प्रयागराज: ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप पत्र पर संज्ञान लिए जाने तक बयान की प्रति किसी अन्य को उपलब्ध न करायें- HC

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Published By Vishal Singh
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश देते हुए कहा कि वह चार्जशीट/पुलिस रिपोर्ट पर संज्ञान लिए जाने तक सीआरपीसी की धारा 164 (बीएनएसएस, 2023 की धारा 183) के तहत दर्ज पीड़ितों के बयान की प्रमाणित प्रति किसी भी व्यक्ति को जारी न करें। 

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि आरोपी या किसी अन्य व्यक्ति को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयानों की प्रति प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है, जब तक कि संबंधित अदालत/मजिस्ट्रेट द्वारा सीआरपीसी की धारा 173 के तहत दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान ना लिया गया हो। कोर्ट ने आगे कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने के तुरंत बाद इसकी कॉपी जांच अधिकारी को दी जानी चाहिए। 

जांच अधिकारी को यह विशेष निर्देश देना चाहिए कि वह बयान की प्रति तब तक किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित ना करें, जब तक कि सीआरपीसी की धारा 173 के तहत पुलिस रिपोर्ट दाखिल ना हो जाए। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने उजाला और अन्य की याचिका पर विचार करते हुए पारित किया।

साथ ही महानिबंधक को उक्त आदेश से मुख्य न्यायाधीश को अवगत कराने का निर्देश दिया, जिससे उत्तर प्रदेश राज्य के जिला न्यायालय को सर्कुलर जारी किया जा सके। इसके अलावा कोर्ट ने आदेश की प्रति पुलिस महानिदेशक को भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। मामले के अनुसार याचियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 363 और 366 के तहत पुलिस स्टेशन बरदाह जिला आजमगढ़ में मुकदमा पंजीकृत किया गया था।

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