Kanpur में पुरुषों के कैंसर में तंबाकू 57 फीसदी कारण... हर साल 30 फीसदी बढ़ रहे फेफड़े के कैंसर के रोगी, ये है लक्षण

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
On

शहर में पुरुषों के कैंसर में तंबाकू 57 फीसदी कारण

कानपुर, अमृत विचार। धूम्रपान, हुक्का बार और मुंह में खैनी या गुटखा दबाए रखने की आदत लोगों को तेजी से कैंसर की तरफ ले जा रही है। धूम्रपान से जहां शहर में फेफड़े के कैंसर के रोगी बढ़ रहे हैं, वहीं तंबाकू चबाने के कारण मुख कैंसर के रोगियों की संख्या में भी अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की जा रही है। 

कैंसर पीड़ित हर दूसरा पुरुष तंबाकू के कारण हुआ शिकार

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के विगत दिवस जारी आंकड़ों के मुताबिक मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू का सेवन है। आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कैंसर से पीड़ित हर दूसरा पुरुष तंबाकू के कारण ही इस समस्या से ग्रसित हुआ है। प्रदेश में पुरुषों के 53 फीसदी मामले तंबाकू के कारण होने वाले कैंसर के सामने आ रहे हैं, जबकि कानपुर में पुरुषों को होने वाले कैंसर में तंबाकू का कारण 57 फीसदी है। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 55 फीसदी कैंसर के मामलों में मृत्यु हो जाती है।


हर साल 30 फीसदी बढ़ रहे फेफड़े के कैंसर के रोगी   

बीड़ी, सिगरेट की लत के चलते लंग्स कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। रावतपुर स्थित जेके कैंसर संस्थान में वर्ष 2021 में लंग्स कैंसर रोगियों की संख्या 131 और 2022 में 217 थी जो वर्ष 2023 में 290 तक पहुंच गई। पीड़ितों में 85 फीसदी को कैंसर धूम्रपान के कारण हुआ है।

धूम्रपान डीएनए को पहुंचता नुकसान 

धूम्रपान सबसे पहले कोशिकाओं में डीएनए को नुकसान पहुंचाना शुरू करता है। डीएनए ही  कोशिकाओं के विकास और कार्यों को नियंत्रित करता है। डीएनए में होने वाली क्षति से कैंसर होता है। चिकित्सकों के अनुसार धूम्रपान शरीर के लिए साइलेंट जहर है। 

भूगर्भ में क्रोमियम, आर्सेनिक भी बीमारी बढ़ाने में मददगार 

कानपुर में हर साल छह हजार कैंसर के नए मरीज सामने आते हैं। यह आंकड़ा जेके कैंसर अस्पताल का है। इसके पीछे अन्य कारणों के साथ टेनरियों से निकलने वाला क्रोमियम और आर्सेनिक भी जिम्मेदार है, जो भूगर्भ जल दूषित करता है। लगातार प्रदूषित पानी पीने से लोग लिवर और पेट के कैंसर का शिकार हो जाते हैं।

इन लक्षणों से होती शुरुआत

लगातार खांसी बने रहना, खांसी के साथ खून आना, सांस लेने में कठिनाई, वजन घटना, थकान, भूख नहीं लगना। जीवन के लिए शरीर को ऑक्सीजन की जरूरत होती है। शरीर के सभी अंगों को क्रियाशील रहने के लिए ऑक्सीजन युक्त खून की आपूर्ति होती  है। ऐसा नहीं होने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा रहता है। शरीर के लिए सिगरेट व बीड़ी का एक कश ही काफी नुकसानदायक है, इसका असर सीधे फेफड़ों पर पड़ता है। इसके अलावा प्रदूषण भी फेफड़े को नुकसान पहुंचाता है और  कैंसर का कारण बनता है।- डॉ. प्रमोद कुमार, जेके कैंसर संस्थान।

ये भी पढ़ें- Behmai Kand: डकैत फूलन देवी ने 20 लोगों की लाइन से गोली मारकर की थी हत्या... इतने साल बाद आया फैसला, पढ़ें- पूरा मामला


 

संबंधित समाचार