पीलीभीत: फर्जीवाड़े में सपा नेता को जेल तो ठीक, रिपोर्ट लगाने वाले जिम्मेदारों का क्या...थाने में ही जमा होता था असलहा!

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Published By Vishal Singh
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पीलीभीत, अमृत विचार: गजरौला पुलिस की ओर से फर्जी पते पर कूटरचित अभिलेखों की मदद से दो शस्त्र लाइसेंस जारी कराने के आरोप में समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं पूर्व प्रदेश सचिव सतनाम सिंह सत्ता पर हुई कार्रवाई के बाद राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई है। लोकसभा चुनाव के बीच हुई इस कार्रवाई के चलते मामला सुर्खियां बना रहा। पुलिस इसे गुडवर्क के तौर पर देख रही है। वहीं कई सवाल तत्कालीन जिम्मेदारों की कार्यशैली पर भी उठ गए हैं।

शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए एक आम आदमी को खासा परेशान होना पड़ता है। औपचारिकताएं पूरी करते -करते कई बार अधर में ही आवेदक उम्मीद छोड़ जाते हैं।  इसकी अपनी एक प्रक्रिया है। जिसमें कई स्तरों पर जांच पड़ताल की जाती है।  शस्त्र लाइसेंस भी तब जारी होता है, जब संबंधित व्यक्ति के साथ ही उसके नाम पते को लेकर गहनता से पड़ताल कर रिपोर्ट लगाई जाती है। इस प्रकरण में ये सब औपचारिकताएं निभाई गई होगी।

पुलिस की एफआईआर के अनुसार 2007 में दो असलहों के लाइसेंस शाहजहांपुर से जारी किए गए थे। इसके बाद 2018-19 में इन्हें पीलीभीत स्थानांतरित करा लिया गया था। अब हकीकत उजागर होने पर कार्रवाई 2024 में हुई है। यानी फर्जी पते और कूटरचित अभिलेख की मदद से असलहा लाइसेंस बनवाए जाने की बात पुलिस प्रशासन 17 साल बाद पता कर सका।  

फर्जीवाड़ा करके लाइसेंस बनवाने वाले सपा नेता तो जेल भेज दिए गए हैं। मगर, जिन अधिकारी-कर्मचारियों ने लाइसेंस जारी होने से पहले आवेदन किए जाने पर इसकी पुष्टि करते हुए रिपोर्ट लगाई। उनकी कार्यशैली पर भी सवाल उठ गए हैं। शाहजहांपुर क्षेत्र में पूर्व में भी फर्जीबाड़ा कर शस्त्र लाइसेंस जारी करने के मामले पकड़े जा चुके हैं। करीब एक दशक पहले हरदोई सीमाक्षेत्र में इस तरह का बड़ा गड़्बड़झाला सुर्खियां बना था।  

मामला सही तो तत्कालीन अधिकारी भी जिम्मेदार, उन पर भी हो कार्रवाई: जग्गा
प्रकरण संज्ञान में आया है। एफआईआर के अनुसार फर्जी पता दर्शाकर शस्त्र लाइसेंस बनवाने की बात कही गई है। ऐसे में ये भी सवाल उठता है कि उस वक्त जिन जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी जांच रिपोर्ट लगाई और फिर लाइसेंस जारी किया। वह भी दोषी हुए। शस्त्र लाइसेंस बनने के बाद स्थानांतरित करते वक्त भी जांच तो की गई होगी। अगर एफआईआर की कहानी सत्य है तो इस प्रकरण से जुड़े जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि जिम्मेदारों को बचाते पूरे प्रकरण में सतनाम सिंह सत्ता को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। - जगदेव सिंह जग्गा, जिलाध्यक्ष, समाजवादी पार्टी  

इस मामले में पुलिस के स्तर से रिपोर्ट प्राप्त होने पर उसका अध्ययन किया जाएगा।  तथ्यों के आधार पर प्रकरण में नियमानुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। - संजय कुमार सिंह,  जिलाधिकारी

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