Exclusive: गुटखा, सिगरेट न शराब...फिर भी कैंसर के हुए शिकार, जेके कैंसर संस्थान में पीड़ित मरीजों की भरमार, ऐसे केस आ रहे सामने

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Published By Nitesh Mishra
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गले के कैंसर से पीड़ित मरीजों में एक चौथाई ऐसे जिन्होंने कभी कोई नशा नहीं किया

कानपुर, (विकास कुमार)। विशेषज्ञ चिकित्सक कहते हैं कि गुटखा, सिगरेट और शराब के सेवन से कैंसर रोग होता है। लेकिन जिन लोगों ने गुटखा, सिगरेट या शराब तो दूर कभी मीठी सुपारी तक नहीं खायी, वह भी गले के कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं। जेके कैंसर संस्थान में गले के कैंसर से पीड़ित होकर पहुंचने वाले मरीजों में एक चौथाई ऐसे हैं, जिन्होंने कभी कोई नशा नहीं किया है।  

रावतपुर स्थित जेके कैंसर संस्थान में कई तरह के कैंसर से ग्रस्त मरीज इलाज के लिए आते हैं। बीते एक साल में संस्थान में गले के कैंसर के मरीजों की संख्या 15 फीसदी तक बढ़ गई है। गले के कैंसर की चपेट में आने वाले 25 फीसदी लोगों की केस हिस्ट्री के मुताबिक उन्होंने कभी कोई नशा नहीं किया है।  

पांच फीसदी मामलों में प्रदूषण मिला जिम्मेदार

गले के कैंसर के 70 फीसदी मरीजों की केस हिस्ट्री एक जैसी मिली है। इसमें मुख्य कारण नशा करना पाया गया है। लेकिन प्रदूषण से भी कैंसर हो रहा है। प्रदूषण से कैंसर पीड़ित मरीजों की संख्या पांच फीसदी तक है। 

जेके कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ.एसएन प्रसाद के मुताबिक गले के कैंसर के 20 से 25 फीसदी मरीज में कैंसर का कारण अज्ञात है। इस संबंध में शोध कार्य जारी है। मरीजों की केस हिस्ट्री का भी अध्ययन किया जा रहा है, ताकि कारणों का सही पता चल सके।  

केस-1 

शहर के 50 वर्षीय व्यक्ति को अचानक खाने पीने में दिक्कत हुई तो जांच कराई। इसमें गले का कैंसर होने की जानकारी पाकर उनके हाथ-पांव फूल गए। परिजनों के मुताबिक पीड़ित ने  पूरे जीवन कभी किसी प्रकार का नशा नहीं किया, हमेशा सेहत पर ध्यान दिया। 

केस-2 

54 वर्षीय महिला को कुछ समय पहले गले में दर्द के साथ खाना खाने में दिक्कत फिर सांस लेने में परेशानी होने लगी। एक अस्पताल से इलाज कराया पर आराम नहीं मिला। जांच कराने पर गले के कैंसर की जानकारी होने से उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। 

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