अमेठी: निजी नलकूप वाले किसान परेशान!, सरकार ने किया बिजली का बिल माफ!, विभाग थमा रहा पेमेंट की रसीद
30 रुपये प्रति एचपी फिक्स चार्ज के साथ एक रुपये प्रति यूनिट आ रही बिल, 500 रुपये मिल रही सब्सिडी
31 मार्च 2023 तक एक मुश्त व अधिकतम 12 किस्तों में किसानों ने जमा किया था बकाया बिल
अमेठी। निजी नलकूपों का शत प्रतिशत बिजली बिल माफ किए जाने की बात सरकार कह रही है, लेकिन बिजली विभाग बिल थमा रहा है। इससे ऊहापोह की स्थित बनी है। इस बार बकाए पर ब्याज माफी की योजना में पंजीयन से किसान किनारा किये हुए थे।
बकाया बिजली के बिलों पर बीते महीने ब्याज माफी योजना चल रही थी। इसमें निजी नलकूप बकाएदार एक मुश्त जमा कर ब्याज पर पूरी छूट पा सकते थे। लेकिन पिछले वर्ष सरकार ने निजी नलकूपों पर खर्च होने वाली बिजली का बिल माफ करने की घोषणा इस शर्त पर की थी कि मार्च 2023 से पहले जो किसान अपना बिजली का बिल का भुगतान कर देगा, उन्हीं किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
योजना का लाभ लेने के लिए उस दौरान किसान लालायित हुए थे। सरकार ने भी तीन चरणों में बिजली का बिल बकाया जमा करने के लिए तीन चरणों में जमा करने का विकल्प दिया था। पहले चरण में 100 फीसदी, दूसरे चरण में 90 फीसदी व तीसरे चरण में किसानों को बिल जमा करने पर 80 फीसदी सर चार्ज माफ किया था।
सरकार ने पंजीयन के बाद एक मुश्त व अधिकतम 12 किस्तों में बिल बकाया जमा करने का मौका भी दिया था। उस दौरान किसानों ने हर जतन कर नलकूपों का बकाया बिल जमा कर दिया था। इधर किसान नलकूप का संपूर्ण बिल माफी की उम्मीद लगाए थे। हालांकि बिजली विभाग लगातार निजी नलकूप का बिल अभी भी थमा रहा है। साढ़े सात व 10 एचपी नलकूप वाले किसानों को 30 रुपये प्रति एचपी व एक रुपये प्रति यूनिट बिजली बिल की भरपाई करनी पड़ रही है।
हालांकि नलकूप पर जनरेट बिल में 500 प्रति किसानों को सब्सिडी दी जा रही है। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने 13 नवंबर को जनप्रतिनिधियों को पत्र जारी कर 1 अप्रैल 2023 के बाद किसानों का बिजली बिल माफ होने की बात कही थी। जिक्र किया था कि 31 मार्च तक या उसके पहले के बाकी बिल पर ब्याज माफी योजना का लाभ मिलेगा। अब किसान ऊहापोह में हैं।
अप्रैल 2023 से निजी नलकूप का बिल नहीं देना है इससे संबंधित कोई जानकारी बिजली बिल पर भी अंकित नहीं है। इससे किसान परेशान हैं। आइये जानते हैं इस समस्या पर क्या कह रहे किसान...

ऊर्जा मंत्री की ओर से जनप्रतिनिधियों को पत्र जारी कर अप्रैल से निजी नलकूप का बिल माफ होने की जानकारी दी गई थी। बिजली खर्च गणना के लिए नलकूपों में मीटर भी लगाया गया, फिर भी विभागीय स्तर पर बिल जारी हो रहा है।
रमेश कुमार सिंह, किसान
मौखिक कह रहे नहीं जमा करना है, पर बिल थमा रहे हैं, बिल पर भुगतान की जाने वाली राशि की जगह शून्य के बजाय बकाया धनराशि दर्ज है, बिल में बकायेदारी दिखने से संशय की स्थिति बनी है।

राम सिंह, किसान
ओटीएस में पंजीयन कराने के बाद बकाए बिल का भुगतान कर दिया था, लेकिन प्रतिमाह बिल मीटर में जनरेट यूनिट के हिसाब से बिल आ रहा है, हालांकि अब 500 रुपये सब्सिडी मिल रही हैं, घोषणा के बाद बिल जनरेट होने से मन में ऊहापोह है।

प्रदीप सिंह उर्फ मुन्ना, किसान
सरकार ने किसान के हितों और आय दोगुनी करने के लिए नलकूपों पर खर्च होने वाली बिजली को माफ कर दिया, विभागीय हीला हवाली के चलते बिल माफी योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है।

अनिल सिंह, किसान
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