जिंदगी के अनजाने सफर से बेहद प्यार करते थे गीतकार इंदीवर
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मुंबई। 'जिंदगी से बहुत प्यार हमने किया, मौत से भी मोहब्बत निभाएंगे हम, रोते रोते जमाने में आए...मगर हंसते हंसते जमाने से जाएंगे हम'। जिंदगी के अनजाने सफर से बेहद प्यार करने वाले हिन्दी सिने जगत के मशहूर शायर और गीतकार इंदीवर का जीवन से प्यार उनकी लिखी हुई इन पंक्तियों में समाया हुआ है।
श्यामलाल बाबू राय उर्फ इंदीवर का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी में 1924 में हुआ था। बचपन से ही वह गीतकार बनने का सपना देखा करते थे और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए वह मुंबई आ गए। बतौर गीतकार सबसे पहले 1946 में प्रदर्शित फिल्म 'डबल क्रॉस' में उन्हें काम करने का मौका मिला, लेकिन फिल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नहीं बना पाए। अपने वजूद को तलाशते इंदीवर को गीतकार के रूप में पहचान बनाने के लिए लगभग पांच वर्ष तक फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने कई बी और सी ग्रेड की फिल्मे भी की।
इंदीवर की जोड़ी निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार के साथ बहुत जमी। मनोज कुमार ने सबसे पहले उनसे फिल्म 'उपकार' के लिढ गीत लिखने की पेशकश की। कल्याणजी आनंद जी के संगीत निर्देशन में उपकार के लिए इंदीवर ने 'कस्मेवादे प्यार वफा' जैसे दिल को छू लेने वाले गीत लिखकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।इसके अलावा मनोज कुमार की फिल्म पूरब और पश्चिम के लिए भी उन्होंने 'दुल्हन चली वो पहन चली' और 'कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे' जैसे सदाबहार गीत लिखकर अलग ही समां बांधा। वर्ष 1970 मे विजय आनंद निर्देशित फिल्म 'जॉनी मेरा नाम' में 'नफरत करने वालो के सीने में प्यार भर दूं', 'पल भर के लिए कोई मुझे प्यार कर ले' जैसे रूमानी गीत लिखकर इंदीवर ने श्रोताओ का दिल जीत लिया।
मनमोहन देसाई के निर्देशन में फिल्म सच्चा-झूठा के लिए इंदीवर का लिखा एक गीत 'मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया' को आज भी शादी के मौके पर सुना जा सकता है। इसके अलावा फिल्म राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म 'सफर' के लिए उन्होंने 'जीवन से भरी तेरी आंखे' और 'जो तुमको हो पसंद’ जैसे गीत लिखकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। जाने माने फिल्मकार राकेश रोशन की फिल्मों के लिए इंदीवर ने सदाबहार गीत लिखकर उनकी फिल्मो को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके सदाबहार गीतों के कारण ही राकेश रोशन की ज्यादातार फिल्मे आज भी याद की जाती हैं। इन फिल्मों में खासकर कामचोर, खुदगर्ज, खून भरी मांग, कालाबाजार, किशन कन्हैया, किंग अंकल, करण अर्जुन, कोयला जैसी फिल्में शामिल हैं।
राकेश रौशन के अलावा इंदीवर के पसंदीदा निर्मात-निर्देशको में मनोज कुमार, फिरोज खान आदि प्रमुख रहे हैं। इंदीवर के पसंदीदा संगीतकार के तौर पर कल्याण जी आनंदजी का नाम सबसे ऊपर आता है। कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में उनके गीतों को नई पहचान मिली। शायद कल्याणजी-आनंद जी इंदीवर के दिल के काफी करीब थे। सबसे पहले इस जोड़ी का गीत संगीत 1965 में प्रदर्शित फिल्म 'हिमालय की गोद में' पसंद किया गया।
इसके बाद इंदीवर द्वारा रचित फिल्मी गीतों में कल्याणजी-आनंदजी का ही संगीत हुआ करता था। ऐसी फिल्मो में उपकार, दिल ने पुकारा, सरस्वती चंद्र, यादगार, सफर, सच्चा झूठा, पूरब और पश्चिम, जॉनी मेरा नाम, पारस, उपासना, कसौटी, धर्मात्मा, हेराफेरी, डॉन, कुर्बानी, कलाकार आदि शामिल हैं। वर्ष 1975 मे प्रदर्शित फिल्म 'अमानुष' के लिए इंदीवर को सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इंदीवर ने अपने सिने कैरियर में लगभग 300 फिल्मों के लिए गीत लिखे। लगभग तीन दशक तक अपने रचित गीतों से श्रोताओं को भावविभोर करने वाले इंदीवर 27 फरवरी 1997 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
मनमोहन देसाई के निर्देशन में फिल्म सच्चा-झूठा के लिए इंदीवर का लिखा एक गीत 'मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया' को आज भी शादी के मौके पर सुना जा सकता है। इसके अलावा फिल्म राजेश खन्ना अभिनीत फिल्म 'सफर' के लिए उन्होंने 'जीवन से भरी तेरी आंखे' और 'जो तुमको हो पसंद’ जैसे गीत लिखकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। जाने माने फिल्मकार राकेश रोशन की फिल्मों के लिए इंदीवर ने सदाबहार गीत लिखकर उनकी फिल्मो को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके सदाबहार गीतों के कारण ही राकेश रोशन की ज्यादातार फिल्मे आज भी याद की जाती हैं। इन फिल्मों में खासकर कामचोर, खुदगर्ज, खून भरी मांग, कालाबाजार, किशन कन्हैया, किंग अंकल, करण अर्जुन, कोयला जैसी फिल्में शामिल हैं।
राकेश रौशन के अलावा इंदीवर के पसंदीदा निर्मात-निर्देशको में मनोज कुमार, फिरोज खान आदि प्रमुख रहे हैं। इंदीवर के पसंदीदा संगीतकार के तौर पर कल्याण जी आनंदजी का नाम सबसे ऊपर आता है। कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में उनके गीतों को नई पहचान मिली। शायद कल्याणजी-आनंद जी इंदीवर के दिल के काफी करीब थे। सबसे पहले इस जोड़ी का गीत संगीत 1965 में प्रदर्शित फिल्म 'हिमालय की गोद में' पसंद किया गया।
इसके बाद इंदीवर द्वारा रचित फिल्मी गीतों में कल्याणजी-आनंदजी का ही संगीत हुआ करता था। ऐसी फिल्मो में उपकार, दिल ने पुकारा, सरस्वती चंद्र, यादगार, सफर, सच्चा झूठा, पूरब और पश्चिम, जॉनी मेरा नाम, पारस, उपासना, कसौटी, धर्मात्मा, हेराफेरी, डॉन, कुर्बानी, कलाकार आदि शामिल हैं। वर्ष 1975 मे प्रदर्शित फिल्म 'अमानुष' के लिए इंदीवर को सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। इंदीवर ने अपने सिने कैरियर में लगभग 300 फिल्मों के लिए गीत लिखे। लगभग तीन दशक तक अपने रचित गीतों से श्रोताओं को भावविभोर करने वाले इंदीवर 27 फरवरी 1997 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
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