बाराबंकी: परिजनों की चीख-पुकार व क्रंदन से फटा हर किसी का कलेजा, पोस्टमार्टम के बाद शव पहुंचे सभी के बह निकले आंसू

मृतक बच्चों का हुआ अंतिम संस्कार, जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी बंधाते रहे ढांढस

बाराबंकी: परिजनों की चीख-पुकार व क्रंदन से फटा हर किसी का कलेजा, पोस्टमार्टम के बाद शव पहुंचे सभी के बह निकले आंसू

सूरतगंज, बाराबंकी, अमृत विचार। एक साथ तीन बच्चों की मौत ने पूरे गांव को हिलाकर रख दिया है। पोस्टमार्टम के बाद शव गांव पहुंचते ही अपने बच्चों के मासूम चेहरे को देख कर हर किसी के आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। किसी ने सोचा भी नही था कि भ्रमण के लिए गई बस उनके लिये काल भी बन जाएगी।

बच्चों की मौत की सूचना पाकर जो जहां पर था, सुनते ही हरक्का ग्राम पंचायत के मदरहा व पर्वतपुर की ओर दौड़ पड़ा। मृतक बच्चें कामिनी एवं शुभी मिश्रा और मानसी के चेहरे को निहार करके कोई भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहा था। पीड़ित परिवारों के घरों में सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्र थी। परिवार के माता-पिता एवं अन्य की चीख-पुकार, क्रंदन से हर किसी का कलेजा फट रहा था। जनप्रतिनिधि व अधिकारी पीड़ित स्वजनों को ढांढस बंधा रहे थे।

दरअसल मंगलवार को शैक्षिक भ्रमण पर लखनऊ स्थित चिड़ियाघर गए बच्चों ने सोचा भी नहीं होगा कि वह जिस बस से भ्रमण के लिए जा रहे हैं। उसी बस से उनकी मौत हो जाएगी। भ्रमण के लिए जाने वाले बच्चे सुबह तैयार होकर स्कूल पहुंचे। वहां से छह शिक्षकों के संग बस पर सवार होकर चिड़ियाघर पहुंचे। जहां मनोरंजन उपरान्त शाम को सभी वापस घर आ रहें थे‌। तभी देवा थाना क्षेत्र के सलारपुर के पास बाइक को बचाने में अनियंत्रित होकर बस पलट गई। हादसे में तीन बच्चों ने मौके पर दम तोड़ दिया। जबकि बस के कंडक्टर की भी मौत हो गई। इसके अलावा डेढ़ दर्जन से अधिक बच्चे घायल हुए।

हादसे के वक्त 42 विद्यार्थी, दो चालक परिचालक, छह शिक्षक बस पर सवार थे। उधर तीनों बच्चों का शव देर रात्रि में पोस्टमार्टम के बाद गांव लाया गया तो वहां हाहाकार मच गया। अपने बच्चें को मृत देख कर परिजन छाती पीट-पीटकर रोने लगे। यह मंजर देखकर वहां पर जुटे हुए लोग भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे।

मदरहा निवासी जगत नारायण की बेटी कामिनी वर्मा का अंतिम संस्कार गांव में हुआ। तो पर्वतपुर निवासी राजकुमार मिश्रा की बेटी शुभी और विनोद की बेटी मानसी का अंतिम संस्कार घाघरा नदी के छोर पर एक साथ ही किया गया। अंतिम संस्कार में जहां बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष देव पाण्डेय और क्षेत्रीय शिक्षक के साथ मौजूद रहे। तो तमाम जनप्रतिनिधि भी एक पैर से वहां खड़े रहे। हरक्का पंचायत का कंपोजिट विद्यालय भी बुधवार को बंद रहा। 

छावनी में तब्दील हुआ गांव, डटे रहे अधिकारी

देर रात्रि को बच्चों के शव पहुंचने के बाद में डीएम सतेंद्र कुमार झा, कप्तान दिनेश कुमार सिंह ने गांव पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी। सुबह से पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया था। अंतिम संस्कार तक पुलिस बल मौजूद रहा। वहीं एसडीएम पवन कुमार सहित तहसील के अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद रहे। वहीं कांग्रेसी नेता और इंडिया गठबंधन के लोकसभा प्रत्याशी तनुज पुनिया के अलावा दिनभर जनप्रतिनिधियों ने पहुंच कर मृतक परिवार को सांत्वना दी।

मजदूरी से जीवनयापन करता है परिवार 

मृतक तीनों बच्चों के परिजन खेती किसानी और गांव में मजदूरी कर किसी तरह जीवनयापन करते हैं। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में न पढ़ा कर सरकारी स्कूल में शिक्षा दिला रहे थे।

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