Exclusive: मनौना धाम...मेडिकल साइंस का चीरहरण करने वाला बाबा कैसे करता है चमत्कार पे चमत्कार ?
श्याम नल से निकले चमत्कारिक जल से कैंसर, किडनी, लिवर और लकवे तक के इलाज का दावा, दूर-दूर से आते हैं लोग
अमृत विचार, बरेली। श्याम नल और उसके चमत्कारिक जल ने देश भर में मनौना धाम को मशहूर कर दिया। चार साल पहले तक मनौना धाम का कोई अस्तित्व नहीं था लेकिन खाटू श्याम के चमत्कारों में आस्था रखने वाले करीब एक लाख लोगों की भीड़ असाध्य रोगों के ठीक होने का विश्वास साथ लेकर यहां रोज पहुंचती है। कैंसर, किडनी, लिवर और लकवे जैसी दुसाध्य बीमारियों का इलाज यहां श्याम जल की एक बोतल से किया जाता है जिसकी कीमत सिर्फ 20 रुपये है। कई मरीज वेंटिलेटर पर भी यहां लाए जाते हैं। मनौना धाम की जितनी शोहरत बढ़ रही है, उतनी ही मेडिकल साइंस की फजीहत हो रही है। यही वजह है कि शहर के डॉक्टर भी सोशल मीडिया वायरल होने वाले मनौना धाम के वीडियो गौर से देखते हैं और इसे यह अंधविश्वास से घिरे लोगों की भीड़ बताते हैं। कहते हैं कि यह दुखी लोगों के दुख का फायदा उठाने का खेल है। तलाश किया जाए तो एक भी आदमी ऐसा नहीं मिलेगा जिसकी असाध्य बीमारी ठीक हुई है। पेश है शब्या सिंह तोमर की खास रिपोर्ट...
मनौना धाम के महंत हैं ओमेंद्र चौहान, जिनके बारे में सोशल मीडिया से लेकर लोगों की जुबान तक अब तमाम कहानियां हैं। हालांकि खाटू श्याम के अनन्य भक्त और महंत के तौर पर उनकी पहचान सिर्फ दो साल पुरानी है। उन्हीं के मंत्रोच्चारित जल से इलाज कराने के लिए मनौना धाम में पूरे दिन दूर-दूर से आए भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है।

अमृत विचार की टीम मनौना धाम पहुंची, तब भी कड़ी धूप होने के बावजूद लोगों की लंबी लाइन लगी हुई थी। दिलचस्प यह था कि इस कतार में लगे लोगों में लगभग हर कोई किसी न किसी बीमारी का इलाज कराने आया था। यूपी के तमाम शहरों के साथ इनमें राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड और मुंबई से आए लोग भी शामिल थे। कोई खुद बीमार था तो कोई अपने किसी परिजन के लिए मंत्रोच्चारित श्याम जल की बोतल लेने आया था। दिल्ली से आई एक महिला ने बताया कि वह एक बार पहले भी यहां आ चुकी हैं। पहली बार में महंत की कृपा नहीं हुई। उम्मीद है कि एक-दो बार और हाजिरी देने के बाद हो ही जाएगी।कतार में लगे कुछ दूसरे लोगों ने बताया कि वे पहली बार यहां आए हैं। सुना है मनौना धाम का चमत्कारिक जल बीमारों के लिए संजीवनी का काम करता है। महंत का आशीर्वाद मिल जाए तो रोग दूर होने की गारंटी मिल जाती है। कतार में लगे गोपाल लिवर का इलाज कराने आए थे। पूरी छह बोतलें समेटे शशि नाम की बुजुर्ग महिला ने बताया कि वह दूसरी बार आई हैं। महाराज पर भरोसा है, इसलिए अपने साथ बेटे के लिए भी जल लिया है। प्रज्ञा ने बताया कि वह डेढ़ महीने पहले अपने बीमार पति को लेकर आई थीं। उनका अंग्रेजी इलाज भी चल रहा है लेकिन ये जल भी लगातार उन्हें पिला रही हैं।हालांकि महंत के मीडिया प्रभारी कहते हैं कि वह ये दावा बिल्कुल नहीं करते कि यहां आने वाले सभी लोगों को फायदा हो रहा है। अगर किसी पर कोई असर नहीं हो रहा है तो यह भी महंत की ही मर्जी है।

सारे रोगों का इलाज..! 20 रुपये का जल
मनौना धाम में कैंसर, लिवर, किडनी रोग, स्पॉन्डलाइटिस, पैरालिसिस, हर्निया, पाइल्स, चल पाने में जन्मजात अक्षमता के मरीजों को ठीक करने का दावा किया जाता है। यहां आने वाले हर शख्स को श्याम जल की बोतल लेनी होती है। कहा जाता है कि धाम में लगे श्याम नल से निकले इस जल को महंत मंत्रोच्चारित करते हैं। लोग इच्छापूर्ति और रोगों से मुक्ति के लिए महंत के दर्शन कर जल पीते हैं। काफी समय पहले महंत ने सोशल मीडिया पर 61 रुपये से ज्यादा धनराशि की अर्जी न लगाने को कहा था लेकिन अब मनौना धाम के मीडिया प्रभारी कहते हैं कि लोग इच्छानुसार धनराशि की अर्जी लगा सकते हैं।
डॉक्टरों की नजर में मनौना धाम...
आईएमए अध्यक्ष डॉ. राजीव गोयल बताते हैं कि उनके अस्पताल में लकवे के पांच-छह ऐसे मरीज आए थे जो पहले मनौना धाम के बारे में पता चलने के बाद वहां अपना इलाज कराने गए थे। वापस लौटने के बाद उन्होंने बताया कि मनौना धाम में इलाज कराने के बाद उनकी हालत और खराब हो गई। दरअसल, पीलिया जैसी कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो स्वत: ठीक हो जाती हैं। लोग इसे ही चमत्कार समझने लगते हैं। वहीं पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ. विनोद पागरानी के मुताबिक मेडिकल साइंस सिर्फ विज्ञान पर भरोसा करती है। हालांकि डॉक्टर भी कोई भगवान नहीं होता, लेकिन लोगों के रोग ठीक करने में मददगार होता है। जब किसी को कहीं आराम नहीं मिलता तो वह हार मानकर आस्था आधारित गतिविधियों का अनुसरण करने लगता है। डॉक्टर साइंस के आधार पर इलाज करते हैं जिसके तथ्य और प्रमाण होते हैं। डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन एमसीआई और एनएमसी में होता है। इस तरह के धाम का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता। उसके इलाज के बारे में और कुछ नहीं कहा जा सकता। फिजीशियन डॉ. रवीश अग्रवाल कहते हैं कि वह इस तरह के चमत्कार को नहीं मानते। इस तरह की जगहों पर ज्यादातर वे लोग जाते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं या फिर अशिक्षित। अगर पढ़ालिखा वर्ग भी ऐसी जगह जाता है तो उनकी पारिवारिक मजबूरियां होती होंगी। उदाहरण के तौर पर आज भी लोग पीलिया झड़वाने में भरोसा करते हैं। जिन्हें हम मना नहीं कर सकते, हमें पता है कि एक अवधि के बाद पीलिया ठीक होता ही है।

इलाज नहीं तो क्या हुआ...बाबा करेंगे कल्याण !
पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक समाज में हर तरह के लोग हैं। कुछ हारे हुए लोग होते हैं जो सोचते हैं कि लाभ हो न हो, अगर कुछ अच्छा नहीं होगा तो बुरा भी नहीं होगा। अज्ञानता, जागरूकता की कमी, अंधविश्वास और पारिवारिक दबाव की वजह से लोग कभी-कभी सब कुछ जानते हुए भी अंधविश्वास में पड़ जाते हैं। कैंसर विशेषज्ञ डॉ. आर के चितलांगिया का मानना है कि जिस बीमारी का इलाज पक्का नहीं होता, ऐसे दावे उन्हीं बीमारियों के लिए किए जाते हैं। अगर डॉक्टर ने कह दिया कि ठीक नहीं होंगे तो लोग अंधविश्वास की ओर भागने लगते हैं। दुखी लोगों के दुख का फायदा उठाया जाता है। एक डॉक्टर होने के नाते हमें अपने मरीज के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। मरीज ठीक होगा या नहीं, ये साफ तौर पर बताना चाहिए। किसी लाइलाज बीमारी को पूरी तरह ठीक करने का भ्रामक दावा दुखी व्यक्ति को ब्लैकमेल करने जैसा है।
सभी को फायदा... यह हमारा दावा नहीं
खुद को मनौना धाम का सेवादार और मीडिया प्रभारी बताने वाले सचिन सक्सेना कहते हैं कि जिन लोगों को लाभ होता है, वे बार-बार आते हैं। यहां कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं होता, ये पूरी तरह से लोगों की आस्था है। लोग आते हैं और अर्जी लगाते हैं। हम दावा नहीं कर रहे कि आने वाले सभी लोगों को फायदा हो रहा है। यह बाबा की कृपा पर निर्भर है। यहां लोग स्वेच्छा से काम करते हैं। पार्किंग, बाबा के दर्शन, ठहरने के लिए टेंट जैसी सुविधाएं बिल्कुल मुफ्त हैं। श्याम जल की बोतल से मिलने वाला पैसा भी यहीं के मजदूरों के काम आता है। चार-पांच हजार लोगों का जीवनयापन इसी धाम के जरिए चल रहा है।
ऐसे बना मनौना धाम
मनौना धाम के प्रवक्ता वेदपाल सिंह के मुताबिक 2019 से पहले महंत ओमेंद्र सिंह हर एकादशी को खाटू श्याम के दर्शन के लिए जाते थे। जब 2019 में कोरोना की वजह से आना-जाना मुश्किल हुआ तो बाबा श्याम का एक फोटो ले आए और अपने खेत पर बने ट्यूबवेल की कोठरी में रखकर पूजा शुरू कर दी। कोरोना खत्म हुआ तो 7 अक्टूबर 2020 को यहीं मंदिर की आधारशिला रख दी गई।
पहले अखंड राष्ट्रीय मंच के अध्यक्ष थे
महंत के परिवार में पांच भाई और एक बहन है। बीएससी कर चुके ओमेंद्र बाल ब्रह्मचारी हैं। 2019 से पहले वह एक संस्था अखंड राष्ट्रीय मंच के अध्यक्ष थे और स्थाई रूप से आंवला के बजाय दिल्ली-नोएडा में रहते थे।
सुरक्षा में एक दरोगा और पांच सिपाही
मनौना धाम के प्रवक्ता के मुताबिक हाल में आए पुलिस अधिकारियों ने धाम में एक दरोगा और पांच सिपाही तैनात किए हैं। यहां रोज 30 हजार से एक लाख लोगों तक की भीड़ आती है जिसे कंट्रोल करने के लिए 150 सेवादार हैं जो निशुल्क काम करते हैं।
सोशल मीडिया ने बनाया मशहूर
मनौना धाम सोशल मीडिया के जरिए देश भर में मशहूर हो गया। यहां चमत्कारिक जल से दुसाध्य रोगों के इलाज के वीडियो की सोशल मीडिया पर भरमार है। यही वीडियो लोगों को देश भर से खीचकर यहां ले आते हैं।
अब वीआईपी दर्शन भी शुरू
मंगलवार को मनौना धाम में मौजूद लोगों ने बताया कि आमतौर पर पांच किमी लंबी तक लाइन लगती है। इन दिनों कांवड़ यात्रा की वजह से भीड़ कम है। दिल्ली से पहली बार आए एक व्यक्ति ने बताया कि काफीकुछ सुनने के बाद यहां आए हैं लेकिन यहां मैनेजमेंट अच्छा नहीं है। अगर अचानक भगदड़ मच जाए तो लोगों को बचाने का इंतजाम नहीं है। लोग बैरिकेडिंग फांदकर इधर-उधर घुसते रहते हैं। भीड़ की तुलना में सेवादार बहुत कम हैं। बिजनौर से आए एक व्यक्ति ने बताया कि सेवादारों से जान पहचान हो तो वीआईपी दर्शन मिलते हैं लेकिन आम लोगों को कई घंटे लाइन में लगे रहना पड़ता है।
