पुणे पोर्श केस: कार दुर्घटना में शामिल नाबालिग की जमानत रद्द, बाल सुधार गृह भेजा

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Published By Moazzam Beg
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पुणे। पुणे स्थित किशोर न्याय बोर्ड ने एक कार दुर्घटना में कथित रूप से शामिल 17 वर्षीय किशोर को दी गई जमानत बुधवार को रद्द कर दी और उसे पांच जून तक के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया। बोर्ड ने रविवार को दुर्घटना के कुछ घंटों बाद उसे जमानत दे दी थी और सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा था, जिसके बाद लोगों ने इस फैसले की भरसक आलोचना की थी। हादसे में दो लोगों की मौत हुई थी।

पुलिस ने फिर से बोर्ड का रुख किया और पूर्व में दिये गये आदेश की समीक्षा की मांग करते हुए अपराध की जघन्य प्रकृति के आधार पर आरोपी के साथ नाबालिग के तौर पर नहीं बल्कि बालिग के रूप में व्यवहार करने की मंजूरी मांगी। 

पुलिस ने नाबालिग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 304 (गैर इरादतन हत्या), 304 (ए) (लापरवाही से मौत), 279 (लापरवाही से वाहन चलाने), 337 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाले कार्य से चोट पहुंचाना), 338 (जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य से गंभीर चोट पहुंचाना) और मोटर वाहन अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। 

आरोपी नाबालिग एक रियल स्टेट कारोबारी का बेटा है। पुलिस के मुताबिक, किशोर ने पोर्श कार चलाते हुए रविवार तड़के पुणे शहर के कल्याणी नगर इलाके में मोटरसाइकिल सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को बुरी तरह से टक्कर मारी थी। पुलिस ने बताया कि पोर्श कार कथित तौर पर 17 वर्षीय नाबालिग चला रहा था और दुर्घटना के वक्त वह नशे में था। लड़के के पिता को अपनी कार अपने नाबालिग बेटे को देने के आरोप में पहले ही किशोर न्याय अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।

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