पीलीभीत: मेडिकल कॉलेज के आवास हुए जर्जर, टूटे-फूटे भवनों में रह रहे कर्मचारी...नाले नालियों में लगा गंदगी का ढेर

पीलीभीत: मेडिकल कॉलेज के आवास हुए जर्जर, टूटे-फूटे भवनों में रह रहे कर्मचारी...नाले नालियों में लगा गंदगी का ढेर

पीलीभीत, अमृत विचार। मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए चार दशक पूर्व बनाए गए सरकारी आवास रखरखाव के अभाव में जर्जर अवस्था में पहुंच गए हैं। इन आवासों के बाहरी और भीतरी हिस्से तो बदहाल हो चुके हैं। कई आवासों में फर्श और प्लास्टर की स्थिति काफी दयनीय है। 

इन आवासों के कर्मचारी निजी खर्च कर कई बार मरम्मत करा चुके हैं। सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम न होने के कारण परिसर में अराजक तत्वों का भी जमावड़ा रहता है। हालांकि इन आवासों में रहने वाले कर्मचारियों ने कई बार शिकायत भी की लेकिन जिम्मेदारों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे सके हैं। जबकि अब संयुक्त चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिल चुका है।           
  
जिले में संचालित होने वाला मेडिकल कॉलेज पहले संयुक्त चिकित्सालय के नाम से था। जिसमें पुरुष और महिला अस्पताल अलग-अलग चलता था। उस दौरान कर्मचारियों और डॉक्टरों के रहने के लिए आवास भी बनाए गए थे। जिन्हें तीन टाइप में विभाजित किया गया था। पूरे कैंपस में करीब 250 से अधिक आवास बने हुए हैं। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी से लेकर डाक्टर्स के लिए आवास बनाए गए हैं। 

महकमे की तरफ से मरम्मत कार्य न होने से आवास जर्जर हाल में हो गए हैं। हल्की बारिश होते ही छत से पानी रिसने लगता है। पुराना भवन होने के कारण स्वास्थ्य कर्मियों को काफी दुश्वारियां उठानी पड़ती है। भवनों के टूटे फर्श और प्लास्टर की कर्मचारियों तथा स्वास्थ्य कर्मियों का मरम्मत खुद के रुपये से करानी पड़ती है। आवासों के छज्जे लटकने लगे है, तो किसी का प्लास्टर टूटकर गिर रहा है। 

वहीं गेट न होने के चलते लोगों ने लकड़ियों को इकट्ठा कर उसे गेट बना दिया है। ताकि आवास में जानवर आदि न घुसे। आज तक कोई भी अफसर इन आवासों में झांकने के लिए नहीं आया है। यहां रहने वाले कर्मचारियों से जब बात की गई तो नाम न छापने की गुजारिश पर बताया कि  लंबे समय से सरकारी आवासों का मरम्मत कार्य कागज पर ही चल रहा है। आवासों में पेड़ आदि निकल आए हैं। जिस वजह से झाड़ियों में विषैले जंतुओं का खतरा भी बढ़ गया है। 

आवास में जल निकासी का समुचित व्यवस्था न होने के कारण जलजमाव बड़ी समस्या है। इससे घरों से निकलने वाला पानी सड़कर बजबजा रहा है। संक्रामक रोगों का खतरा बना हुआ है। जिला संयुक्त चिकित्सालय के बाद अब मेडिकल कॉलेज में तब्दील हो गया है।  लेकिन फिर भी कोई समाधान नहीं हो रहा है। आलम यह है कि नए डॉक्टर और स्टाफ ने ज्वाइन किया हुआ है। जो इन जर्जर आवासों में रहने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि यह भवन दयनीय स्थिति में हैं। इसलिए यह रहना खतरे से खाली नहीं है।

नए आवासों का अभी तक नही हो सका आवंटन
मेडिकल कॉलेज बनने के बाद पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टरों के लिए 200 बेड अस्पताल के पास में आवास बनाए गए थे। जिसका काम निर्माण दायी संस्था की ओर से पूरा कर दिया गया है। मगर अभी तक भवन तकनीकी निरीक्षण के चलते हैंडओवर नहीं हो सका है। ऐसे में यह भवन बनने के बाद भी खाली पड़ा हुआ है। पुराने जर्जर आवासों में ही डॉक्टरों को रहकर अपना काम चलना पड़ रहा है। अफसरों की मानें तो भवन का तकनीकी मुआयना करने के बाद ही हैंडओवर लिया जाएगा।

आवासों के पास लगे गंदगी के ढेर, जलभराव की भी समस्या
मेडिकल कॉलेज में आवास जर्जर होने के अलावा इस कैंपस में आवासों के बाहर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। लेकिन कैंपस में फैली गदंगी अफसरों को दिखाई नहीं दे रही। जहां पर डेंगू व मलेरिया जैसी बीमारियों को फैलाने वाले मच्छरों के लार्वा को संरक्षण मिल रहा है। आवासों के बाहर नाले नालियां चोक पड़ी हुई है। यहां उगी झाड़ियां, परिसर में गंदे पानी और कीचड़ से बजबजाती नालियों में जमा गंदा पानी मच्छरों को पैदा कर रहा है। जर्जर भवनों में रहने के साथ ही स्वास्थ्य कर्मी संक्रामक बीमारियों के जद में रह रहे हैं।

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