Kanpur: अकबरपुर लोकसभा सीट में भोले ने जीत और पाल ने लगाई हार की हैट्रिक...ये हार की बनती बड़ी वजह
2014 में पहली बार मोदी लहर में जीते थे भोले
कानपुर, अमृत विचार। अकबरपुर संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले ने जीत की हैट्रिक लगाई है, जबकि सपा उम्मीदवार राजाराम पाल ने हार की हैट्रिक बनाई। भोले पहली बार 2014 में संसदीय चुनाव में मैदान में उतरे थे, तब नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर थी। इस चुनाव में उन्हें जीत मिली तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अपनी ही पार्टी के विधायकों के विरोध के बाद न सिर्फ उन्होंने 2019 में जीत दर्ज की बल्कि इस चुनाव में भी उन्होंने कड़े मुकाबले में संसद पहुंचने में कामयाबी हासिल की। 2019 में बसपा- सपा गठबंधन था पर इस बार के मुकाबले उनकी जीत का अंतर ज्यादा था। इस बार कांग्रेस- सपा के उम्मीदवार राजाराम पाल न सिर्फ उनके सामने मजबूती से डंटे रहे पर मोदी की गारंटी, क्षेत्र में किए गए विकास के कार्यों के दम पर भोले ने उन्हें आगे नहीं निकलने दिया।
2009 में कांग्रेस के टिकट पर राजाराम पाल ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। इससे पहले भी वे बसपा के टिकट पर बिल्हौर सीट से सांसद बने थे। 2009 के बाद राजाराम पाल 2014 और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर अकबरपुर से मैदान में उतरे पर मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया। 2014 में उन्हें चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा था। 2019 में चूंकि सपा और बसपा संयुक्त रूप से मैदान में थीं इसलिए राजाराम पाल इस चुनाव में तीसरे स्थान पर थे। राजाराम पाल पाला बदलकर सपा में गए तो वहां उन्हें तबज्जो भी खूब मिली।
इस बार के चुनाव में उन्हें पार्टी ने मैदान में उतारा पर कांग्रेस के कमजोर संगठन और सपा पदाधिकारियों से कांग्रेसियों के तालमेल की कमी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। राजाराम पाल टिकट मिलने के बाद से ही अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे। यही वजह थी कि वे चुनाव प्रचार के लिए घर से सुबह 11 बजे के बाद निकलते थे। यह अति आत्मविश्वास भी उनके लिए घातक साबित हुआ। भोले मतदाताओं को यह बताने में कामयाब रहे कि उन्हें क्षेत्र में कौन- कौन से बड़े विकास कार्य कराए हैं।
मोदी सरकार की नीतियों का भी बखान उन्हें खूब किया। साथ ही राजाराम पाल और उनकी पार्टी की ओर से संविधान व आरक्षण खत्म होने की जो दलीलें पेश की गईं उन पर मतदाता विश्वास न करे इसके लिए भी वे लगातार अपना पक्ष रखते रहे। इसका परिणाम सुखद रहा और वे जीत दर्ज करने में कामयाब हुए।
2019 का जनादेश
पार्टी प्रत्याशी मिले मत
भाजपा देवेंद्र सिंह भोले 5,81,282
बसपा निशा सचान 3,06, 140
कांग्रेस राजाराम पाल 1,08,341
2019 का जनादेश
पार्टी प्रत्याशी मिले मत
भाजपा देवेंद्र सिंह भोले 5,81,282
बसपा निशा सचान 3,06, 140
कांग्रेस राजाराम पाल 1,08,341
कांग्रेस कार्यकर्ताओं की दूरी हार का कारण
कांग्रेस से सपा में आए राजाराम पाल को उम्मीद थी कि उन्हें कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से पूरी मदद मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। कांग्रेस के पदाधिकारी लगातार उनसे दूरी बनाए रहे। जब कोई बड़ा नेता आया तो वे जरूर उनके साथ दिखे। कल्याणपुर, बिठूर विधानसभा क्षेत्र में तो उनके साथ तालमेल कहीं भी नहीं दिखा। इसी का परिणाम रहा कि राजाराम पाल को एक बार फिर हार का स्वाद चखना पड़ा।
भोले को अपनों ने खूब छकाया
सांसद देवेंद्र सिंह भोले को विरोधी बसपा के राजेश द्विवेदी और सपा के राजाराम पाल के साथ ही उन्हें अपनों ने भी खूब परेशान किया। तीन विधायक ऐसे रहे जिन्होंने तो उनकी हार के लिए भितरघात भी किया। एक विधायक के समर्थकों ने तो बकायदा कानपुर में जय श्रीराम अकबरपुर में राजाराम का नारा भी लगाया। ये नारा संसदीय क्षेत्र के कई बूथों पर मतदान के दिन गूंजा। हालांकि मतदाताओं के विश्वास से भितरघात को पार कर भोले जीतने में कामयाब हुए।
