Kanpur: चट्टा संचालकों की दबंगई: टनों गोबर सीवर चैंबर में फेंक देते, कई किमी तक चैंबर जाम, लाखों लोग परेशान
कानपुर, अमृत विचार। चमनगंज में सैकड़ों चट्टा संचालकों ने सबमर्सिबल लगा रखा है, यहां दो हजार से अधिक बड़े जानवर हैं, इन जानवरों का टनों गोबर रोजाना निकलता है, गोबर को तय स्थान पर डालने के बजाय भोर में ही सबमिर्सबल चलाकर सीवर चैंबर में डाल दिया जाता है।
इन चट्टा संचालकों का इतना दबदबा है कि इनके खिलाफ जल्दी कोई बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। नतीजा ये है कि कई किमी तक आएदिन सीवर भराव से लाखों लोग परेशान रहते हैं। यहां के लोग कई बार नगर निगम से शिकायत कर चुके हैं। महापौर प्रमिला पांडेय भी यहां चट्टा संचालकों के खिलाफ अभियान चला चुकी हैं।
चमनगंज में घोसियाना मोहल्ला में करीब 300 चट्टा संचालक हैं। क्षेत्र में कई गलियां, मोहल्ले के मोहल्ले संचालकों के कब्जे में हैं। हालत ये है कि सीवर चैंबर में टनों गोबर फेके जाने से सईदाबाद, मोहम्मद अली पार्क, प्लाट नंबर तीन, प्लाट नंबर चार चमनगंज, प्रेमनगर, गुरुद्वारा रोड, हाजी संपत पहलवान चौराहा के अलावा वनखंडेश्वर मंदिर मार्ग, पी रोड के कई क्षेत्र आएदिन सीवरभराव में रहते हैं। यहां सीवर चैंबर इतना फंस जाते हैं कि कई बार नगर निगम, जलकल की गाड़ियां दिन रात लगने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं कर पाती हैं। सर्वाधिक परेशानी स्कूलों के पास है, जहां बच्चों को सीवरभराव के बीच से होकर स्कूल जाना पड़ता है।
गर्मी में दुर्गंध से लोग परेशान, सुलगाते अगरबत्ती
चट्टों के पास टनों गोबर और सीवर चैंबर में फंसे गोबर की दुर्गंध से हजारों लोग परेशान हैं। भीषण गर्मी में हवा चलते ही क्षेत्र में खड़ा होना दूभर हो जाता है। हालत ये है कि लोग अपने घरों की खिड़की दरवाजे बंद रखते हैं। शाम होते ही सैकड़ों लोगों के घरों में अगरबत्ती सुलगाई जाती है ताकि दुर्गंध से बच सकें। सर्वाधिक परेशानी प्लाट नंबर तीन और चार के अलावा सईदाबाद में है। लोगों के घरों में लगे सबमर्सिबल और नलों के पानी में भी पीलापन होता है। इतना ही नहीं, अक्सर पानी के अंदर से गोबर का अंश भी निकल आता है लेकिन चट्टा संचालकों की इतनी दहशत है कि जल्दी कोई बोलता नही है।
चट्टा संचालकों ने महापौर के आगे टेके थे घुटने
कुछ साल पहले चट्टा संचालकों के खिलाफ महापौर प्रमिला पांडेय ने जबदस्त अभियान चलाया था जिसका बहुत विरोध हुआ था लेकिन महापौर के आगे इन संचालकों न घुटने टेक दिए थे। चट्टा संचालकों ने यकीन दिलाया था कि वे यहां से निर्धारित स्थान पर चले जाएंगे लेकिन चमनगंज छोड़कर कोई नहीं गया। चट्टा संचालकों के लिए घाटमपुर मार्ग पर पांडु नदी के आगे सरकार ने जमीन उपलब्ध कराई थी लेकिन चट्टा संचालक वहां नहीं गए।
