विश्व रक्तदाता दिवस: हर साल दान में आ रहा 4 हजार यूनिट ब्लड, बच रहीं कई जानें
300 यूनिट रक्त रखने की ब्लड बैंक में क्षमता, अयोध्या और लखनऊ मंडल के मरीजों को मिल रहा जिले से ब्लड
रीतेश श्रीवास्तव/बाराबंकी, अमृत विचार। खून दान करने से आदमी बीमार रहता है, वह कभी स्वस्थ्य नहीं हो पाता है लोगों के मन में उठने वाली इस प्रकार की भ्रांतियां अब पूरी तरह से दूर हो चुकी हैं। यही वजह है कि लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने के प्रति आगे आए हैं। कई सामाजिक संस्थाएं तो हर साल किसी न किसी मौके पर व्यापक स्तर पर रक्तदान कर दूसरों की जान बचाने में अागे रहती हैं। यही वजह है कि जिला अस्पताल के 300 यूनिट क्षमता वाले ब्लड बैंक में हर साल चार हजार यूनिट रक्त दान के रुप में आ रहा है। इस रक्त से स्थानीय जिले के ही नहीं ब्लकि अयोध्या औ लखनऊ मंडल के विभिन्न जिलों के अस्पतालों में रक्त की कमी से जूझ रहे लोगों की जान भी बच रही है।
शहर के जिला अस्पताल स्थित पैथालॉजी विंग के ब्लड बैंक में रक्तदान को लेकर सभी सुविधाएं मुहैया हो रही हैं। यहां पर प्रतिदिन 10 से 15 यूनिट रक्तदान हो रहा है। इस हिसाब से देखे तो हर साल 35 सौ से चार हजार यूनिट तक रक्तदान होता है। स्वयंसेवी संस्थाएं जैसे भारतीय किसान यूनियन की तीन इकाईयों समेत बालाजी का बचपन द्वारा तो हर माह अभियान चलाकर रक्तदान किया जा रहा है।
जिले में भाकियू समेत कई संस्थाओं के ऐसे चेहरे हैं जिन्होंने एक नहीं पचास से अधिक बार रक्तदान कर एक कीर्तिमान स्थापित किया है। यही वजह है कि अब रक्त की कमी से किसी की भी जान नहीं जाती है। 300 यूनिट क्षमता वाले इस ब्लड बैंक से कई बार अयोध्या और लखनऊ के कई जिलों में भी कई यूनिट रक्त मरीजों की जान बचाने के लिए भेजा जा चुका है। भारी मात्रा में रक्त दूसरे जिले में भेजने के लिए कोल्डरुम के रूप में एसी वैन या एंबुलेंस भी माैजूद है ताकि रक्त को पर्याप्त तापमान मिलता रहे। यहां के डॉक्टर्स भी मानते हैं कि रक्तदान करने के प्रति अब लोग पूरी तरह से जागरुक हो चुके हैं।जो भ्रांतियां थी वह दूरी हो चुकी हैं। सबसे खास बात यह है कि रक्तदान के दौरान संबंधित की पांच तरह की जांचें निशुल्क हो जाती हैं। इनमें सिफलिक, हेपेटाइटिस बी व सी, मलेरिया और एचआईवी शामिल हैं।
90 प्रतिशत महिला अस्पताल के काम आता है रक्त
खून की आवश्यकता सबसे अधिक प्रसव के दौरान प्रसूता को होती है। ऐसे में ब्लड बैँक से 90 प्रतिशत ब्लड महिला अस्पताल में भर्ती प्रसूता के इलाज के लिए भेजा जाता है लेकिन कोशिश यही रहती है कि ब्लड बैंक में सूखा न पड़े इसके लिए रक्त लेेने वाले मरीज के किसी एक परिजन से उसकी स्वेच्छा के अाधार पर डोनेट भी कराया जाता है ताकि यह रक्त किसी दूसरे जरूरत मंद के काम आ सके। ब्लड बैंक केे परामर्शदाता पंकज वर्मा बताते हैं कि डिलीवरी के दौरान प्रसूता को रक्त की अधिक जरूरत पड़ती है ऐसी दशा में ब्लड बैंक में ग्रुप के आधार संबंधित को रक्त उपलब्ध कराया जाता है। करीब 90 प्रतिशत ब्लड महिला अस्पताल को भेजा जाता है।
सर्वाधिक रक्तदान करने वाली प्रमुख संस्थाएं
भारतीय किसान यूनियन टिकैतगुट
बालाजी एजुकेशन वेलफेयर सोसयटी
सामाजिक ग्रामीण संगठन
रक्तदान जीवनदान ग्रुप
शकल दिगंबर जैन समाज
भारतीय किसान यूनियन भानू गुट
युवा प्रगति मंच
युवक मंगलदल मानपुर
क्रिमिनोलाॅजिस्ट एसोशिएशन
द लोनी अर्बन क्रडिट एंड थ्रिप्ट बहुराज्यीय सहकारी समिति
गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ
भाकियू अराजनैतिक
एक बार रक्तदान करने से बचती है तीन की जान
खून बनाने को कोई मशीन नहीं हैं हम आप के द्वारा स्वेच्छा से किए गए रक्तदान से ही दूसरों की जिंदगी बचाते हैं। डॉक्टर्स भी कहते हैं कि एक बार रक्तदान करने तीन लोगों की जान बच सकती है। किसी रक्तदाता द्वारा बल्ड डोनेट करने पर ही रक्त की कमी या जरुरत को पूरा किया जा सकता है। हर साल करोड़ों लोगों को रक्त की जरूरत होती है पर कुछ लाखों लोगों को ही रक्त मिल पाता है। सिकल सेल के मरीज को कई बार रक्त डोनेशन की जरुरत पड़ती है। डॉक्टरों के अनुसार एक स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में 5 से 6 लीटर खून मौजूद रहता है। ब्लड डोनेशन के समय 350 एमएल रक्त ही लिया जाता है। दूसरी बार तीन माह के अंतराल पर भी रक्तदान किया जा सकता है।
वर्जन-
सभी रक्तदाताओं को इस विशेष दिवस की शुभकामनाएं। सभी को रक्तदान करना चाहिए। ताकि रक्त की कमी से किसी की भी जान न जाए। वहीं स्थानीय ब्लड बैंक में रक्तदान का जो ग्राफ है वह बहुत अच्छा है। प्रतिवर्ष लगभग चार हजार यूनिट ब्लड डोनेट होता है। इसमें विभिन्न संस्थाओं का सहयोग रहता है। -डा. वीपी सिंह, प्रभारी अधिकारी, रक्तकोष, जिला चिकित्सालय।
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