस बस से वह जा रहे थे, उसे एक साधू चला रहा था। पुलिस ने कार सेवकों को रोकने के लिए जगह-जगह बैरियर पर करंट दौड़ा दिया था। किसी को यह पता हीं नहीं था कि बैरियर पर करंट दौड़ रहा है। सभी श्री राम के नाम का उदद्योष करते हुए बढ़े जा रहे थे। तभी अचानक उन्होंने देखा कि कहीं से वहां वानर सेना आ गई।

वह वानर सेना बिजली के पोल पर चढ़ गई और उसने पोल को हिला दिया। जिससे करंट के तार पोल से हट गए और कार सेवक सकुशल आगे निकल पड़े। किसी ने सोचा भी नहीं था कि स्वयं श्री राम की वानर सेना आकर उनके प्राण बचाएगी।
डाकुओं के साथ रहे
कार सेवकों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था। वह बचते-बचाते अयोध्या जा रहे थे। इस दौरान उनकी मुलाकात कई बार डाकुओं के गिरोह से भी हुई। डाकुओं ने उन्हें शरण देकर आगे तक उनकी मदद की। यहां तक की उनकी लड़ाई में बराबर की भागीदारी निभाई। कई बार पुलिस से उन्हें बचाने के साथ ही खाने-पीने की व्यवस्था की थी।
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