Kanpur: भाजपा के टिकट को लेकर परिवार में छिड़ी रार, सीसामऊ उपचुनाव में अनूप पचौरी व नीतू सिंह की दावेदारी आमने-सामने

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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विशेष संवाददाता, कानपुर। भाजपा ने सीसामऊ विधानसभा उप चुनाव के लिए दिल्ली की बैठक में प्रत्याशी लगभग फाइनल कर लिया है। 17 अक्टूबर तक नाम घोषित किया जा सकता है।  इस खबर के बावजूद जहां पूर्व सांसद सत्यदेव पचौरी अपने पुत्र अनूप पचौरी के लिए जी तोड़ कोशिश में जुटे हैं तो उनकी पुत्री नरेंद्रजीत सिंह की पौत्रवधू नीतू सिंह रास्ते का रोड़ा बनी हैं। वह आरएसएस की पसंद बतायी जाती हैं। संघ के कुछ पदाधिकारी उन्हें टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं।  

सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में नवरात्र के दौरान कन्या भोज आयोजित करके नीतू सिंह ने दावेदारी की दस्तक दी थी। इसके बाद आरएसएस की तरफ से एक पदाधिकारी ने क्षेत्र में 251 कन्याओं का भोज आयोजित किया।  मेयर के चुनाव में भी नीतू का नाम चर्चा में आया था, लेकिन ऐन वक्त प्रमिला पांडे प्रत्याशी बन गई थीं। 

लोकसभा चुनाव में भी उनका नाम चला था। हालांकि नीतू अपने समर्थकों को दावेदारी पर कोई संकेत देने से बच रही हैं।  उधर, पूर्व सांसद सत्यदेव पचौरी ने पुत्र अनूप के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट करके उपचुनाव में मौका देने की इच्छा व्यक्त की है। पचौरी के दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिलने की भी चर्चा है। वह सोमवार रात पुत्र के टिकट की लाबिंग के लिए फिर दिल्ली रवाना हो गए। 

दलित प्रत्याशी का भी दांव

सीसामऊ विधानसभा सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा बनी है। 2002 से पार्टी यहां नहीं जीती है। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि ब्राह्मण चेहरे के साथ दलित प्रत्याशी पर विचार हुआ है। पूर्व विधायक मोतीराम एडवोकेट के पुत्र संजय जाटव एडवोकेट का नाम दलित प्रत्याशी के रूप में है। सुरेश अवस्थी या सलिल विश्नोई पर पार्टी एक बार फिर दांव लगा दे तो आश्चर्य न होगा।

अजय कपूर की भी चर्चा

सीसामऊ विधानसभा उपचुनाव में पूर्व विधायक अजय कपूर का नाम भी चर्चा में है। हालांकि वह दावेदारी से इंकार करते हैं। लेकिन भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता उनके नाम पर दांव लगाए जाने से इंकार नहीं कर रहे हैं। एक बड़े नेता के अनुसार दिल्ली में कोर कमेटी की बैठक में अजय कपूर का नाम चर्चा में आया था।

महिला प्रत्याशी की भी सुगुबुगाहट

सपा से इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी की प्रत्याशिता को देखते हुए भाजपा में  भी महिला प्रत्याशी की सुगबुगाहट तेज है। क्षेत्र में मुस्लिम के बाद सबसे ज्यादा ब्राह्मण फिर  दलित मतदाता हैं। इस समीकरण के लिहाज से पार्टी ब्राह्मण प्रत्याशी नहीं उतारने पर सपा सरकार में मंत्री रहीं और 2023 में भाजपा में आईं महिला नेता को मौका दे सकती है।

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