हल्द्वानी: गौलापुल के लिए आईआईटी रुड़की अब नए सिरे से बनाएगी रिपोर्ट

Amrit Vichar Network
Published By Bhupesh Kanaujia
On

हल्द्वानी, अमृत विचार। गौलापुल की एप्रोच सड़क क्षतिग्रस्त होने के बाद एक बार फिर से आईआईटी रुड़की की टीम ने पुल का निरीक्षण किया। पूर्व में भी दो साल पहले टीम ने गौलापुल का निरीक्षण किया था और 23 करोड़ की लागत से पुल की सुरक्षा का खाका तैयार किया था। हालांकि उस पर काम होने से पहले की एक बार फिर से पुल का नुकसान हो गया।

अक्टूबर 2021 की बारिश में गौलापुल की एप्रोच सड़क बह गई थी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने किसी तरह से एप्रोच सड़क की मरम्मत करके आवाजाही शुरू कर दी थी लेकिन पुल की सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए तो  आईआईटी रुड़की की टीम बुलाई गई। आईआईटी रुड़की ने साल 2022 में पुल और एप्रोच रोड को बचाने के लिए गौला नदी में खनन पूर्ण बंद करने को कहा था लेकिन इस पर बात नहीं बन पाई।

एनएचएआई के कहने पर आईआईटी रुड़की ने दूसरी योजना तैयार की थी। इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए इस साल अप्रैल में टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन टेंडर नहीं हो पाया। जबकि उस समय तय हुआ था कि हर हाल में मानसून से पहले काम पूरा कर लिया जाए। एनएचएआई का कहना है कि अब मानसून के दौरान टेंडर तो हो गया लेकिन उससे पहले की पुल को नुकसान हो गया।

ऐसे में बुधवार को फिर से आईआईटी रुड़की की टीम को बुलाया गया है जो अब नए सिरे से रिपोर्ट बनाएगी। एनएचएआई के परियोजना निदेशक विकास मित्तल का कहना है कि पिलरों की तरफ अब बहाव बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में नए सिरे से काम करने की संभावना हो रही है। बताया कि आईआईटी रुड़की नए सिरे से रिपोर्ट देगा। ऐसे में माना जा रहा है कि पुरानी रिपोर्ट के आधार पर की गई टेंडर प्रक्रिया निरस्त हो सकती है। 

पुराने प्रोजेक्ट में 50 मीटर डाउन स्ट्रीम डैम बनाना था
आईआईटी रुड़की पुरानी रिपोर्ट में गौलापुल और एप्रोच बचाने के लिए रिवर के डाउन और अप स्ट्रीम में नदी के बहाव को चैनेलाइज (धीमा) करने के लिए कहा था। गौला पुल के 50 मीटर डाउन स्ट्रीम में डैम बनाने के लिए कहा था। इसमें नदी तल से आठ मीटर ऊंचाई में जीआई जाल की मदद से ब्लॉक बनाने, ऊपरी हिस्से में सीमेंट के ब्लॉक बनाने और अप स्ट्रीम में रिवर आबादी क्षेत्र की ओर न कटान करे इसके लिए सीमेंट के क्यूबिक आकार के ब्लॉक बनाने के लिए कहा था।

साथ ही पिलरों को बचाने के लिए भी पिलर के बाहरी भाग में प्रोटेक्शन वाल बनाई जाएगी। कहा कि गौला नदी में बाढ़ आने पर पत्थर, रेत इस ब्लॉक में अटक जाएंगे। इससे नदी का तल आगे की तरफ ऊंचा हो जाएगा। इससे पुल और एप्रोच रोड को कोई खतरा नहीं होगा। 

संबंधित समाचार