मुरादाबाद : अक्षय तृतीया पर सोने की चमक रह सकती है फीकी, बढ़ते दामों के कारण खरीदारों ने बनाई दूरी

बीते साल से बाजार में 50 प्रतिशत तक की गिरावट के आसार

मुरादाबाद : अक्षय तृतीया पर सोने की चमक रह सकती है फीकी, बढ़ते दामों के कारण खरीदारों ने बनाई दूरी

मुरादाबाद, अमृत विचार। अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी को शुभ माना जाता है। लेकिन, इस बार बढ़े दामों की वजह से सोने की चमक फीकी रह सकती हैं। सर्राफा कारोबारियों के अनुसार सोने के बढ़ते दामों की वजह से लोग खरीदारी से दूरी बना रहे हैं। दूसरी और शादियों का सीजन न होने की वजह से भी सोने की मांग कम है।

अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु और कुबेर देव की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी के आभूषणों की खरीदारी करना बहुत ही शुभ होता है। इस तिथि पर शुभ कार्य करने की भी परंपरा है। लेकिन इस वर्ष सोने के बढ़े दामों ने बाजार की रौनक उड़ा दी है। सर्राफा कमेटी के अध्यक्ष नीरज अग्रवाल ने बताया कि बीते साल महानगर में अक्षय तृतीया पर 10 से 15 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। मगर इस बार शादी का सीजन न होने की वजह से भी बाजार पर फर्क पड़ा है। उधर, दूसरी और गर्मी बढ़ने की वजह से भी लोग खरीदारी से बच रहे हैं।

 बीते साल सोने का करीब 54-55 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम दाम था। लेकिन, इस बार सोने की कीमतों में बढ़ोतरी है। इस बार सोने के दाम करीब 71 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम है। जिस वजह से खरीदार बाजार में आने से बच रहे हैं। जिसका सीधा असर बाजार पर पड़ेगा। बीते साल के मुकाबले इस साल बाजार में 50 प्रतिशत तक की गिरावट आने की उम्मीद जताई जा रही है। इस बार महानगर में पांच से सात करोड़ का व्यापार होने की उम्मीद है। इससे व्यापारियों में काफी निराशा देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि यह दिन व्यापार के लिए बहुत अच्छा होता है। मगर बढ़ते दामों ने खरीदारी के साथ व्यापारियों को भी परेशान किया है।

क्या बोलीं गृहणी? 
बैसाख माह में अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। लेकिन सोने की आसमान छू रही कीमत से बहुत मायूसी है।-नेहा मेहरोत्रा

गृहणी के लिए सदियों से सोने के आभूषण सबसे प्रिय हैं। लेकिन अब अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना गृहणियों की क्षमता से बाहर होता जा रहा है।-प्राची अग्रवाल

2014 में सोना 28000 रुपये प्रति 10 ग्राम था, पर अब सोना आसमान पर है। अब सोना लेना हर किसी के बस की बात नहीं रही। अब सिर्फ पैसे वाले ही सोने की खरीदारी करेंगे।-मनीषा शर्मा

अक्षय तृतीया पर सालों से सराफा बाजार में दिवाली जैसी रौनक रहती थी। लेकिन, सोने की बढ़ती कीमतों ने बाजार को इस बार फीका कर दिया है।-मिली सिक्का

खरीददारी व किया गया दान होता है अक्षय
ज्योतिषाचार्य पं. केदार मुरारी बताते हैं कि हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया त्योहार का विशेष महत्व होता है। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ये त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग सोने-चांदी से बने आभूषण की खरीदारी करते हैं। मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से विशेष कृपा मिलती है और घर में धन संपदा हमेशा बनी रहती है। इस बार 10 मई को अक्षय तृतीया है और इस दिन तीन शुभ योग भी बन रहे हैं। शुक्र व बृहस्पति डूबने के बाद भी दिन भर मांगलिक कार्य होंगे और रात को शहनाई बजेगी।

इस बार बन रहे तीन शुभ योग
अक्षय तृतीया पर इस बार गज केसरी योग, शुक्रवासा योग और शास्त्रीय योग बन रहे हैं। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इसका शुभ फल मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया 10 मई को सुबह 04:17 बजे से शुरू होकर 11 मई, 2024 को सुबह 02:50 बजे खत्म होगी। अगर पूजा की शुभ मुहूर्त की बात करें तो 05:13 बजे से 11:43 बजे तक है। ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि इस दिन की खरीदारी अक्षय होती है इस दिन का किया दान भी अक्षय होता है।

आजीवन बनी रहती है सुख-समृद्धि और वैभव : पं.अखिलेश पांडे
ज्योतिष विज्ञान नवग्रह अनुसंधान केंद्र के संचालक ज्योतिष आचार्य पंडित अखिलेश पांडे ने बताया कि अक्षय तृतीया की तिथि शुभ मानी जाती है । अक्षय शब्द का अर्थ होता है ‘जिसका कभी क्षय न हो या जिसका कभी नाश न हो’। ऐसे में मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि यदि व्यक्ति दान-पुण्य, स्नान, यज्ञ, जप आदि जैसे शुभ कर्म करें, तो इससे मिलने वाले शुभ फलों की कमी नहीं होती है। इसके अलावा अक्षय तृतीया के दिन विशेषतौर पर सोने के गहने खरीदने की भी मान्यता है। कहा जाता है अक्षय तृतीया के दिन यदि सोना खरीदा जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन में मां लक्ष्मी का आशीर्वाद रहता है। सुख-समृद्धि और वैभव आजीवन बना रहता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है

अक्षय तृतीया की कथा
हिंदू पुराणों के अनुसार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से अक्षय तृतीया का महत्व जानने के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की थी। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनको बताया कि यह परम पुण्यमयी तिथि है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम (यज्ञ), स्वाध्याय, पितृ-तर्पण, और दानादि करने वाला व्यक्ति अक्षय पुण्यफल का भागी होता है। प्राचीन काल में एक गरीब, सदाचारी तथा देवताओं में श्रद्धा रखने वाला वैश्य रहता था। वह गरीब होने के कारण बड़ा व्याकुल रहता था। उसे किसी ने इस व्रत को करने की सलाह दी। उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान कर विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की व दान दिया। यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया को पूजा व दान के प्रभाव से वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। यह सब अक्षय तृतीया का ही पुण्य प्रभाव था।

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