अयोध्या: वायदे को बीते सात साल, आज तक नहीं बढ़ा मानदेय, 10000 रुपए के मानदेय पर पढ़ाने को मजबूर शिक्षामित्र

अब तक कोरे आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला, अब फिर जगी आस 

अयोध्या: वायदे को बीते सात साल, आज तक नहीं बढ़ा मानदेय, 10000 रुपए के मानदेय पर पढ़ाने को मजबूर शिक्षामित्र

अयोध्या, अमृत विचार। दस हजार रुपए माह के मानदेय पर परिषदीय विद्यालयों को संभाल रहे शिक्षामित्रों को अब तक कोरे आश्वासन ही मिले। सात वर्षों से मानदेय बढ़ाने के लिए गोहार लगा रहे शिक्षामित्र बेहद आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। जिसकी परिणति बीच-बीच में आत्महत्या के रूप में भी सामने आती रही हैं।
   
समाधान के लिए अनवरत संघर्षरत शिक्षामित्रों को मोदी सरकार व योगी सरकार से न्यायोचित समाधान की उम्मीद थी। समायोजन निरस्त होने के 7 वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक उनका भविष्य सुरक्षित नहीं हो सका। शिक्षामित्र के मानदेय वृद्धि के लिए कमेटी बनी लेकिन रिपोर्ट आज तक नहीं आई। 

यह अलग बात है कि आदर्श समायोजित शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गोरखपुर और अयोध्या दौरे पर आए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात कर समस्याओं के जल्द निराकरण की मांग रखी जा चुकी है। 

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कल्याण सिंह की सरकार में शुरू हुई थी नियुक्ति

शिक्षामित्रों की नियुक्ति 1999- 2000 में भाजपा की कल्याण सिंह सरकार में शुरू हुई थी। जिसके बाद शिक्षकों को कमी होने के कारण 2004 में सर्व शिक्षा अभियान आने के बाद बड़े पैमाने पर सभी विद्यालयों में दो-दो शिक्षामित्र की नियुक्ति कर दी गई। केंद्र सरकार द्वारा 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के कारण शिक्षामित्र को ट्रेनिंग करना अनिवार्य कर दिया गया।

बसपा की तत्कालीन मायावती सरकार में शिक्षामित्रों को 2 वर्ष की दूरस्थ विधि बीटीसी से जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान की निगरानी में प्रशिक्षण शुरू कराए गए। विधानसभा 2012 के चुनाव में सपा की अखिलेश सरकार सरकार बनने के बाद चुनावी वायदे को पूरा करते हुए शिक्षा मित्रों को दो वर्ष का प्रशिक्षण देकर जिले में पहले पहले चरण में 897 और दूसरे चरण में 1192  शिक्षामित्र को अध्यापक बनाया गया। 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्र के समायोजन को अवैध करार घोषित कर दिया गया। 2017 की चुनावी वर्ष में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों की समस्याओं को 6 माह में निस्तारित करने का वादा किया था।

जानिए क्या बोले शिक्षामित्र...

 

  • प्राथमिक विद्यालय बरौली में कार्यरत शिक्षामित्र शिवमूर्ति यादव का कहना है कि प्रधानमंत्री ने वाराणसी में वादा किया था कि जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा। लेकिन अभी तक ना तो मानदेय वृद्धि हुई और न ही स्थाईकरण।
  • हैरिंग्टनगंज शिक्षामित्र मंसूर अली का कहना है सरकार को वादा पूरा करना चाहिए। कहा मानदेय भी बहुत कम है जल्द निर्णय लेना चाहिए।
  • प्राथमिक विद्यालय बरगदिया की शिक्षामित्र किरन श्रीवास्तव का कहना है कि 2017 के चुनाव में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में समस्याओं को 6 माह में निस्तारित करने का वादा किया था। 7 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। 
  • रुदौली के शिक्षामित्र पारसनाथ का कहना है कि शिक्षामित्र की समस्याओं का सरकार को जल्द निराकरण करना चाहिए। सात वर्ष से मानदेय में एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं की गई।
  • पूरा की शिक्षामित्र पूनम पांडेय का स्पष्ट कहना है कि आखिर इंतजार की भी एक इंतेहा होती है कब तक इंतजार किया जाए।मानदेय बढ़ोतरी और स्थाई सेवा की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • नगर क्षेत्र की शिक्षामित्र दीपिका निगम ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्र से वादा किया था कि उनकी सरकार आने पर शिक्षामित्र का भविष्य बेहतर होगा, दोनों जगह सरकार है। इसलिए सरकार को जल्द ठोस निर्णय लेना चाहिए।
  • मया ब्लॉक के शिक्षामित्र सुखनंदन यादव का कहना है कि पूरा जीवन बच्चों को शिक्षित करने में लगा दिया लेकिन सरकार हम लोगों के बारे में कोई निर्णय नहीं ले रही है।शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित करने का उपाय जल्द से जल्द करना चाहिए।
  • मया ब्लॉक की कविता सिंह का कहना है कि हम लोग 23 वर्ष से अधिक समय से प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पढ़ाने में लगे हुए है। अभी तक हम लोगों का भविष्य सुरक्षित नहीं हो पाया है। शिक्षामित्र को नियमित करते हुए वेतनमान देने की व्यवस्था करनी चाहिए।

प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही के नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पिछले दिनों मुलाकात हुई थी। मुख्यमंत्री ने  शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित करने का आश्वासन दिया है। जिले पर आए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मिलकर बात रखी गई है। उम्मीद है जल्द ही हल निकलेगा..., अजय सिंह, जिलाध्यक्ष आदर्श समायोजित शिक्षक/ शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन अयोध्या।

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