Kanpur: शेर-बाघ पी रहे इलेक्ट्राल और गेंडा नींबू पानी; पशु-पक्षियों को लू से बचाने के लिए प्राणि उद्यान में लगाए कूलर

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। कानपुर प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) में तेज धूप और लपट से बेहाल जानवरों के लिए बाड़ों में कूलर और वाटर  स्प्रिंकलर की व्यवस्था की गई है। शेर और बाघ की खुराक में मीट का मात्रा कम करके इलेक्ट्राल और नींबू पानी दिया जा रहा है। 

इस समय शहर का तापमान 42.4 डिग्री सेल्सियस है। प्राणि उद्यान के डॉ. अनुराग सिंह ने बताया कि 38 डिग्री के ऊपर तापमान जाने पर पशु-पक्षियों को दिक्कत होने लगती है। वह पानी और छांव की तरफ भागने लगते हैं। इसे देखते हुए गुरुवार को सभी जानवरों के बाड़ों में कूलर लगवाया गया है। मौजूदा समय में बाड़ों में 36 कूलर लगे हैं। 10 वाटर स्प्रिंकलर लगवाये गये हैं। 

जब जानवर बाड़े से बाहर निकलते हैं तो उनपर पानी की बौछार होती है। डॉ. अनुराग ने बताया कि गर्मी में जानवरों को भारी भोजन देने से बच रहे हैं। इसलिए मांसाहारी जानवरों की मीट की खुराक कम कर दी गई है। शेर, बाघ और बाघिन को कम मात्रा में मीट दिया जा रहा है। दिन में दो से तीन बाद इलेक्ट्राल, ओआरएस दिया जाता है। 

दरियायी घोड़ा और गेंडा खा रहे तरबूज 

शाकाहारी जानवरों की डाइट में भी बदलाव किया गया है। फल की मात्रा बढ़ाई गई है। दरियायी घोड़ा, गेंडा, जेब्रा को नियमित तरबूज, खरबूजा, पपीता, आम और नींबू पानी पिलाया जा रहा है। अच्छी पाचन शक्ति वाली हरी घास ही जानवरों को दी जा रही है। जिससे डीहाईड्रेशन न हो। 

24 घंटे कूलर चलाने के आदेश  

सफेद बाघिन दुर्गा, लाल बाघ बघीरा, गेंडा गौरी और शेर के बाड़ों में 24 घंटे कूलर चलाने का आदेश हैं। दिन में दो बाद कूलर में ठंडा पानी डाला जाता है। भालू और अन्य जानवरों के भी बाड़े में यही व्यवस्था की गई है। गेड़ा और दरियायी घोड़ा के बाड़े में वाटर स्प्रिंकलर की व्यवस्था कराई गई है। जिससे उन्हें बारिश का अहसास हो।

पक्षियों के लिए खस की टटिया 

विभिन्न प्रजातियों की गौरैया, तोता, तीतर, मोर आदि के बाड़ों में इस समय खस की टटिया लगाई गई है। कूलर लगाने पर पक्षी बाड़े में उड़ नहीं सकते हैं। इस कारण खस की टटिया लगाकर उस पर पानी का छिड़काव किया जाता है। जिससे बाड़े के अंदर ठंडी बनी रही। पक्षियों के बाड़े में पानी के घड़े रखवाए गए हैं। पीने का पानी दिन में चार बाद बदला जाता है। पक्षियों के पानी में भी ओआरएस मिलाया जाता है।

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