इलेक्ट्रोलाइट डालकर होंगे मिर्गी, ब्रेन व स्पाइन के ऑपरेशन...कानपुर के GSVSS PGI काे मिली 2.50 करोड़ की कॉरटिकल मॉनिटरिंग सिस्टम मशीन

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Published By Nitesh Mishra
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पीजीआई का दावा, प्रदेश में पहली बार इस सिस्टम से होगी जटिल मामलों में सुरक्षित शल्य चिकित्सा

कानपुर, अमृत विचार। ब्रेन, स्पाइन या मिर्गी की समस्या से लंबे समय से परेशान और इलाज कराने के बाद भी स्वस्थ नहीं हो पा रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। इस तरह की बीमारी में ऑपरेशन महंगा और जोखिम भरा होने से लोग बचते हैं। लेकिन जल्दी ही जीएसवीएसएस पीजीआई में कॉरटिकल मॉनिटरिंग सिस्टम मशीन से सुरक्षित ऑपरेशन संभव हो सकेंगे।  

जीटी रोड स्थित जीएसवीएम सुपर स्पेशियलिटी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट को एचएएल ने करीब 2 करोड़ 50 लाख रुपये की कॉरटिकल मॉनिटरिंग सिस्टम मशीन उपलब्ध कराई है। इस मशीन से मिर्गी, ब्रेन व स्पाइन के मरीजों की सर्जरी बेहद आसान हो जाएगी। 

पीजीआई के नोडल डॉ.मनीष सिंह ने बताया कि मिर्गी की बीमारी नशीले पदार्थों के सेवन, मस्तिष्क में गहरी चोट, ब्रेन ट्यूमर, मानसिक सदमे या अनुवांशिक कारणों से हो सकती है। इस न्यूरोलॉजिकल समस्या में इलाज लंबे समय तक चलता है। कई बार देखा गया है कि कुछ दवाएं मरीजों पर काम नहीं करती हैं। ऐसे में ऑपरेशन करना पड़ता है। लेकिन ऑपरेशन के लिए अक्सर मरीज व तीमारदार राजी नहीं होते हैं, इसकी वजह ऑपरेशन के दौरान लकवा का खतरा होना रहता है। 

लेकिन कॉरटिकल मॉनिटरिंग सिस्टम से मरीज के दिमाग के उस हिस्से में इलेक्ट्रोलाइट डाला जाता है, जहां इलेक्ट्रोल में समस्या होती है। इस मशीन से दिमाग में खराब व दिक्कत करने वाले इलेक्ट्रोल को हटाया भी जा सकता है। इस दौरान दिमाग के दूसरे अंगों, नसों व इलेक्ट्रोल में समस्या नहीं होती है। डॉ.मनीष के मुबातिक यह सिस्टम प्रदेश के किसी मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध नहीं है। 

ब्रेन व स्पाइन के मरीजों को भी मिलेगा आराम 

जीएसवीएसएस पीजीआई में कॉरटिकल मॉनिटरिंग सिस्टम मशीन की मदद से ब्रेन व स्पाइन के मरीजों का भी जटिल ऑपरेशन हो सकेगा। प्रभावित हिस्से के अलावा किसी अन्य नस या मांसपेशी में दिक्कत नहीं होगी, जिससे मरीज जल्द स्वस्थ होगा।

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