हल्द्वानी: कांवड़ के चलते यूपी में फंसे ट्रक, थमी ट्रांसपोर्ट कारोबार की रफ्तार
हल्द्वानी, अमृत विचार। कांवड़ यात्रा को लेकर जहां शिवभक्तों का जोश चरम पर है। वहीं हल्द्वानी में ट्रांसपोर्ट कारोबार की रफ्तार धीमी पड़ गई है। कांवड़ यात्रा के चलते उत्तरप्रदेश और दिल्ली से उत्तराखंड की ओर आने-जाने वाले रास्तों को बंद किया गया है। केवल कुछ समय के लिए रास्तों को खोला जा रहा है। ऐसे में कई तक दिन सामान से लदे ट्रक फंसे होने से कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सावन माह में होने वाली कांवड़ यात्रा के चलते उत्तरप्रदेश और दिल्ली की ओर से आने-जाने वाले हाईवे जाम हो गए हैं। माल वाहक वाहनों को कई-कई घंटों तक रोका जा रहा है। केवल निजी और सवारी वाहनों की आवाजाही जारी है। हल्द्वानी, लालकुआं और रुद्रपुर से प्रतिदिन 500 से अधिक छोटे-बडे़ माल वाहनों से कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में खाद्य सामग्री, राशन, कपड़ा, जूते समेत अन्य सामान की आपूर्ति होती है।
वहीं पर्वतीय क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लकड़ी, खड़िया और फल आदि की सप्लाई तराई क्षेत्रों में की जाती है। लेकिन इन दिनों बाहरी प्रदेश से हल्द्वानी पहुंचने के सभी रास्तों पर ट्रांसपोर्टरों के ट्रक फंसे हुए हैं। इसकी वजह से थोक और फुटकर विक्रेताओं तक सामान पहुंचने में देरी हो रही है।
नौ दिन में हुआ एक करोड़ से अधिक का नुकसान
कांवड़ यात्रा के चलते हल्द्वानी में ट्रांसपोर्ट कारोबार 22 जुलाई से धीमा पड़ा है। नौ दिन में ट्रांसपोर्टरों को एक करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि मुरादाबाद, काशीपुर बैल्ड, दिल्ली रोड में जहां-तहां 4-5 दिन से ट्रक फंसे हुए हैं। जिनमें कच्चा और पक्का माल भरा हुआ है। बिना व्यापार के वाहनों की किश्त, रखरखाव, चालक-परिचालक का खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है।
50 ट्रांसपोर्टर करते हैं बुकिंग का काम
हल्द्वानी ट्रांसपोर्ट नगर में करीब 50 ट्रांसपोर्टर ऐसे हैं जो प्रतिदिन पहाड़ और मैदान लाइन में बुकिंग का काम करते हैं। इनके पास 150 से 200 तक छोटे-बड़े वाहन हैं। लेकिन कांवड़ यात्रा के चलते ट्रकों के फंसे होने से ट्रांसपोर्टरों का व्यापार चौपट हो गया है। उनका कहना है कि उत्तरप्रदेश और दिल्ली में पुलिस कहीं भी ट्रकों को रोककर खड़ा करा दे रही है। कई जगहों पर चालक-परिचालकों के खाने-पीने तक के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं।
गाड़ियां जहां-तहां फंसी हुई हैं। माल खराब होने का भी डर सता रहा है। व्यापारी भाड़ा बढ़ाने के मूड में नहीं हैं। सरकार को ट्रांसपोर्टरों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।
- प्रदीप सब्बरवाल, ट्रांसपोर्टर
सरकार की ओर से कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं होता है। जिससे ट्रांसपोर्टर व वाहन स्वामी दर-दर धक्के खाने को मजबूर हो रहे हैं। चालक-परिचालकों के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है।
- इंद्र कुमार भुटियानी, ट्रांसपोर्टर
करीब 4-5 दिन से गाड़ियां खड़ी हैं। उत्तराखंड आने वाले सारे रास्ते बंद हैं। ट्रांसपोर्टर और व्यापारी बर्बाद होने के कगार पर हैं। सरकार कोई सुध नहीं ले रही है।
- राजेश पुरी, ट्रांसपोर्ट
बहेड़ी, पुलभट्टा, गौड़ा, बहराइच, लखनऊ वाले रास्तों पर गाड़ियां काफी लेट हो रही हैं। समय पर मंडी न पहुंचने से कृषि उत्पादों को उनका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
- कैलाश जोशी, अध्यक्ष आलू फल आढ़ती व्यापारी एसोसिएशन