Chitrakoot News: गुप्त गोदावरी में मिली तीसरी गुफा; बनी जिज्ञासा का केंद्र, भू-वैज्ञानिकों ने किया सर्वेक्षण

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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चित्रकूट (सीतापुर), अमृत विचार। तीर्थक्षेत्र के प्रसिद्ध स्थलों में से एक गुप्त गोदावरी में तीसरी गुफा का पता चला है। यह गुफा भूवैज्ञानिकों और श्रद्धालुओं के लिए जिज्ञासा का केंद्र बनी हुई है। बीते दिन आए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. सतीश त्रिपाठी की अगुवाई में टीम ने इसे देखा। आशा जताई कि इससे इस पवित्र स्थल के प्रति लोगों का आकर्षण और बढ़ेगा। 

गौरतलब है कि हाल ही में गुप्त गोदावरी के निकट तीसरी गुफा का पता चला है जो भूवैज्ञानिकों के लिए अध्ययन और शोध का विषय बन रही है। भूवैज्ञानिक गुफा के बारे में अध्ययन करने, पता करने चित्रकूट पहुंच रहे हैं। बीते दिनों क्षेत्र में ग्लोबल जियो पार्क की संभावना का पता लगाने आए प्रमुख भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. सतीश त्रिपाठी ने टीम के सदस्य डीएसएन कॉलेज उन्नाव के भूगोल विभाग के डॉ. अनिल साहू के साथ गुफा का विस्तृत सर्वेक्षण किया। 

गुप्त गोदावरी

टीम के हवाले से पता चला है कि गुप्त गोदावरी की पहाड़ी तिरोहन लाइमस्टोन (एक प्रकार की चूना पत्थर की चट्टान) से बनी है। पहाड़ी के ऊपर स्थित पेड़-पौधों की जड़ों के द्वारा जब यह जल चट्टानों तक पहुंचता है तो चट्टानों को घोलकर गुफा का निर्माण करता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, गुप्त गोदावरी की पहली और दूसरी गुफा का निर्माण और विकास हजारों वर्ष पहले इसी प्रक्रिया से हुआ है। 

पहाड़ी में धीरे -धीरे और गुफाएं भी इसी प्रक्रिया से विकसित हो रही हैं। तीसरी गुफा के अंदर जाकर टीम ने गुफा की संरचना और उसमें स्थित स्थलरूपों का अध्ययन किया। सदस्य डॉ.अनिल साहू ने बताया गुफा का मुहाना तीन-चार फीट व्यास का है, जिसमें से एक आदमी मुश्किल से रेंगकर प्रवेश कर सकता है। अंदर जाने पर गुफा चौड़ी हुई है। लगभग छह फ़ीट ऊंची है और दो भागों मे विभक्त है। ऐसा प्रतीत होता है कि लाइमस्टोन चट्टानों के बीच मिट्टी घुलनें से रिक्त स्थान का निर्माण हुआ। 

गुफा में स्टेलेग्टाइट और स्टेलेग्माइट पाए गए हैं। जिला सेवायोजन अधिकारी डॉ. पीपी शर्मा ने डॉ. सतीश त्रिपाठी के हवाले से बताया कि इस पूरे क्षेत्र में इस प्रकार की और भी गुफाएं होंने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर क्षेत्र के युवाओं को सही प्रशिक्षण दिया जाये तो क्षेत्र में आधारिक संरचना के साथ साथ भूपर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। टीम का स्थानीय युवाओं विकास शुक्ला, विक्रम सिंह और  प्रकाश गुप्ता ने सहयोग किया।

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