पीलीभीत: बिगड़ैल बाघिन ने खूब फैलाया आतंक, 88 घंटे और 8 शिफ्टों की निगरानी के बाद खुद हो गई कैद
पीलीभीत, अमृत विचार: शहर समेत आसपास के रिहायशी इलाकों में दहशत फैलाने वाली बिगड़ैल बाघिन वन महकमे की 88 घंटे तक चली कवायद के बाद आखिरकार खुद ही पिंजड़े में कैद हो गई। बाघिन को गिरफ्त में लेने के लिए पांच दिनों में 12-12 घंटे की चली आठ शिफ्टों की निगरानी के बाद वन महकमे को सफलता हासिल हुई।

खास बात यह है कि बाघिन को पकड़ने के लिए बनाई गई रेस्क्यू टीम में शामिल बड़े वन अफसर इस अभियान के अंतिम पांच मिनट में पहुंच सके। पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल और सामाजिक वानिकी के डीएफओ आरके सिंह उस समय मौके पर पहुंचे जब पिंजड़े को वाहन पर लादा जा चुका था। डिप्टी डायरेक्टर ने पिंजड़े को पीटीआर मुख्यालय ले जाने के निर्देश दिए। बताते हैं कि दोनों वन अफसर बरेली में होने वाली एक विभागीय मीटिंग में शामिल होने गए थे।
कलीनगर तहसील क्षेत्र में दो माह तक आंतक मचाने वाली बाघिन को शासन से अनुमति मिलने के बाद 26 दिसंबर 2023 को अटकोना गांव में किसान सुखविंदर सिंह के फार्महाउस से रेस्क्यू किया गया था। बाघिन के स्वास्थ्य को ले रही अटकलों के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर बाघिन के गले में रेडियो कॉलर लगाकर उसे 31 दिसंबर 2023 को पीलीभीत टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ा गया था।
करीब 12 दिन जंगल में बिताने के बाद बाघिन 11 जनवरी को पीलीभीत-पूरनपुर हाईवे पर गांव खाग सराय के पास दोबारा दस्तक दे दी। शुरूआत में वन महकमा बाघिन होने की बात को नकारता रहा, लेकिन जब 12 जनवरी की रात शहर के असम चौराहे के समीप एक होटल के पीछे बाघिन ने पहुंचकर आतंक मचाया तो वन अफसरों ने बाघिन के होने के बात स्वीकारी। उसी रात बाघिन शहर से चार किमी दूर सड़िया गांव में जा पहुंची।
रात में बाघिन ने गांव में घुसकर तीन मवेशियों को निवाला बना डाला था। वन अफसरों द्वारा इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई। छह दिन पूर्व पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने बाघिन को दोबारा रेस्क्यू करने की अनुमति दे दी। इस बीच बाघिन सड़िया समेत आसपास के गांवों में चहलकदमी करने के बाद 16 जनवरी को नगर पंचायत पकड़िया नौगवा के रिहायशी इलाके से करीब 150 मीटर की दूरी पर देखी गई।
बाघिन को रेस्क्यू करने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए बाघिन को पिंजड़े में कैद करने का निर्णय लिया। उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद 17 जनवरी को नगर पंचायत के आबादी क्षेत्र से करीब 150 मीटर की दूरी पर डबरी में पिंजड़ा लगाया गया। उसी रात बाघिन ने पिंजड़े के बाहर बंधी बकरी समेत एक कुत्ते को निवाला बना डाला। तबसे बाघिन की लोकेशन लगातार पिंजड़े के आसपास ही देखी जा रही थी। कई दिनों जगतार सिंह और नजीर शाह का परिवार की बाघिन की दहशत में था। अब बाघिन पकड़े जाने पर उन्होंने भी राहत की सांस ली है।
निगरानी टीम को तीसरे राउंड में कैद में मिली बाघिन
रविवार को बाघिन की मॉनीटरिंग के लिए सामाजिक वानिकी प्रभाग के डिप्टी डायरेक्टर शेर सिंह के नेतृत्व में निगरानी टीम को लगाया गया था। निगरानी टीम में शामिल वन दरोगा शीलेंद्र यादव, कौशलेंद्र यादव एवं वॉचर सौरभ सुबह आठ और फिर दस बजे बाघिन की लोकेशन जानने को मौके पर पहुंचे। उस दौरान बाघिन पिंजड़े से कुछ देरी पर बैठी देखी गई थी।
इधर जब निगरानी टीम दोपहर 12.50 पर दोबारा उसी स्थान पर पहुंची तो पिंजड़ा बंद मिला। सुरक्षा की दृष्टि टीम दोबारा रेस्क्यू व्हीकल पर सवार होकर मौके पर पहुंची। निगरानी टीम ने जब पिंजड़े में झांककर देखा तो बाघिन पिंजड़े के अंदर कैद मिली। निगरानी टीम ने इसकी सूचना तत्काल उच्चाधिकारियों को दी।
सूचना पर पहुंचे वन अफसर और पुलिस
सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस को भी सूचना दी गई। सूचना मिलते ही दोपहर 1.39 बजे से वन अफसरों और पुलिस कर्मियों के पहुंचने सिलसिला शुरू हो गया। सूचना पर पीटीआर के उप प्रभागीय वनाधिकारी माला दिलीप तिवारी, सामाजिक वानिकी प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी अंजनी कुमार श्रीवास्तव, वन क्षेत्राधिकाधिकारी पीयूष मोहन श्रीवास्तव और भारतीय वन्यजीव संस्थान की बायोलॉजिस्ट प्रांजलि भुजबल भी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गई।
दहाड़ती रही बाघिन, अफसरों की मौजूदगी में पिंजरे को डबरी से निकाला बाहर
वन अफसरों की मौजूदगी में निगरानी टीम समेत अन्य वनकर्मियों ने पिजड़े के ऊपर पड़ी झाड़ झकाड़ को हटाकर उसे काले तिरपाल से ढक दिया। इस दौरान बाघिन बार-बार दहाड़ती रही। इसके बाद डबरी में लगे पिंजरे को बाहर निकालने की तैयारी शुरू की गई। वन कर्मियों ने पिंजड़े को रेस्क्यू व्हीकल से जोड़कर बमुश्किल बाहर निकाला। इसके बाद पिंजड़े को पीटीआर के एक बड़े वाहन में शिफ्ट करने की कवायद चली लेकिन पिजड़ा बना होने के चलते उसमें नहीं रखा जा सका। पिंजड़े को 150 मीटर दूर ले जाकर दूसरे वाहन में शिफ्ट किया गया।
सुरक्षा को पहुंचे पुलिसकर्मी भी बने तमाशबीन, एएसपी भी पहुंचे
सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस को भी सूचना दी गई थी। सूचना मिलने के बाद पुलिसकर्मियों के मौके पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया, लेकिन पुलिस ने ड्यूटी को तांक पर रखकर वीडियो कॉल के जरिए अपने नाते रिश्तेदारों को बाघिन की झलक दिखानी शुरू कर दी। इस पर मौजूद वन अफसरों ने नाराजगी भी जताई। इसके बावजूद कुछ पुलिस कर्मी पिंजड़े के ऊपर से तिरपाल हटाकर बाघिन को देखने और फोटो लेने में जुटे देखे गए। कुछ देर बाद एएसपी अनिल कुमार यादव भी मौके पर पहुंचे।
अभी सेफ हाउस में रहेगी बाघिन
उच्चाधिकारियों के निर्देश मिलने तक बाघिन को पीटीआर मुख्यालय के सेफ हाउस में ही रखा जाएगा। मुख्यालय पहुंचने पर पीटीआर के पशु चिकित्सक डॉ. दक्ष गंगवार से बाघिन के स्वास्थ्य को लेकर जांच की।
टाइम लाइन-
सुबह 08.00 बजे- निगरानी टीम को बाघिन पिंजड़े के पास बैठी दिखी।
सुबह 10.00 बजे- बाघिन पिंजड़े से कुछ दूरी पर घूमती दिखी।
दोपहर 12.50 बजे- निगरानी टीम को पिंजड़ा मिला बंद।
दोपहर 12.57 बजे- रेस्क्यू व्हीकल पर सवार होकर पहुंची निगरानी टीम ने की बाघिन के पिंजड़े में बंद होने की पुष्टि।
दोपहर 1.39 बजे- वन अफसर और पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची।
दोपहर 1.53 बजे- डब्ल्यूटीआई टीम भी मौके पर पहुंची।
दोपहर 2.11 बजे- पिंजड़े को डबरी से बाहर निकाला गया।
दोपहर 2.17 बजे- रेस्क्यू टीम में शामिल डॉ. दक्ष गंगवार व एसडीओ माला मौके पर पहुंचे।
दोपहर 2.35 बजे- पिंजड़े को दूसरे वाहन में किया गया शिफ्ट।
दोपहर 3.00 बजे- डीडी नवीन खंडेलवाल व डीएफओ आरके सिंह मौके पर पहुंचे
दोपहर 3.04 बजे- पिंजडे़ को पीटीआर मुख्यालय रवाना किया।
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