पहले मेहर माफ करो, तब देंगे खुला की इजाजत: कानपुर में शौहर से छुटकारा पाने के लिए महिलाएं खुलकर आ रहीं सामने

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Published By Nitesh Mishra
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शहरकाजी की शरई अदालत में तलाक मांगने पहुंची पत्नी से बोला शौहर

कानपुर, (जमीर सिद्दीकी)। कर्नलगंज में एक मियां-बीवी के बीच लगभग एक साल से तनातनी चल रही थी। रविवार को शहरकाजी की शरई अदालत में दोनों पक्ष पहुंचे। बीवी ने कहा कि मुझे पति के साथ नहीं रहना है, मुझे खुला (पत्नी को तलाक देने का अधिकार) चाहिए। लेकिन शौहर ने खुला देने से साफ इंकार कर दिया और कहा कि पहले मेहर माफ करो, नान नफका (गुजारा भत्ता) भी नहीं मांगने का वादा करो, तभी हम तुमको तलाक देंगे। 

कर्नलगंज में रहने वाला सिलाई का काम करने वाला एक शख्स कुलीबाजार स्थित मदरसा इशाअतुल उलूम की शरई अदालत पहुंचा, इसी दौरान उसकी पत्नी भी अपनी मां और भाई के साथ वहां पहुंच गई। महिला ने कहा कि शादी के ढाई साल हो चुके हैं, लेकिन पति उसे ढंग से खाना तक नहीं दे पा रहे हैं। कभी कहते हैं कि मेरे भाई के यहां खाना खा लिया करो, कभी कहते हैं कि मेरी बहन के यहां खाना खा लिया करो, ऐसे कैसे जिंदगी गुजरेगी। 

लड़की की मां ने कहा कि अभी वक्त है, शादी के ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, खुला के माध्यम से मेरी बेटी को शौहर से तलाक दिला दें। इस पर शहरकाजी ने महिला के शौहर से पूछा कि इस मामले में उसे क्या कहना है? शौहर ने कहा कि वह बीवी को कभी तलाक नहीं देगा। उसे साथ रखना चाहता है। इस पर शहर काजी ने महिला को खुला की इजाजत नहीं दी। लेकिन महिला और उसकी मां तथा भाई के काफी जोर देने और मामले का हल निकालने की गुजारिश की गई। 

इस पर शौहर की लगाई शर्त के मुताबिक यह तय हुआ कि बीवी अपने मेहर की रकम माफ करेगी और शौहर से गुजारा भत्ता भी नहीं मांगेगी। इस बात पर महिला की मां मान गई और कहा कि तुम सिर्फ मेरी बेटी को आजाद कर दो। शरई आदालत में दोनों पक्षों के बीच तय हुआ कि लड़के वाले दहेज वापस करेंगे और लड़की वाले भी जेवर सहित जो कुछ भी लड़के वालों ने दिया है, सब वापस किया जाएगा। 

खुला के लिए पति की इजाजत को जरूरी बताया था बैठक में  

मदरसा इशाअतुल उलूम कुलीबाजार में शनिवार को मुफ्ती हजरात की बैठक हुई थी जिसकी अध्यक्षता शहरकाजी हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी ने की थी। इस बैठक में मुफ्ती हजरात ने शरीयत का हवाला देते हुए सर्वसम्मति से फरमान जारी किया था कि अगर कोई महिला अपने पति से खुला (पत्नी को तलाक लेने का अधिकार) लेना चाहती है तो उसे पहले पति से खुला की इजाजत लेनी होगी। पत्नी एकतरफा कोई फैसला नहीं ले सकती है। इस फरमान के बाद मुस्लिम महिलाओं के पास ऐसा कोई रास्ता नहीं बचा है, जिससे वह अपने शौहर को छोड़ सकें। मुफ्तियों के मुताबिक खुला के लिए अब शौहर की इजाजत लेना अनिवार्य हो गया है।   

शौहर से छुटकारा पाने के लिए महिलाएं खुलकर आ रहीं सामने

शहरकाजी हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी ने बताया कि इधर कुछ महीनों से खुला के तमाम मामले  शरई अदालत में आ रहे हैं। पहले औरतें इतना खुलकर सामने नहीं आती थीं, लेकिन अब जरा जरा सी बात में अपने शौहर से तलाक लेने के लिए खुलकर सामने आ रही हैं। उनके मुताबिक शनिवार को इस प्रकार के पांच मामले शरई अदालत के सामने पेश हुए थे।

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