शाहजहांपुर: एक साथ उठीं अर्थियां, बहगुल नदी किनारे जलीं चिताएं, सांसद और विधायक भी पहुंचे गांव
शाहजहांपुर/मदनापुर/ जलालाबाद, अमृत विचार: अल्हागंज क्षेत्र में सुगसुगी गांव के पास गुरूवार हुए हादसे में ऑटो सवार 12 लोगों की मौत के बाद थाना मदनापुर क्षेत्र के गांव दमगड़ा और जलालाबाद के गांव लहसना में हर आंख नम थी। शुक्रवार सुबह दमगड़ा में एक साथ आठ अर्थियां उठीं तो लोग फफक पड़े। परिजनों के कोहराम को देख हर किसी का ह्दय द्रवित हो रहा था।
सभी के शवों का अंतिम संस्कार बहगुल नदी किनारे कर दिया गया। दमगड़ा के पोथीराम का शव पैत्रक गांव थाना गढ़िया रंगीन के गांव कल्यानगर ले जाया गया। उनका भी परिजनों ने गांव के किनारे से निकली बहगुल नदी किनारे शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। वहीं जलालाबाद के गांव लहसना में भी मातमी सन्नाटा पसरा हुआ था।
यहां दादी-पोत्र सहित तीन लोगें के शवों का अंतिम संस्कार किया गया। सांसद अरुण सागर, विधायक वीर विक्रम सिंह ने भी गांव पहुंच कर मृतक के परिजनों को ढांढ़स बंधाया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। अल्हागंज के पास हुए हादसे में दमगड़ा के नौ और लहसना गांव के तीन लोगों की मौत हो गई थी। इन दोनों गांव के लोगों की पूरी रात मातमी सन्नाटे और मृतकों के परिजनों का करुण क्रंदन के बीच गुजरी।
शुक्रवार सुबह शवों के अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी। शुक्रवार दोपहर करीब 12: 30 बजे पहले मनीराम और फिर लालाराम और पुत्तूलाल के साथ ही सियाराम, लंकुश, अनंतराम, राजरानी, सुरेश कश्यप के शव निकले तो लोग फफक-फफक कर रो पड़े। मृतकों के परिवार वालों का करुण क्रंदन हर किसी को झकझोर रहा था। लोग खुद को रोक नहीं पाए उनकी गीली आंखों से आंसू बाहर आ गए।
मनीराम के शव का अंतिम संस्कार खेत में कर दिया गया। मनीराम को उनके बड़े पुत्र प्रमोद ने दी। बाकी के शवों को गांव से आधा किलोमीटर दूर बहगुल नदी के किनारे ले जाया गया। जहां कुछ दूरी पर सभी मृतकों की चिता बनाई गई।
सुरेश कश्यप को उनके बड़े बेटे सोनू ने और सियाराम को बेटे गोविंद ने, लालाराम का बड़े बेटे राजवीर और पुत्तूलाल को बड़े बेटे शिव कुमार ने, लंकुश को बड़े बेटे रिंकू ने, अंतराम को बड़े भाई दृगपाल ने तो उनकी मां राजरानी को पुत्र रूपराम ने मुखाग्नि दी। इससे पहले गांव पहुंचे सांसद अरुण सागर, विधायक वीर विक्रम सिंह प्रिंस, पूर्व विधायक राजेश यादव, सपा नेता उपेंद्रपाल, राजेश कश्यप ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिवार वालों को ढांढ़स बंधाया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
वहीं जलालाबाद के गांव लहसना की मेघावती पत्नी स्व. ऋषिपाल और मेघावती पत्नी गेंदन और उनके पौत्र के शव का अंतिम संस्कार भी गांव के किनारे से होकर निकली बहगुल नदी किनारे किया गया।
पोथीराम का भाइयों ने किया अंतिम संस्कार: अल्हागंज के पास हुए हादसे में मौत का शिकार हुए पोथीराम दस वर्ष से दमगड़ा में रह रहे थे। वह अविवाहित थे। उनके दो भाई रामनिवास और रामसागर अपने पैत्रक गांव कल्याननगरा थाना गढिया रंगीन में रहे रहे हैं। पोथीराम के शव को दोनों भाई कल्यानगर ले गए। जहां भाइयों ने गांव के किनारे से होकर निकली बहगुल नदी किनारे पोथीराम के शव का अंतिम संस्कार कर दिया।
अंत्येष्टि करने से किया मना, तो पुलिस-प्रशासन में मचा हड़कंप, एडीएम प्रशासन ने किया शांत: दमगड़ा गांव में मृतकों के परिवार के लोग मुआवजा और आवास की मांग को लेकर भड़के उठे। उनका कहना था कि जब तक उनकी यह मांग पूरी नहीं होगी, तब तक अंत्येष्टि नहीं करेंगे। इससे पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। एडीएम प्रशासन संजय कुमार पांडेय ने पहुंचे मौके पर लोगों को समझाकर किया शांत। तब अंत्येष्टि हुई।
शुक्रवार दोपहर करीब 12:30 बजे मनीराम और लालाराम व पुत्तूलाल के शवों अंतिम संस्कार करने के लिए गांव के बाहर अर्थी निकाली गई, तभी कुछ लोगों ने मुआवजे की मांग को लेकर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। कि अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है, आगे भी मिलना मुश्किल है।
इस पर लोगों ने तीन शवों को गांव के बाहर सड़क पर रोक दिया गया, वहीं गांव के अंदर पांच शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने की तैयारियों को रोक दिया। तीन शव रास्ते में रोके जाने की सूचना पर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों में मचा हड़कंप गया। मृतकों के परिजनों का कहना था कि सरकार की तरफ से कोई भी लाभ नहीं दिया गया है 50,50 किलो गल्ला देकर समझाया जा रहा है।
जब तक लाभ नहीं मिलेगा तब तक अंतिम संस्कार नहीं होगा। इसकी भनक लगते ही प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। जानकारी मिलते ही एडीएम प्रशासन संजय कुमार, तिलहर एसडीएम अंजलि गंगवार, सीओ सदर अमित चौरसिया गांव पहुंच गए।
अधिकारियों ने मृतकों के परिवार वालों को सांत्वना दी कि कागजी कार्रवाई पूरी की जा रही है। मुआवजा जल्द से जल्द दिलवाया जाएगा, इसी बीच कुछ लोगों ने मृतको के परिवार वालों के आवास की समस्या को भी उठाया, तब फिर अधिकारियों ने आवास समस्या भी सुलझाने का आश्वासन दिया। तब फिर शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
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