अफस्पा हटाने की योजना

अफस्पा हटाने की योजना

केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में सितंबर से पहले विधानसभा का चुनाव होगा। सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार ने सैनिकों की वापसी के लिए पहले ही एक रोडमैप तैयार कर लिया है और यह प्रक्रिया चुनाव के बाद शुरू की जाएगी। 

एक मीडिया ग्रुप से मंगलवार को उन्होंने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था लेकिन आज के समय में वे केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। साथ ही आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व कर रही है। यानि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सामान्य होती स्थिति के बीच केंद्रीय गृहमंत्री शाह द्वारा अफस्पा हटाने का संकेत दिए जाने का स्वागत ही किया जाना चाहिए। 

आज राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिएअनुकूल वातावरण बनता दिख रहा है। जानकारों के मुताबिक सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी अफस्पा  हटाने का कदम राज्य में विधानसभा चुनाव के अनुरूप राजनीतिक गतिविधियां आरंभ करने में सहायक साबित हो सकता है। गौरतलब है कि अफस्पा को 1942 में तत्कालीन ब्रिटिश शासकों ने भारत छोड़ो आंदोलन पर अंकुश लगाने के लिए बनाया था। 

लेकिन देश की आजादी के बाद भी सरकार ने इसे बनाए रखा और साल 1958 में इसे एक अधिनियम के तौर पर अधिसूचित कर दिया गया। 11 सितंबर, 1958 को बने इस कानून को पहली बार नागा पहाड़ियों में लागू किया गया था जो तब असम का ही हिस्सा थीं। उग्रवाद के पांव पसारने के साथ इसे धीरे-धीरे पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों में लागू कर दिया गया। इस विवादास्पद कानून के तहत सुरक्षा बल के जवानों को किसी को गोली मार देने का अधिकार है। 

सेना किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के हिरासत में लेकर उसे अनिश्चित काल तक कैद में रख सकती है। सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए अफस्पा के तहत किसी क्षेत्र या जिले को अशांत घोषित किया जाता है। जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों की ओर से अफस्पा को हटाने की मांग की जाती रही है। गृहमंत्री शाह ने पहले कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में अफस्पा हटा लिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है। 

अब जब उच्चतम न्यायालय जम्मू-कश्मीर में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दे चुका है, अफस्पा हटाने का विचार जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच बेहद सकारात्मक प्रभाव डालेगा।  नागरिक अधिकारों की बहाली से सरकारी तंत्र व नागरिकों के बीच भरोसा बढ़ेगा।