चित्रकूट: सीआईसी धमाके में चार बच्चों की मौत मामले में दोनों आरोपियों की जमानत खारिज

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Published By Jagat Mishra
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जिला जज विकास कुमार प्रथम ने निरस्त किया जमानत प्रार्थनापत्र

चित्रकूट, अमृत विचार। बुंदेलखंड गौरव महोत्सव के दौरान चित्रकूट इंटर कालेज में हुए धमाके में चार मासूम बच्चों की मौत के मामले में जेल में बंद दो आरोपियों की जमानत सत्र न्यायाधीश विकास कुमार प्रथम ने खारिज कर दी है। न्यायालय ने दोनों आरोपियों की लापरवाही के कारण विस्फोट से चार बच्चों की मौत को गंभीर अपराध करार दिया।

जिला शासकीय अधिवक्ता श्यामसुंदर मिश्रा ने बताया कि 14 फरवरी को कर्वी कोतवाली के अपराध निरीक्षक आशुतोष तिवारी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि कर्वी के चित्रकूट इंटर कालेज में 13 फरवरी से बुंदेलखंड गौरव महोत्सव हो रहा था। दूसरे दिन रात नौ बजे से आतिशबाजी कार्यक्रम प्रस्तावित था। इसके तहत डोम इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रोपराइटर हर्ष कामदार की देखरेख में इंदौर निवासी पंकज जाट और अन्य साथियों के साथ असेंबलिंग की जा रही थी। इस दौरान दोपहर लगभग तीन बजे असेंबलिंग के दौरान अचानक किसी कारणवश आतिशबाजी में रखे सामान में विस्फोट हो गया। इससे मौके पर चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। जिला चिकित्सालय ले जाने पर दो को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया जबकि अन्य दो को रिफर कर दिया गया। प्रयागराज ले जाने पर इन दोनों को भी चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। 

मृतकों की शिनाख्त मोहित (16), प्रभात (11), अंजनेय उर्फ यश मिश्रा (11) एवं पारस शर्मा (13) के रूप में हुई थी। पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करने के बाद आतिशबाजी का टेंडर लेने वाली कंपनी डोम इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर हर्ष कामदार व पंकज जाट को गिरफ्तार किया था। चार-चार बच्चों की दर्दनाक मौत के कारण प्रदेश स्तर पर चर्चा का विषय बने इस मामले में जेल में बंद दोनों आरोपियों ने अधिवक्ता के जरिए न्यायालय में जमानत प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया था। बचाव और अभियोजन पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद सत्र न्यायाधीश विकास कुमार प्रथम ने प्रार्थनापत्र निरस्त कर दिया। 

उन्होंने कहा कि आरोपियों की लापरवाही के कारण विस्फोट से चार बच्चों की दर्दनाक मौत हुई है। इस वृहद कार्यक्रम का सुरक्षित संपादन कंपनी की जिम्मेदारी थी। गैर जिम्मेदारी व लापरवाही के कारण यह घटना हुई है। ऐसे में अपराध की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपियों को जमानत नहीं प्रदान की जा सकती है।

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