पुतिन की धमकी
यूक्रेन पर रूस के युद्ध का अंत कहीं नजर नहीं आ रहा है। फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। इस हमले के बाद यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा संघर्ष शुरू हो गया। तब से रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कई बार हस्तक्षेप करने वाले किसी भी देश के खिलाफ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकियां जारी की हैं। रूस ने एक बार फिर से यूक्रेन और नाटो देशों को परमाणु बम की धमकी दी है।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने परमाणु सिद्धांत में बदलाव के लिए कहा है। इससे रूस अब गैर परमाणु हथियार संपन्न देश के खिलाफ भी परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर सकेगा। यही नहीं अगर रूस पर भीषण हवाई हमला होता है तो रूस परमाणु हमला कर सकेगा। रूस की इस धमकी से एक बार फिर से दुनिया में चिंता बढ़ गई है। क्योंकि रूस के परमाणु सिद्धांत में संशोधन यूक्रेन युद्ध में शामिल होने के मामले में पश्चिम को अब तक की सबसे कड़ी चेतावनी है। रूस के पास वर्तमान समय में 5,580 परमाणु हथियार हैं और उसने 1710 एटम बमों को तैनात कर रखा है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा हैं।
गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में विश्व नेताओं, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने परमाणु निरस्त्रीकरण को एक वैश्विक प्राथमिकता बताया है और इसके लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता व्यक्त की है। उन्होंने आगाह किया कि शीत युद्ध के बदतरीन दिनों के बीत जाने के बाद अब फिर परमाणु हथियारों की स्याह छाया नजर आ रही है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने चिंता जताई कि परमाणु मुद्दे पर तनातनी और बयानबाज़ी हो रही है और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के लिए धमकियां दी जा रही हैं।
हथियारों की होड़ फिर से भड़कने की आशंका है। 20 देशों के समूह ने 2022 और 2023 में संयुक्त बयानों में खतरों को रेखांकित करते हुए कहा कि परमाणु हथियारों का उपयोग और उपयोग की धमकियां अस्वीकार्य हैं। ऐसे में भू-राजनीतिक तनावों के विशेष संदर्भ में वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण प्रयासों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा आवश्यक है। साथ ही भारत को अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को वैश्विक निरस्त्रीकरण लक्ष्यों के साथ संतुलित करना चाहिए।
सभी देशों को इस मुद्दे की तात्कालिकता को समझना होगा। अमेरिका और नाटो देशों को परमाणु प्रतिशोध की धमकी देने और उत्तेजक परमाणु अभ्यासों से बचना चाहिए। चूंकि अमेरिका और यूरोपीय नेता यूक्रेन को रूस को पीछे हटाने के लिए जरूरी हथियार मुहैया करा रहे हैं, इसलिए उन्हें सावधानी से अपने सैन्य समर्थन को संतुलित करना चाहिए और तनाव बढ़ने से बचने के लिए समन्वय करना चाहिए।