Kanpur: स्टेम सेल थेरेपी बनी वरदान; 32 साल से बिस्तर पर पड़े युवक की जिंदगी में इस तरह लाई नई खुशी...जानें

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में स्टेम सेल थेरेपी तमाम गंभीर मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। बीते दो साल में 200 मरीजों को इस थेरेपी से काफी लाभ पहुंचा है। तमाम लोगों के दर्द का प्रबंधन हुआ है, तो कई सालों बाद ठीक से चलने-फिरने लगे हैं। ऐसे ही एक मामले में हमीरपुर निवासी कमलेश जो 32 साल से बिस्तर पर थे, अब छड़ी के सहारे चलने लगे हैं। 

हमीरपुर निवासी कमलेश अवस्थी को 19 साल की उम्र में 29 सितंबर 1992 को पीठ में गोली लगी थी। 18 छर्रे धंसने से स्पाइनल कॉर्ड जख्मी हो गई थी और पक्षाघात के कारण वह 32 साल से बिस्तर पर थे। तमाम इलाज के बाद भी आराम नहीं मिलने से चलने-फिरने की उम्मीद छोड़ चुके थे। छह माह पहले उन्होंने अंतिम प्रयास के रूप में स्टेम सेल थेरेपी ली। 

इसके बाद चमत्कार हुआ कमलेश बिस्तर से उठकर खड़े हो गए। छड़ी के सहारे चलने लगे। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के विजिटिंग प्रोफेसर स्टेम सेल थेरेपी विशेषज्ञ डॉ. बीएस राजपूत ने बताया कि कमलेश को शहर के निजी अस्पताल में यह थेरेपी दी गई। 

स्टेम सेल से इलाज का यह दुर्लभ मामला है। डॉ. राजपूत मेडिकल कालेज में अवैतानिक सेवाएं दे रहे हैं। वह माह के तीसरे मंगलवार कॉलेज आते हैं। उनके मुताबिक स्टेम सेल उन सेल्स को कहा जाता है, जो अन्य तरह के सेल्स में डेवलेप हो सकते हैं। यह मसल्स व ब्रेन सेल्स बन सकते हैं। 

मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने भी ली स्टेम सेल थेरेपी 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने भी स्टेम सेल थेरेपी से अपनी टेनिस एल्बो की दिक्कत का इलाज कराया है। उन्होंने बताया लेप्रोस्कोपी विधि से सर्जरी करने वाले सर्जन को अक्सर यह दिक्कत हो जाती है।  इसमें कोहनी की हड्डी में जुड़ने वाली मांसपेशियों में तेज दर्द होता है। उन्होंने छह महीने पहले घुटने में स्टेम सेल थेरेपी ली, तो दर्द में काफी राहत मिली। अब कोहनी में स्टेम सेल थेरपी ली है, जिससे आराम है।

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